आगरा: रामचरित मानस की चौपाई और दोहा लोगों की जुबान पर हैं. यहां बच्चा-बच्चा रामचरित के रचयिता महाकवि गोस्वामी तुलसी दास के बारे में जानता है. लेकिन प्रदेश का संस्कृति मंत्रालय इससे अनजान है. आगरा के आरटीआई एक्टिविस्ट की ओर से मांगी गई सूचना के जवाब में प्रदेश के संस्कृत मंत्रालय की ओर से बेहद अजीबो-गरीब जवाब दिया गया है. मंत्रालय की ओर से आरटीआई एक्टिविस्ट को इस बारे में जानकारी करने के लिए चित्रकूट की यात्रा करने की सलाह दी गई है.
आगरा के आरटीआई और सोशल एक्टिविस्ट डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने 26 जून को राज्य संस्कृति मंत्रालय से जनसूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी. उन्होंने आरटीआई में जिन सवालों के जवाब मांगे थे. उनके बारे में 19 जुलाई को जनसूचना अधिकारी राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय अल्लापुर प्रयागराज के अधिकारी गुलाम सरवर ने जवाब दिए हैं.
सोशल एक्टिविस्ट ने बताया कि आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि 'महाकवि तुलसीदास की जन्मस्थली और कर्मस्थली तथा चित्रकूट धाम के संबंध में कार्यालय के पांडुलिपि संग्रह में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. तुलसीदास द्वारा लिखित रामायण का कौन सा अध्याय राजापुर में संरक्षित है. इसके संबंध में आपको चित्रकूट की यात्रा करके जानकारी प्राप्त करनी होगी. इस बारे में कार्यालय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
सोशल एक्टिविस्ट ने बताया कि उन्हें यह भी जबाव दिया गया है कि 'प्रयागराज से राजापुर की दूरी गूगल मैप के अनुसार 84.8 किलोमीटर है. जो दो घंटे और 15 मिनट में तय की जा सकती है. इसके साथ ही एक अन्य सवाल के जवाब में कहा गया कि 'तुलसीदास का देहावसान और उनके माता पिता के संबंध में कार्यालय में जानकारी उपलब्ध न होने से सूचना देना संभव नहीं है'.
आरटीआई और सोशल एक्टिविस्ट ने कहा कि उन्होंने कई बार जनसूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी है. जिसके जबाव भी मुझे मिले हैं. लेकिन पहली बार जो जवाब मिला है, वह आश्चर्यचकित करने वाला है. उन्होंने कहा कि रामचरित मानस के बारे में दुनिया जानती है. महाकवि तुलसीदास के बारे में भी लोग जानते हैं. लेकिन उनके बारे में सूचना देने में संबंधित विभाग के अधिकारी हैरान करने वाला जवाब दे रहे हैं.
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