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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में अब पार्ट टाइम में भी कर सकेंगे पीएचडी - उत्तर प्रदेश समाचार

यूपी के आगरा जनपद में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से अब छात्र पार्ट टाइम में भी पीएचडी कर सकेंगें. मंगलवार दोपहर खंदारी परिसर स्थित सभागार में कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल की अध्यक्षता में सर्व समिति ने यह निर्णय लिया.

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
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Published : Apr 13, 2021, 10:00 PM IST

आगरा: जनपद के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से अब छात्र पार्ट टाइम में भी पीएचडी कर सकेंगें. जिससे अब विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों को यूजीसी के नियमानुसार रेगुलर मोड़ में पीएचडी करने के लिए ढाई वर्ष का पूर्ण अवकाश लेना नहीं पड़ेगा. विश्वविद्यालय में पीएचडी और कैरियर एंड काउंसलिंग सेंटर की भी स्थापना की जाएगी. मंगलवार दोपहर खंदारी परिसर स्थित सभागार में कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल की अध्यक्षता में सर्व समिति ने यह निर्णय लिया.

जानकारी देते डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति.

शोध कार्य की अवधि 4 वर्ष की गई
पहले किसी भी पीएचडी शोधार्थियों को पीएचडी करने के लिए ढाई वर्ष का अवकाश लेना पड़ता था, जिससे उन्हें आर्थिक हानि के साथ-साथ उनकी वरिष्ठता आदि भी प्रभावित होती थी. आंबेडकर विश्वविद्यालय द्वारा सर्व समिति ने बैठक में यह निर्णय लिया कि विश्वविद्यालय द्वारा पार्ट टाइम में भी पीएचडी की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिसके एवज में शोध कार्य अवधि 3 वर्ष के स्थान पर 4 वर्ष की होगी. इसके साथ ही शोध केंद्र पर नियमित रूप से जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार 75% उपस्थिति अनिवार्य है.

कैरियर एंड काउंसलिंग सेंटर की स्थापना होगी
बैठक में विश्वविद्यालय द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्देशों के अनुपालन में छात्र-छात्राओं के करियर को संवारने और उनकी पाठ्यक्रम में रुचि के अनुसार काउंसलिंग कर बताया जाएगा कि कौन सा कोर्स उनके कैरियर के लिए अच्छा रहेगा. जिसके लिए करियर एंड काउंसलिंग सेंटर की स्थापना की जाएगी. जिसका प्रभारी प्रोफेसर यूएन शुक्ला को बनाया जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय ने मेधा फाउंडेशन सेंटर के साथ अनुबंध पत्र हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया.

आगरा: जनपद के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से अब छात्र पार्ट टाइम में भी पीएचडी कर सकेंगें. जिससे अब विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों को यूजीसी के नियमानुसार रेगुलर मोड़ में पीएचडी करने के लिए ढाई वर्ष का पूर्ण अवकाश लेना नहीं पड़ेगा. विश्वविद्यालय में पीएचडी और कैरियर एंड काउंसलिंग सेंटर की भी स्थापना की जाएगी. मंगलवार दोपहर खंदारी परिसर स्थित सभागार में कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल की अध्यक्षता में सर्व समिति ने यह निर्णय लिया.

जानकारी देते डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति.

शोध कार्य की अवधि 4 वर्ष की गई
पहले किसी भी पीएचडी शोधार्थियों को पीएचडी करने के लिए ढाई वर्ष का अवकाश लेना पड़ता था, जिससे उन्हें आर्थिक हानि के साथ-साथ उनकी वरिष्ठता आदि भी प्रभावित होती थी. आंबेडकर विश्वविद्यालय द्वारा सर्व समिति ने बैठक में यह निर्णय लिया कि विश्वविद्यालय द्वारा पार्ट टाइम में भी पीएचडी की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिसके एवज में शोध कार्य अवधि 3 वर्ष के स्थान पर 4 वर्ष की होगी. इसके साथ ही शोध केंद्र पर नियमित रूप से जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार 75% उपस्थिति अनिवार्य है.

कैरियर एंड काउंसलिंग सेंटर की स्थापना होगी
बैठक में विश्वविद्यालय द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्देशों के अनुपालन में छात्र-छात्राओं के करियर को संवारने और उनकी पाठ्यक्रम में रुचि के अनुसार काउंसलिंग कर बताया जाएगा कि कौन सा कोर्स उनके कैरियर के लिए अच्छा रहेगा. जिसके लिए करियर एंड काउंसलिंग सेंटर की स्थापना की जाएगी. जिसका प्रभारी प्रोफेसर यूएन शुक्ला को बनाया जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय ने मेधा फाउंडेशन सेंटर के साथ अनुबंध पत्र हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया.

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