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कोरोना संक्रमण ने किया बेघर, जिला अस्पताल को ही माना दूसरा घर

आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में जगह न होने की वजह से नए मरीजों को आगरा जिला अस्पताल में भेजा जा रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में यहां के सभी डॉक्टर दिन-रात एककर, अपने परिवारों को छोड़ कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं.

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Published : May 4, 2021, 7:56 PM IST

Updated : May 4, 2021, 8:37 PM IST

कोरोना संक्रमण ने किया बेघर
कोरोना संक्रमण ने किया बेघर

आगराः जिले में इन दिनों कोविड के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मेडिकल कॉलेज में जगह न होने की वजह से नए मरीजों को जिला अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जा रहा है. यहां के डॉक्टर अपने परिवार को भूल कोविड-19 के मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं. एक तो मई का महीना यानि भीषण गर्मी का दिन, ऊपर से 8 से 9 घंटे पीपीई किट पहनकर मरीजों की देखभाल करना इन डॉक्टरों के हौसले को दर्शाता है. सीएमएस सतीश वर्मा और उनकी पूरी टीम के साथ इन्ही मुद्दों पर ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की.

कोरोना संक्रमण ने किया बेघर, जिला अस्पताल को ही माना दूसरा घर

खाने-पीने का भी नहीं मिलता वक्त

सीएमएस सतीश वर्मा के मुताबिक दिन-रात अस्पताल में कोविड मरीजों का इलाज करने में इतना समय गुजर जाता है कि घर पर खाना खाने का भी वक्त नहीं रहता. वहीं वैक्सीनेशन और कोविड की जांच करने वाले 24 साल के कमल श्रीवास्तव का कहना है कि घर वालों को उनकी दिन-रात फ्रिक रहती है. लेकिन अपने फर्ज को पूरा करते हुए वे एक दिन में 5 से 6 सौ लोगों का वैक्सीनेशन करते हैं. अगर इमरजेंसी में रात में भी आना पड़ता है, तो वे रात को भी मरीजों की सेवा के लिए जिला अस्पताल आ जाते हैं.

मरीज
मरीज

8 ले 9 घंटे पहनते हैं पीपीई किट

जिला अस्पताल में सभी डॉक्टर 8 से 9 घंटे तक पीपीई किट पहनते हैं. जिला अस्पताल के नोडल अधिकारी योगेंद्र शर्मा बताते हैं कि तापमान अधिक होने की वजह से गर्मी काफी लगती है. लेकिन वे अपने कर्तव्य का पालन करते हुए बिना परिवार के बारे में सोचे भीषण गर्मी में पीपीई किट पहनकर काम करते हैं. कोविड वार्ड में काम करने वाले सभी कर्मचारी ये किट पहनते हैं.

इसे भी पढ़ें- हैदराबाद नेहरू जूलोजिकल पार्क के 8 एशियाई शेर कोरोना संक्रमित, किए गए आइसोलेट

अस्पताल को ही मान लिया दूसरा घर

सीएमएस सतीश वर्मा कहते हैं कि डॉक्टरों की कोई दिनचर्या नहीं होती है. मरीजों का इलाज करना ही उनका पहला कर्तव्य होता है. इस वजह से दिन-रात कोविड मरीजों के इलाज में कब समय गुजर जाता है पता भी नहीं चलता. कई बार घर पर खाना खाने का भी वक्त नहीं मिलता. इसलिए घर से खाना मंगाकर सभी डॉक्टर अस्पताल को ही घर समझकर यहीं खा लेते हैं, और यहीं सो जाते हैं.

आगराः जिले में इन दिनों कोविड के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मेडिकल कॉलेज में जगह न होने की वजह से नए मरीजों को जिला अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जा रहा है. यहां के डॉक्टर अपने परिवार को भूल कोविड-19 के मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं. एक तो मई का महीना यानि भीषण गर्मी का दिन, ऊपर से 8 से 9 घंटे पीपीई किट पहनकर मरीजों की देखभाल करना इन डॉक्टरों के हौसले को दर्शाता है. सीएमएस सतीश वर्मा और उनकी पूरी टीम के साथ इन्ही मुद्दों पर ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की.

कोरोना संक्रमण ने किया बेघर, जिला अस्पताल को ही माना दूसरा घर

खाने-पीने का भी नहीं मिलता वक्त

सीएमएस सतीश वर्मा के मुताबिक दिन-रात अस्पताल में कोविड मरीजों का इलाज करने में इतना समय गुजर जाता है कि घर पर खाना खाने का भी वक्त नहीं रहता. वहीं वैक्सीनेशन और कोविड की जांच करने वाले 24 साल के कमल श्रीवास्तव का कहना है कि घर वालों को उनकी दिन-रात फ्रिक रहती है. लेकिन अपने फर्ज को पूरा करते हुए वे एक दिन में 5 से 6 सौ लोगों का वैक्सीनेशन करते हैं. अगर इमरजेंसी में रात में भी आना पड़ता है, तो वे रात को भी मरीजों की सेवा के लिए जिला अस्पताल आ जाते हैं.

मरीज
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8 ले 9 घंटे पहनते हैं पीपीई किट

जिला अस्पताल में सभी डॉक्टर 8 से 9 घंटे तक पीपीई किट पहनते हैं. जिला अस्पताल के नोडल अधिकारी योगेंद्र शर्मा बताते हैं कि तापमान अधिक होने की वजह से गर्मी काफी लगती है. लेकिन वे अपने कर्तव्य का पालन करते हुए बिना परिवार के बारे में सोचे भीषण गर्मी में पीपीई किट पहनकर काम करते हैं. कोविड वार्ड में काम करने वाले सभी कर्मचारी ये किट पहनते हैं.

इसे भी पढ़ें- हैदराबाद नेहरू जूलोजिकल पार्क के 8 एशियाई शेर कोरोना संक्रमित, किए गए आइसोलेट

अस्पताल को ही मान लिया दूसरा घर

सीएमएस सतीश वर्मा कहते हैं कि डॉक्टरों की कोई दिनचर्या नहीं होती है. मरीजों का इलाज करना ही उनका पहला कर्तव्य होता है. इस वजह से दिन-रात कोविड मरीजों के इलाज में कब समय गुजर जाता है पता भी नहीं चलता. कई बार घर पर खाना खाने का भी वक्त नहीं मिलता. इसलिए घर से खाना मंगाकर सभी डॉक्टर अस्पताल को ही घर समझकर यहीं खा लेते हैं, और यहीं सो जाते हैं.

Last Updated : May 4, 2021, 8:37 PM IST
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