आगराः जिले में इन दिनों कोविड के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मेडिकल कॉलेज में जगह न होने की वजह से नए मरीजों को जिला अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जा रहा है. यहां के डॉक्टर अपने परिवार को भूल कोविड-19 के मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं. एक तो मई का महीना यानि भीषण गर्मी का दिन, ऊपर से 8 से 9 घंटे पीपीई किट पहनकर मरीजों की देखभाल करना इन डॉक्टरों के हौसले को दर्शाता है. सीएमएस सतीश वर्मा और उनकी पूरी टीम के साथ इन्ही मुद्दों पर ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की.
खाने-पीने का भी नहीं मिलता वक्त
सीएमएस सतीश वर्मा के मुताबिक दिन-रात अस्पताल में कोविड मरीजों का इलाज करने में इतना समय गुजर जाता है कि घर पर खाना खाने का भी वक्त नहीं रहता. वहीं वैक्सीनेशन और कोविड की जांच करने वाले 24 साल के कमल श्रीवास्तव का कहना है कि घर वालों को उनकी दिन-रात फ्रिक रहती है. लेकिन अपने फर्ज को पूरा करते हुए वे एक दिन में 5 से 6 सौ लोगों का वैक्सीनेशन करते हैं. अगर इमरजेंसी में रात में भी आना पड़ता है, तो वे रात को भी मरीजों की सेवा के लिए जिला अस्पताल आ जाते हैं.
8 ले 9 घंटे पहनते हैं पीपीई किट
जिला अस्पताल में सभी डॉक्टर 8 से 9 घंटे तक पीपीई किट पहनते हैं. जिला अस्पताल के नोडल अधिकारी योगेंद्र शर्मा बताते हैं कि तापमान अधिक होने की वजह से गर्मी काफी लगती है. लेकिन वे अपने कर्तव्य का पालन करते हुए बिना परिवार के बारे में सोचे भीषण गर्मी में पीपीई किट पहनकर काम करते हैं. कोविड वार्ड में काम करने वाले सभी कर्मचारी ये किट पहनते हैं.
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अस्पताल को ही मान लिया दूसरा घर
सीएमएस सतीश वर्मा कहते हैं कि डॉक्टरों की कोई दिनचर्या नहीं होती है. मरीजों का इलाज करना ही उनका पहला कर्तव्य होता है. इस वजह से दिन-रात कोविड मरीजों के इलाज में कब समय गुजर जाता है पता भी नहीं चलता. कई बार घर पर खाना खाने का भी वक्त नहीं मिलता. इसलिए घर से खाना मंगाकर सभी डॉक्टर अस्पताल को ही घर समझकर यहीं खा लेते हैं, और यहीं सो जाते हैं.