आगरा : मुगल बादशाह अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी के आसपास के गांवों में अरावली की पहाड़ियों के राॅक शेल्टर्स फिर से चर्चा में हैं. केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने मंगलवार को गांव रसूलपुर में मौजूद राॅक शेल्टर्स पर जाकर राॅक पेंटिंग देखी थी. इसके बाद वह हैरान रह गईं. ये राॅक पेंटिंग करीब सात हजार साल पुरानी हैं. तस्वीरों को केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था. इसके बाद से इनकी चर्चा होने लगी है. लंबे समय से इन राॅक शेल्टर्स और राॅक पेंटिंग के संरक्षण की मांग हो रही है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है. आगे आने वाले दिनों में अरावली की पहाड़ियां एक नया पर्यटन और पिकनिक स्पाॅट बन जाएंगी.
बता दें कि गांव रसूलपुर में अरावली की पहाडी पर मौजूद राॅक पेंटिग देखने के बाद इनके फोटो सोशल मीडिया पर केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने शेयर किए थे. इसके बाद एएसआई अधिकारियों से भी जानकारी ली. राॅक पेंटिंग से अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां कई हजार साल पहले मानव का बसेरा था.
ये राॅक पेंटिंग अभी तक हैं मौजूद : गांव रसूलपुर की राॅल शेल्टर्स में मानव आकृति, पशु आकृति, मूर्तियों, ताड़ की आकृति, सूर्य की आकृति के साथ ही आड़ी व खड़ी रेखाएं भी मिलीं हैं. एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने एक पेंटिंग के बारे में बताया. कहा कि, एएसआई इनका संरक्षण कर रहा है. गांव रसूलपुर के साथ ही गांव मदनपुरा, गांव पतसाल और गांव जाजौली की पहाड़ियों पर ऐसी ही पेंटिंग लाल और काले रंग से बनी हैं.
1950 में हुई थी खोज : पर्यावरणविद डॉ. देबाशीष भट्टाचार्य बताते हैं कि, केंद्रीय राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी को रॉक पेंटिंग के संरक्षण के लिए ज्ञापन दिया था. उन्हें बताया था कि सन 1950 के दशक में इन पेंटिंग की खोज हुई थी. तब इनकी संख्या करीब 500 थी. अब 70 साल में इनका संरक्षण नहीं हुआ. इसकी वजह से अब बमुश्किल 20 से 25 पेंटिंग बची हैं. अब इनके सरंक्षण की उम्मीद जाग गई है.
रॉक आर्ट सोसायटी आफ इंडिया के सचिव ने की थी खोज : फतेहपुर सीकरी के आसपास स्थित गांव रसूलपुर, गांव मदनपुरा, गांव पतसाल और गांव जाजाली में अरावली की पर्वत श्रृंखला में उत्तर पाषाण काल से लेकर गुप्त काल के मध्य में बनी रॉक पेंटिग्स मिली हैं. ये रॉक पेंटिग्स पहाड़ियों के रॉक शेल्टर्स में बनी हैं. इन शेल्टर्स की खोज 80 के दशक में रॉक आर्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के सचिव पुरातत्वविद् डॉ. गिरिराज कुमार ने की थी. उन्होंने रसूलपुर में 12, मदनपुरा में तीन, जाजाली में आठ और पतसाल में चार रॉक शेल्टर्स की खोज की थी. जिन्हें अवैध खनन से बचाने की गुहार लगाई तो इन अनमोल धरोहर बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने खनन पर रोक लगा दी है.
पतसाल व मदनपुरा की रॉक शेल्टर्स में सबसे अधिक शैल चित्र : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मेरी पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में फतेहपुर सीकरी के पास के गांव पतसाल व गांव मदनपुरा के रॉक शेल्टर्स की जानकारी सचित्र ने दी है. इन रॉक शेल्टर्स में बनी राॅक पेटिंग (शैल चित्र) उत्तर पाषाण काल से लेकर गुप्त काल तक के हैं. राॅक पेंटिंग (शैल चित्र) से स्पष्ट है कि, उस समय यहां आदिमानव रहते रहे होंगे. गांव पतसाल की पहाड़ी पर पेड़, पौधे, पशु समूह, नृत्य और हथियारों से संबंधित रॉक पेंटिंग्स मौजूद हैं.
खनन से खत्म हो रहा इतिहास : बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने खनन पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद खनन हो रहा है. खनन से गांव रसूलपुर, गांव मदनपुरा, गांव पतसाल और गांव जाजाली में अरावली की पहाड़ियों का बड़ा हिस्सा खत्म हो चुका है. जहां पर रॉक शेल्टर्स और रॉक पेंटिंग्स का बड़ा हिस्सा नष्ट भी हो चुका है. अब कुछ पहाड़ियों पर ही रॉक शेल्टर्स और रॉक पेंटिंग बची हैं.
अनदेखी से राॅक पेंटिंग के कलर फीके पड़े : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, गांव पतसाल व गांव मदनपुरा में स्थित रॉक शेल्टर्स में काफी राॅक पेंटिंग बनी हैं. गांव पतसाल के रॉक शेल्टर्स में पेड़, पौधे, पशु समूहों, नृत्य व हथियारों से संबंधित रॉक पेंटिंग्स हैं. गांव मदनपुरा में दंतीला हाथी, नीलगाय, दो सांड़ की राॅक पेटिंग हैं. अनदेखी और समय के साथ इन पेंटिग्स के कलर भी अब फीके पड़ रहे हैं.
नया पर्यटक स्थल और पिकनिक स्पाॅट बनेगा : वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन बताते हैं कि, लंबे समय से फतेहपुर सीकरी के आसपास के गांव के रॉक शेल्टर्स और रॉक पेंटिंग्स को संरक्षित करने की मांग हो रही है. भले ही एएसआई ने इन्हें संरक्षित करने का प्लान बनाया है. मगर, अभी तक काम कुछ नहीं हुआ है. ये राॅक शेल्टर्स और राॅक पेंटिंग संरक्षित हो जाएं तो फतेहपुर के पास एक नया पर्यटक स्थल बन जाएगा. जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. नए टूरिस्ट प्वाइंट से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. आगरा में टूरिस्टों का नाइट स्टे भी बढ़ने की संभावना है.
यह भी पढ़ें : आगरा में 15 डॉक्टरों की डिग्री पर चल रहे 449 अस्पताल, कमीशन-पार्टनरशिप का खेल