आगरा: ताजनगरी के नालंदा बिल्डर व भाजपा नेता संतोष कटारा के खिलाफ हरीपर्वत थाने में धोखाधड़ी, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज हुआ है. पीड़ित अपनी शिकायत लेकर आगरा पुलिस कमिश्नर से मिला था. उसका आरोप है कि आरोपी भाजपा नेता व बिल्डर ने 50 लाख के भुगतान के बावजूद उसे नौ साल बाद भी फ्लैट नहीं दिया. जब उसने भाजपा नेता से संपर्क किया तो उसे गालियां और जान से मारने की धमकी दी. इससे वो और उसका परिवार दहशत में है.
हरिपर्वत थाना प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि पारस पर्ल एक्सटेंशन खतैना मार्ग लोहामंडी निवासी मानव गर्ग ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया है. पीड़ित मानव गर्ग ने अपनी शिकायत पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह को दी थी. पुलिस कश्मिनर के आदेश पर मुकदमा दर्ज करके जांच की जा रही है.
पीड़ित मानव गर्ग की तहरीर पर हरिपर्वत थाने में दर्ज मुकदमे के मुताबिक, सन 2014 में उसने नालंदा बिल्डर के निदेशक संतोष कटारा से संपर्क किया था. उसने नालंदा बिल्डर के प्रोजेक्ट नालंदा क्राउन में एक फ्लैट बुक कराया था. इसके लिए एडवांस भी दिया और अलग से पैसे भी दिए. उन्होंने एग्रीमेंट के समय 16 लाख रुपये ऑनलाइन माध्यम से और 34 लाख रुपये आरोपी बिल्डर संतोष कटारा को नकद भुगतान किया था. इसके बाद भी बिल्डर संतोष कटारा ने फ्लैट नहीं दिया.
पीड़ित मानव गर्ग का आरोप है कि जब भी वह फ्लैट के बारे में बिल्डर से बात करता तो बिल्डर टाल मटोल कर देता था. उसे जल्द ही फ्लैट देने का आश्वासन दिया जाता था. लेकिन, फ्लैट नहीं मिला. इसके बाद फ्लैट के पैसे लौटाने के लिए भाजपा नेता संतोष कटारा से कहा. इस पर बिल्डर संतोष कटारा ने गाली गलौज की और जान से मारने की धमकी दी. इससे वे और उनका परिवार दहशत में आ गया है. पैसे भी चले गए. अभी फ्लैट नहीं मिला है. अब भाजपा नेता संतोष कटारा धमकी दे रहे हैं.
जिला महामंत्री है आरोपी बिल्डर
बता दें कि नालंदा बिल्डर के निदेशक संतोष कटारा भाजपा नेता है. बिल्डर संतोष कटारा इस समय जिला महामंत्री है. पार्टी के तमाम कार्यक्रम में भी उसकी सक्रियता रहती है. आगरा में डिप्टी सीएम, सीएम और अन्य नेताओं की सभाओं में मंच पर उपस्थित रहा है. भाजपा नेताओं से करीबी होने के नाते ही जिला प्रशासन और पुलिस में भी बिल्डर संतोष कटारा की पैंठ बनी हुई है. इसलिए, जब भी हरिपर्वत और सिकंदरा थाने में उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज हुआ, पुलिस ने मुकदमा लिखा और जांच के नाम पर कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी.
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