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मथुरा में रही गाजीपुर के धोबिया नृत्य की धूम, झूमे लोग - धोबिया नृत्य

उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर गाजीपुर से आए कलाकारों ने धोबिया नृत्य से सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया. इस नृत्य की होली, दीपावली, जन्माष्टमी के साथ ही अन्य तीज त्योहार, शादी और अन्य मांगलिक कार्यक्रम में खूब धूम रहती है.

धोबिया नृत्य
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Published : Aug 25, 2019, 3:51 AM IST

आगरा : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर गाजीपुर से आए कलाकारों ने धोबिया नृत्य से धमाल मचा दिया. धोबिया नृत्य एक प्रसिद्ध विधा है, जो राजा महाराजाओं के समय पर प्रस्तुत की जाती थी. यह धोबी समाज का नृत्य कहा जाता है.

गाजीपुर के धोबिया नृत्य की धूम.

धोबिया नृत्य से माचाया धमाल -

  • ईटीवी से खास बातचीत में धोबिया नृत्य ग्रुप के मुखिया जीवनराम ने बताया कि वह धोबी समाज से हैं.
  • यह धोबी समाज का नृत्य है. मुझे भी विरासत में इस नृत्य की विधा सीखने को मिली थी.
  • यह नृत्य राजाओं-महाराजाओं के समय पर दरबार में प्रस्तुत किया जाता था.
  • यह विधा विलुप्त होती जा रही है.
  • इस नृत्य में उपयोग किए जाने वाले वाद्य यंत्र भी बहुत ही अहम हैं.
  • इसमें मृदंगम है, पखावज है, कसावर है, दंडताल है, रणसिंघा है, जो युद्ध के समय बजाया जाता था.

इसे भी पढें - मथुरा: इंद्र देव भी रंगे कान्हा के रंग में, बारिश में कृष्ण जन्मोत्सव का लुत्फ उठा रहे श्रद्धालु

ये वाद्य यंत्र जहां लोगों के मन और दिमाग में वीर रस घोलते हैं. तो वहीं धोबिया नृत्य में श्रृंगार और हास्य रस भी खूब देखने को मिलता है.

आगरा : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर गाजीपुर से आए कलाकारों ने धोबिया नृत्य से धमाल मचा दिया. धोबिया नृत्य एक प्रसिद्ध विधा है, जो राजा महाराजाओं के समय पर प्रस्तुत की जाती थी. यह धोबी समाज का नृत्य कहा जाता है.

गाजीपुर के धोबिया नृत्य की धूम.

धोबिया नृत्य से माचाया धमाल -

  • ईटीवी से खास बातचीत में धोबिया नृत्य ग्रुप के मुखिया जीवनराम ने बताया कि वह धोबी समाज से हैं.
  • यह धोबी समाज का नृत्य है. मुझे भी विरासत में इस नृत्य की विधा सीखने को मिली थी.
  • यह नृत्य राजाओं-महाराजाओं के समय पर दरबार में प्रस्तुत किया जाता था.
  • यह विधा विलुप्त होती जा रही है.
  • इस नृत्य में उपयोग किए जाने वाले वाद्य यंत्र भी बहुत ही अहम हैं.
  • इसमें मृदंगम है, पखावज है, कसावर है, दंडताल है, रणसिंघा है, जो युद्ध के समय बजाया जाता था.

इसे भी पढें - मथुरा: इंद्र देव भी रंगे कान्हा के रंग में, बारिश में कृष्ण जन्मोत्सव का लुत्फ उठा रहे श्रद्धालु

ये वाद्य यंत्र जहां लोगों के मन और दिमाग में वीर रस घोलते हैं. तो वहीं धोबिया नृत्य में श्रृंगार और हास्य रस भी खूब देखने को मिलता है.

Intro:आगरा.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर गाजीपुर से आए कलाकारों ने धोबिया नृत्य से सभी को तालियां बजाने को मजबूर कर दिया. धोबिया नृत्य एक प्रसिद्ध विधा है, जो राजा महाराजाओं के समय पर प्रस्तुत की जाती थी. इस नृत्य की होली, दीपावली, जन्माष्टमी के साथ ही अन्य तीज त्योहार, शादी और अन्य मांगलिक कार्यक्रम में खूब धूम रहती है. धोबिया नृत्य प्रस्तुत करने आए ग्रुप के मुखिया जीवनराम से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की.


Body:जीवनराम ने बताया कि वह धोबी समाज से हैं. यह धोबी समाज का नृत्य है. मुझे भी नृत्य विरासत में इस नृत्य की विधा सीखने को मिली थी. यह नृत्य राजा महाराजाओं के समय पर दरबार प्रस्तुत किया जाता था. यह विधा विलुप्त होती जा रही है. इसके साथ इस नृत्य में उपयोग किए जाने वाले वाद्य यंत्र भी बहुत ही अहम है. इसमें मृदंगम है, पखावज है. कसावर है. दंडताल है. रणसिंघा है. जो युद्ध के समय बजाया जाता था. इसमें उपयोग किए जाने वाले वाद्य यंत्र जहां लोगों के मन और दिमाग में वीर रस घोलते हैं. तो वहीं, धोबिया नृत्य में श्रृंगार और हास्य रस भी खूब देखने को मिलता है.



Conclusion:जीवनराम, मुखिया (धोबिया नृत्य ग्रुप) का वन टू वन।

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श्यामवीर सिंह
मथुरा
8387893357
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