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आलू की बंपर पैदावार, किसानों की पुकार, निर्यात बढ़ाए सरकार - जिलाध्यक्ष राजवीर लवानिया

आगरा में आलू की बंपर पैदावार से इसबार किसान खुश हैं. लेकिन सरकार द्वारा एमएसपी 650 रुपये निर्धारित कर देने से किसानों में निराशा छा गई है. आलू किसानों का कहना है कि 950 रुपये प्रति कुंतल तो उनकी लागत आई है.

आलू की
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Published : Mar 20, 2023, 6:50 PM IST

आलू की बंपर पैदावार से निराश किसानों ने कहा.

आगरा: उत्तर प्रदेश में इस साल आलू की बंपर पैदावार से किसान खुश हैं. लेकिन इस बार आलू के अच्छे भाव न होने की वजह से किसान सरकार से नाराज हो गए हैं. प्रदेश सरकार ने आलू के लिए जब से 650 रुपए प्रति कुंतल की एमएसपी जारी की है. इतने कम दाम होने की वजह से निराश किसानों का कहना है कि समाधान नहीं निकलने पर इस बार सरकार बदल देंगे.

आलू की
आलू की पैदावार और भाव.

किसानों का दावा है कि इस बार आलू की लागत 950 रुपये आई है. लेकिन एमएसपी 650 रुपये प्रति कुंतल है. इसके बावजूद भी सरकार आलू का एक्सपोर्ट कम कर रही है. कर एक्सपोर्ट करने से किसान कर्जदार हो जाएगा. आगरा के किसानों की केंद्र और यूपी सरकार से मांग है कि आलू का निर्यात पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान और अन्य देशों में ज्यादा से ज्यादा करें. कम से कम यूपी के कुल आलू उत्पादन का 50 प्रतिशत निर्यात करने से किसान कर्जदार होने से बच जाएंगे.

आलू की
किसानों की आलू में लागत.

किसान रामचंद्र ने कहा कि इसबार आलू की अच्छी पैदावार हुई है. लेकिन प्रदेश सरकार किसानों के साथ अच्छा काम नहीं कर रही है. आलू की एमएसपी कम है. इसके साथ ही सरकार आलू का निर्यात भी कम कर रही है. जिससे किसान अच्छी पैदावार होने के बाद भी परेशान हैं. किसान धर्मेंद्र का कहना है कि समस्या का समाधान नहीं तो सरकार बदल देंगे. सरकार आलू का निर्यात बहुत कम कर रही है. प्रदेश में कम से कम 50 प्रतिशत आलू का निर्यात होना चाहिए. केंद्र सरकार और यूपी सरकार को पडोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और अन्य देशों में आलू निर्यात करना चाहिए. यदि केंद्र सरकार और यूपी सरकार ने मिलकर समस्या का समाधान नहीं निकाला तो किसान सरकार ही बदल देंगे. देश के आलू उत्पादन का 25 प्रतिशत निर्यात होना ही चाहिए.

भारतीय किसान यूनियम (टिकैत) के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानिया ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनूसार आलू में किसानों की लागत 950 से 1000 रुपये आई है. किसान यूनियन ने केंद्र और यूपी सरकार को जनवरी में ही चेता दिया था कि इस बार आलू की बंपर पैदावार होगी. इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने चिट्ठी लिखी. लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मलेशिया और नेपाल में कम आलू भेजा गया है. अगर भारत के आलू उत्पादन का 25 प्रतिशत निर्यात कर दिया जाए तो किसानों को लाभ हो जाएगा. उप निदेशक उद्यान विभाग आगरा मंडल का कहना है कि आलू को दक्षिण भारत के सभी प्रदेशों के साथ ही मलेशिया, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, नेपाल समेत अन्य देशों में भेजा जा रहा है.

बता दें कि यूपी में सबसे बड़ा आलू उत्पादक जनपद आगरा है. इस बार आगरा में आलू की बंपर पैदावार हुई है. जिससे आलू किसानों के चेहरों पर खुशी छा गई है. लेकिन सरकार द्वारा आलू के 650 रुपये प्रति कुंतल एमएसपी से किसान दुखी हैं. किसानों ने बताया कि आलू की खेती में प्रति कुंतल 950 से 1000 रुपए की कुल लागत आई है. इतने कम दाम होने से किसानों का कहना है कि वह मिट्टी में मिल जाएंगे.

यह भी पढ़ें- Housing Development Council के बड़े बड़े अपराधों की सजा केवल पेंशन कटौती

आलू की बंपर पैदावार से निराश किसानों ने कहा.

आगरा: उत्तर प्रदेश में इस साल आलू की बंपर पैदावार से किसान खुश हैं. लेकिन इस बार आलू के अच्छे भाव न होने की वजह से किसान सरकार से नाराज हो गए हैं. प्रदेश सरकार ने आलू के लिए जब से 650 रुपए प्रति कुंतल की एमएसपी जारी की है. इतने कम दाम होने की वजह से निराश किसानों का कहना है कि समाधान नहीं निकलने पर इस बार सरकार बदल देंगे.

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आलू की पैदावार और भाव.

किसानों का दावा है कि इस बार आलू की लागत 950 रुपये आई है. लेकिन एमएसपी 650 रुपये प्रति कुंतल है. इसके बावजूद भी सरकार आलू का एक्सपोर्ट कम कर रही है. कर एक्सपोर्ट करने से किसान कर्जदार हो जाएगा. आगरा के किसानों की केंद्र और यूपी सरकार से मांग है कि आलू का निर्यात पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान और अन्य देशों में ज्यादा से ज्यादा करें. कम से कम यूपी के कुल आलू उत्पादन का 50 प्रतिशत निर्यात करने से किसान कर्जदार होने से बच जाएंगे.

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किसानों की आलू में लागत.

किसान रामचंद्र ने कहा कि इसबार आलू की अच्छी पैदावार हुई है. लेकिन प्रदेश सरकार किसानों के साथ अच्छा काम नहीं कर रही है. आलू की एमएसपी कम है. इसके साथ ही सरकार आलू का निर्यात भी कम कर रही है. जिससे किसान अच्छी पैदावार होने के बाद भी परेशान हैं. किसान धर्मेंद्र का कहना है कि समस्या का समाधान नहीं तो सरकार बदल देंगे. सरकार आलू का निर्यात बहुत कम कर रही है. प्रदेश में कम से कम 50 प्रतिशत आलू का निर्यात होना चाहिए. केंद्र सरकार और यूपी सरकार को पडोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और अन्य देशों में आलू निर्यात करना चाहिए. यदि केंद्र सरकार और यूपी सरकार ने मिलकर समस्या का समाधान नहीं निकाला तो किसान सरकार ही बदल देंगे. देश के आलू उत्पादन का 25 प्रतिशत निर्यात होना ही चाहिए.

भारतीय किसान यूनियम (टिकैत) के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानिया ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनूसार आलू में किसानों की लागत 950 से 1000 रुपये आई है. किसान यूनियन ने केंद्र और यूपी सरकार को जनवरी में ही चेता दिया था कि इस बार आलू की बंपर पैदावार होगी. इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने चिट्ठी लिखी. लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मलेशिया और नेपाल में कम आलू भेजा गया है. अगर भारत के आलू उत्पादन का 25 प्रतिशत निर्यात कर दिया जाए तो किसानों को लाभ हो जाएगा. उप निदेशक उद्यान विभाग आगरा मंडल का कहना है कि आलू को दक्षिण भारत के सभी प्रदेशों के साथ ही मलेशिया, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, नेपाल समेत अन्य देशों में भेजा जा रहा है.

बता दें कि यूपी में सबसे बड़ा आलू उत्पादक जनपद आगरा है. इस बार आगरा में आलू की बंपर पैदावार हुई है. जिससे आलू किसानों के चेहरों पर खुशी छा गई है. लेकिन सरकार द्वारा आलू के 650 रुपये प्रति कुंतल एमएसपी से किसान दुखी हैं. किसानों ने बताया कि आलू की खेती में प्रति कुंतल 950 से 1000 रुपए की कुल लागत आई है. इतने कम दाम होने से किसानों का कहना है कि वह मिट्टी में मिल जाएंगे.

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