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रक्षा मंत्रालय ने डाक से भेजा शौर्य चक्र, शहीद के पिता ने किया लेने से इनकार, कहा प्रोटोकॉल के साथ लेंगे सम्मान

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Published : Sep 9, 2022, 7:47 PM IST

Updated : Sep 9, 2022, 8:39 PM IST

पांच साल पहले आगरा के सपूत शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया को शौर्य चक्र देने का ऐलान किया गया था. पारिवारिक विवाद के कारण उनके परिजन राष्ट्रपति से यह सम्मान नहीं ले सके. रक्षा मंत्रालय ने उनके पिता को डाक के माध्यम से शौर्य चक्र भेजा था (Defense Ministry sent Shaurya Chakra by post), जिसे लेने से उन्होंने इनकार कर दिया. उनके पिता दिल्ली जाकर पूरे प्रोटोकॉल के तहत इस सम्मान को लेना चाहते हैं.

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आगरा : करीब पांच साल पहले जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के माता-पिता ने डाक से भेजे गए शौर्य चक्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. शहीद के परिजनों का कहना है कि उन्हें प्रोटोकॉल के तहत राष्ट्रपति के हाथों बेटे का शौर्य चक्र दिया जाए.


शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया मूलरूप से आगरा की बाह तहसील के गांव तालपुरा केंजरा के रहने वाले थे. शहीद के चचेरे भाई पवन भदौरिया ने बताया कि इन दिनों उनकी माता जयश्री और पिता मुनीम सिंह भदौरिया गुजरात के अहमदाबाद बापू नगर में रहते हैं. मुंबई के होटल ताज पर आतंकी हमले के दौरान बहादुरी दिखाने वाले लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया 2017 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में शहीद हो गए थे. तब भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र देने की घोषणा की थी. हालांकि पारिवारिक विवाद के बाद उनके माता-पिता वीरता पदक को नहीं ले सके. 5 सितंबर रक्षा मंत्रालय ने उन्हें डाक से शौर्य चक्र भेजा था (Defense Ministry sent Shaurya Chakra by post), जिसे स्वीकार करने से गोपाल सिंह भदौरिया के पिता मुनीम सिंह भदौरिया ने इनकार कर दिया. मुनीम सिंह भदौरिया का कहना है कि वह यह सम्मान 26 जनवरी या 15 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में पूरे प्रोटोकॉल के साथ लेंगे.

शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के परिजनों ने किया शौर्य चक्र लेने से इनकार.
Shaheed gopal singh bhadauriya
शहीद गोपाल सिंह भदौरिया के माता पिता चाहते हैं कि उनके बेटे का सम्मान पूरे प्रोटोकॉल के साथ दिया जाए.

होटल ताज को भी कराया था आतंकियों से मुक्त : शहीद गोपाल सिंह भदौरिया (gopal singh bhadauriya) 2003 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) में कमांडो की ट्रेनिंग ली थी.गोपाल सिंह भदौरिया को अरुणाचल प्रदेश में सेवा देने पर सैन्य सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया था. 26 नवम्बर 2008 को मुंबई के ताज होटल में हुए हमले के बाद गोपाल आर्मी के हीरो बन गए. उन्होंने अपनी साथी कमांडो के साथ मिलकर ताज होटल में आतंकियों से मुक्त कराया था. तब इस ऑपरेशन में सभी आतंकी मारे गए थे. उनकी अदम्य वीरता के लिए सरकार ने उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया था. इसके बाद गोपाल एनएसजी के कई अभियान का हिस्सा बने. फरवरी 2017 में उन्हें जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन की कमान दी गई. वहां एक घर में 9 आतंकी घुसे थे. एनएसजी कमांडो गोपाल सिंह भदौरिया ने कार्रवाई करते हुए 4 आतंकवादियों को ढेर कर दिया मगर खुद भी वीरगति को प्राप्त हुए. इस वीरता के लिए सरकार ने उन्हें शौर्य चक्र देने की घोषणा की थी.

Defense Ministry sent Shaurya Chakra
आगरा के बाह में शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया की प्रतिमा युवाओं को प्रेरणा दे रही है.

परिवारिक कारणों से नहीं ले सके सम्मान : शहीद के पिता मुनीम सिंह भदौरिया ने बताया कि पारिवारिक विवाद के कारण शहीद के परिजन शौर्य चक्र सम्मान प्राप्त नहीं कर सके थे. दरअसल 2011 में गोपाल सिंह भदौरिया का पत्नी हेमावती से तलाक हो गया. तलाक के कारण नियम के तहत वह शौर्य चक्र ग्रहण करने और इससे जुड़ी हुई सुविधा लेने की हकदार नहीं रही. घर में इस बात पर विवाद हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने शहीद के माता-पिता के पक्ष को स्वीकार किया और शौर्य चक्र को हेमावती को देने पर रोक लगा दी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि मरणोपरांत शहीद का सम्मान और सुविधाएं उनके माता-पिता को दिया जाए.

Defense Ministry sent Shaurya Chakra
आगरा में शहीद के गांव में उनके नाम पर गेट बनाया गया है.

प्रोटोकॉल के साथ ग्रहण करेंगे सम्मान : मुनीम सिंह भदौरिया ने बताया कि पिछले 5 सितंबर को डाक के माध्यम से उनके बेटे को मिला शौर्यचक्र उनके पास आया था. रक्षा मंत्रालय की ओर से भेजे गए इस सम्मान को लेने से उन्होंने इनकार कर दिया. उनका कहना है कि वह इंडियन आर्मी और सरकार का सम्मान करते हैं, मगर वह अपने बेटे की जाबांजी के लिए मिलने वाले शौर्य चक्र को पूरे प्रोटोकॉल के तहत लेना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि शौर्य चक्र सम्मान के हकदार शहीद के माता-पिता को सूचना देकर बुलाया जाता है, मगर उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई. जब कोई दिल्ली आने से मना कर देता है तब डाक से पदक भेजा जाता है. शौर्य चक्र सम्मान को प्रोटोकॉल के साथ महामहिम राष्ट्रपति ही देते हैं. उनका कहना है कि शहीद होने के बाद बेटे का सम्मान प्रोटोकॉल के साथ महामहिम राष्ट्रपति से ही लेंगे.

पढ़ें : जन्मदिन विशेषः कारगिल युद्ध में कई गोलियां लगने के बावजूद भी दुश्मन के छक्के छुड़ाए थे योगेंद्र सिंह


आगरा : करीब पांच साल पहले जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के माता-पिता ने डाक से भेजे गए शौर्य चक्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. शहीद के परिजनों का कहना है कि उन्हें प्रोटोकॉल के तहत राष्ट्रपति के हाथों बेटे का शौर्य चक्र दिया जाए.


शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया मूलरूप से आगरा की बाह तहसील के गांव तालपुरा केंजरा के रहने वाले थे. शहीद के चचेरे भाई पवन भदौरिया ने बताया कि इन दिनों उनकी माता जयश्री और पिता मुनीम सिंह भदौरिया गुजरात के अहमदाबाद बापू नगर में रहते हैं. मुंबई के होटल ताज पर आतंकी हमले के दौरान बहादुरी दिखाने वाले लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया 2017 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में शहीद हो गए थे. तब भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र देने की घोषणा की थी. हालांकि पारिवारिक विवाद के बाद उनके माता-पिता वीरता पदक को नहीं ले सके. 5 सितंबर रक्षा मंत्रालय ने उन्हें डाक से शौर्य चक्र भेजा था (Defense Ministry sent Shaurya Chakra by post), जिसे स्वीकार करने से गोपाल सिंह भदौरिया के पिता मुनीम सिंह भदौरिया ने इनकार कर दिया. मुनीम सिंह भदौरिया का कहना है कि वह यह सम्मान 26 जनवरी या 15 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में पूरे प्रोटोकॉल के साथ लेंगे.

शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के परिजनों ने किया शौर्य चक्र लेने से इनकार.
Shaheed gopal singh bhadauriya
शहीद गोपाल सिंह भदौरिया के माता पिता चाहते हैं कि उनके बेटे का सम्मान पूरे प्रोटोकॉल के साथ दिया जाए.

होटल ताज को भी कराया था आतंकियों से मुक्त : शहीद गोपाल सिंह भदौरिया (gopal singh bhadauriya) 2003 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) में कमांडो की ट्रेनिंग ली थी.गोपाल सिंह भदौरिया को अरुणाचल प्रदेश में सेवा देने पर सैन्य सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया था. 26 नवम्बर 2008 को मुंबई के ताज होटल में हुए हमले के बाद गोपाल आर्मी के हीरो बन गए. उन्होंने अपनी साथी कमांडो के साथ मिलकर ताज होटल में आतंकियों से मुक्त कराया था. तब इस ऑपरेशन में सभी आतंकी मारे गए थे. उनकी अदम्य वीरता के लिए सरकार ने उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया था. इसके बाद गोपाल एनएसजी के कई अभियान का हिस्सा बने. फरवरी 2017 में उन्हें जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन की कमान दी गई. वहां एक घर में 9 आतंकी घुसे थे. एनएसजी कमांडो गोपाल सिंह भदौरिया ने कार्रवाई करते हुए 4 आतंकवादियों को ढेर कर दिया मगर खुद भी वीरगति को प्राप्त हुए. इस वीरता के लिए सरकार ने उन्हें शौर्य चक्र देने की घोषणा की थी.

Defense Ministry sent Shaurya Chakra
आगरा के बाह में शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया की प्रतिमा युवाओं को प्रेरणा दे रही है.

परिवारिक कारणों से नहीं ले सके सम्मान : शहीद के पिता मुनीम सिंह भदौरिया ने बताया कि पारिवारिक विवाद के कारण शहीद के परिजन शौर्य चक्र सम्मान प्राप्त नहीं कर सके थे. दरअसल 2011 में गोपाल सिंह भदौरिया का पत्नी हेमावती से तलाक हो गया. तलाक के कारण नियम के तहत वह शौर्य चक्र ग्रहण करने और इससे जुड़ी हुई सुविधा लेने की हकदार नहीं रही. घर में इस बात पर विवाद हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने शहीद के माता-पिता के पक्ष को स्वीकार किया और शौर्य चक्र को हेमावती को देने पर रोक लगा दी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि मरणोपरांत शहीद का सम्मान और सुविधाएं उनके माता-पिता को दिया जाए.

Defense Ministry sent Shaurya Chakra
आगरा में शहीद के गांव में उनके नाम पर गेट बनाया गया है.

प्रोटोकॉल के साथ ग्रहण करेंगे सम्मान : मुनीम सिंह भदौरिया ने बताया कि पिछले 5 सितंबर को डाक के माध्यम से उनके बेटे को मिला शौर्यचक्र उनके पास आया था. रक्षा मंत्रालय की ओर से भेजे गए इस सम्मान को लेने से उन्होंने इनकार कर दिया. उनका कहना है कि वह इंडियन आर्मी और सरकार का सम्मान करते हैं, मगर वह अपने बेटे की जाबांजी के लिए मिलने वाले शौर्य चक्र को पूरे प्रोटोकॉल के तहत लेना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि शौर्य चक्र सम्मान के हकदार शहीद के माता-पिता को सूचना देकर बुलाया जाता है, मगर उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई. जब कोई दिल्ली आने से मना कर देता है तब डाक से पदक भेजा जाता है. शौर्य चक्र सम्मान को प्रोटोकॉल के साथ महामहिम राष्ट्रपति ही देते हैं. उनका कहना है कि शहीद होने के बाद बेटे का सम्मान प्रोटोकॉल के साथ महामहिम राष्ट्रपति से ही लेंगे.

पढ़ें : जन्मदिन विशेषः कारगिल युद्ध में कई गोलियां लगने के बावजूद भी दुश्मन के छक्के छुड़ाए थे योगेंद्र सिंह


Last Updated : Sep 9, 2022, 8:39 PM IST
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