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गांधी जयंती 2020: दयनीय हो गई है संग्रहालय स्थित गांधी स्मारक की स्थिति

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है. समूचा जनमानस उन्हें नमन कर रहा है. देश व दुनिया में गांधी जी से जुड़े कई यादगार पल आज भी मौजूद हैं. इन्हीं में से एक आगरा स्थित गांधी स्मारक भी है, लेकिन आज प्रशासन की लापरवाही के चलते यहां की स्थिति दयनीय है.

गांधीजी की प्रतिमा पर लगा एक चश्मा टूटा.
गांधीजी की प्रतिमा पर लगा एक चश्मा टूटा.
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Published : Oct 2, 2020, 2:35 PM IST

Updated : Oct 2, 2020, 5:08 PM IST

आगरा: देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती मना रहा है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आगरा जिले से पुराना नाता रहा है. गांधीजी ने आगरा जिले में 11 दिनों का स्वास्थ्य लाभ किया था. यहां पर आजादी की लड़ाई की रणनीति बनाई और लोगों को आजादी का महत्व समझाया.

महात्मा गांधी की यादों को संजोए रखने के लिए जिले में गांधी स्मारक बनाया गया. पीएम मोदी ने जिनके नाम पर स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की, उन्हीं गांधी जी का प्रतिमा स्थल डलाबघर बन गया है. संग्रहालय में कहीं गांधीजी की लाठी टूटी हुई है तो कहीं मूर्ति पर लगा चश्मा टूट गया है. चरखा दो साल से टूटा हुआ है, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है.

स्पेशल रिपोर्ट.

आगरा में ठहरे थे 11 दिन
स्वतंत्रता आंदोलन के समय 10 सितंबर 1929 को वृहद जनसंपर्क अभियान के तहत महात्मा गांधी आगरा आए थे. इस दौरान गांधी जी अस्वस्थ हो गए थे तो वे आगरा व्यवसायी रामकृष्ण मेहरा के निवेदन पर यमुनापार स्थित एत्माउद्दौला स्मारक निकट एक भवन में ठहरे थे. रामकृष्ण मेहरा के घर गांधी जी अतिथि बनकर रहे थे. गांधीजी 10 से 21 सितंबर तक इसी भवन में ठहरे थे. इन 11 दिनों में गांधीजी ने 'बेबी ताज' (एत्माउद्दौला) के पास स्थित दो मंजिला भवन में स्वास्थ्य लाभ लिया.

व्यपारी ने गांधी स्मारक के लिए दान में दिया भवन

साल 1948 में गांधीजी के निधन पर व्यावसायी रामकृष्ण मेहरा के बेटे बृजमोहन दास मेहरा ने इस भवन को गांधी स्मारक के लिए दान में दे दिया. मुख्य भवन मराठा शैली में निर्मित दो मंजिला भवन है. वर्षों तक यह भवन नगर प्रसूति अस्पताल, जच्चा-बच्चा कल्याण केन्द्र और आयुर्वेदिक चिकित्सालय के रूप में संचालित रहा. साल 2015 में जीर्णोद्धार के उपरांत इसे गांधी स्मारक एवं संग्रहालय के रूप में पुनर्जीवित किया गया.

गांधी स्मारक पर महात्मा गांधी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं और उनके समय के महत्वपूर्ण पलों की वृहद चित्र प्रदर्शनी है. संग्रहालय में चरखा चलाते हुए गांधीजी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. इस प्रतिमा की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि चरखा और चश्मा दोनों टूटे हुए हैं. हर साल दो अक्टूबर को स्थानीय कांग्रेस नेता, सत्ता दल के नेता, जिला प्रशासन और नगर निगम अधिकारी गांधी स्मारक पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल होते हैं. बावजूद इसके प्रतिमा पर लगे की टूटे फूटे सामानों की मरम्मत नहीं कराई गई.

स्मारक को सजोने के लिए नहीं हुए काम

गांधी जी की यादों को सजोने के लिए इस स्मारक में अन्य तमाम कार्य भी होने थे, वे भी अभी तक नहीं कराये गए. राजश्री टॉकीज के पास नाले पर गांधी जी की प्रतिमा को सन् 1989 में लगाया गया था. आज एक कोने में गांधीजी की मूर्ति लगी हुई है. मूर्ति स्थल डलाबघर बन गया है. वहां पर कचरा ढोने वाली हथगाड़ी खड़ी रहती हैं, गंदे जानवर जमा रहते हैं, सीवर का पानी भर जाता है, लेकिन इस पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा.

इस क्षेत्र के तत्कालीन पार्षद अमरनाथ जादूगर का कहना है कि यहां पर नाला और डलाबघर होने की वजह से सभी लोग परेशान थे. इसको लेकर आंदोलन और धरना प्रदर्शन भी हुए. इसके बाद गांधी जी की प्रतिमा को नाले पर चबूतरा बना कर लगाया गया था, लेकिन उनके कार्यकाल के बाद जब नाले की सफाई हुई तो नाले पर बने चबूतरे को हटा दिया गया और प्रतिमा को नाले पर एक किनारे स्थापित कर दिया गया.

पेट विकार का कराया था इलाज
वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना का कहना है कि गांधी जी आगरा चार बार आए थे. सन् 1929 में गांधीजी 11 दिन आगरा में रहे. उस समय गांधीजी को पेट में विकार था, इसीलिए वे यहां आए थे. आज जिस स्थान पर गांधी स्मारक है, एक समय में वहां पर कुंआ होता था. पुराने समय में उसी कुंए के पानी से वैद्य लोग पेट के विकार ठीक होने का दावा करते थे. यही कारण है कि गांधी जी उस स्थान पर रहे थे.

नगर निगम चलाएगा विशेष अभियान
मेयर नवीन जैन ने बताया कि, शहर भर में जहां कहीं भी महात्मा गांधी की मूर्तियां लगी हैं, वहां पर नगर निगम की ओर से विशेष सफाई अभियान चलाया जाएगा. इसका निर्णय कर लिया गया है. सफाई अभियान शहर भर में भी चल रहा है. गांधी जयंती पर भारतीय जनता पार्टी एमसी की ओर से रोड पर रावली मंदिर के पास स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर स्वच्छता अभियान की शुरुआत की गई. साथ ही शहर में जिस भी जगह पर गांधीजी की प्रतिमा क्षतिग्रस्त है, उनकी मरम्मत की जा रही है.

आगरा: देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती मना रहा है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आगरा जिले से पुराना नाता रहा है. गांधीजी ने आगरा जिले में 11 दिनों का स्वास्थ्य लाभ किया था. यहां पर आजादी की लड़ाई की रणनीति बनाई और लोगों को आजादी का महत्व समझाया.

महात्मा गांधी की यादों को संजोए रखने के लिए जिले में गांधी स्मारक बनाया गया. पीएम मोदी ने जिनके नाम पर स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की, उन्हीं गांधी जी का प्रतिमा स्थल डलाबघर बन गया है. संग्रहालय में कहीं गांधीजी की लाठी टूटी हुई है तो कहीं मूर्ति पर लगा चश्मा टूट गया है. चरखा दो साल से टूटा हुआ है, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है.

स्पेशल रिपोर्ट.

आगरा में ठहरे थे 11 दिन
स्वतंत्रता आंदोलन के समय 10 सितंबर 1929 को वृहद जनसंपर्क अभियान के तहत महात्मा गांधी आगरा आए थे. इस दौरान गांधी जी अस्वस्थ हो गए थे तो वे आगरा व्यवसायी रामकृष्ण मेहरा के निवेदन पर यमुनापार स्थित एत्माउद्दौला स्मारक निकट एक भवन में ठहरे थे. रामकृष्ण मेहरा के घर गांधी जी अतिथि बनकर रहे थे. गांधीजी 10 से 21 सितंबर तक इसी भवन में ठहरे थे. इन 11 दिनों में गांधीजी ने 'बेबी ताज' (एत्माउद्दौला) के पास स्थित दो मंजिला भवन में स्वास्थ्य लाभ लिया.

व्यपारी ने गांधी स्मारक के लिए दान में दिया भवन

साल 1948 में गांधीजी के निधन पर व्यावसायी रामकृष्ण मेहरा के बेटे बृजमोहन दास मेहरा ने इस भवन को गांधी स्मारक के लिए दान में दे दिया. मुख्य भवन मराठा शैली में निर्मित दो मंजिला भवन है. वर्षों तक यह भवन नगर प्रसूति अस्पताल, जच्चा-बच्चा कल्याण केन्द्र और आयुर्वेदिक चिकित्सालय के रूप में संचालित रहा. साल 2015 में जीर्णोद्धार के उपरांत इसे गांधी स्मारक एवं संग्रहालय के रूप में पुनर्जीवित किया गया.

गांधी स्मारक पर महात्मा गांधी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं और उनके समय के महत्वपूर्ण पलों की वृहद चित्र प्रदर्शनी है. संग्रहालय में चरखा चलाते हुए गांधीजी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. इस प्रतिमा की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि चरखा और चश्मा दोनों टूटे हुए हैं. हर साल दो अक्टूबर को स्थानीय कांग्रेस नेता, सत्ता दल के नेता, जिला प्रशासन और नगर निगम अधिकारी गांधी स्मारक पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल होते हैं. बावजूद इसके प्रतिमा पर लगे की टूटे फूटे सामानों की मरम्मत नहीं कराई गई.

स्मारक को सजोने के लिए नहीं हुए काम

गांधी जी की यादों को सजोने के लिए इस स्मारक में अन्य तमाम कार्य भी होने थे, वे भी अभी तक नहीं कराये गए. राजश्री टॉकीज के पास नाले पर गांधी जी की प्रतिमा को सन् 1989 में लगाया गया था. आज एक कोने में गांधीजी की मूर्ति लगी हुई है. मूर्ति स्थल डलाबघर बन गया है. वहां पर कचरा ढोने वाली हथगाड़ी खड़ी रहती हैं, गंदे जानवर जमा रहते हैं, सीवर का पानी भर जाता है, लेकिन इस पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा.

इस क्षेत्र के तत्कालीन पार्षद अमरनाथ जादूगर का कहना है कि यहां पर नाला और डलाबघर होने की वजह से सभी लोग परेशान थे. इसको लेकर आंदोलन और धरना प्रदर्शन भी हुए. इसके बाद गांधी जी की प्रतिमा को नाले पर चबूतरा बना कर लगाया गया था, लेकिन उनके कार्यकाल के बाद जब नाले की सफाई हुई तो नाले पर बने चबूतरे को हटा दिया गया और प्रतिमा को नाले पर एक किनारे स्थापित कर दिया गया.

पेट विकार का कराया था इलाज
वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना का कहना है कि गांधी जी आगरा चार बार आए थे. सन् 1929 में गांधीजी 11 दिन आगरा में रहे. उस समय गांधीजी को पेट में विकार था, इसीलिए वे यहां आए थे. आज जिस स्थान पर गांधी स्मारक है, एक समय में वहां पर कुंआ होता था. पुराने समय में उसी कुंए के पानी से वैद्य लोग पेट के विकार ठीक होने का दावा करते थे. यही कारण है कि गांधी जी उस स्थान पर रहे थे.

नगर निगम चलाएगा विशेष अभियान
मेयर नवीन जैन ने बताया कि, शहर भर में जहां कहीं भी महात्मा गांधी की मूर्तियां लगी हैं, वहां पर नगर निगम की ओर से विशेष सफाई अभियान चलाया जाएगा. इसका निर्णय कर लिया गया है. सफाई अभियान शहर भर में भी चल रहा है. गांधी जयंती पर भारतीय जनता पार्टी एमसी की ओर से रोड पर रावली मंदिर के पास स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर स्वच्छता अभियान की शुरुआत की गई. साथ ही शहर में जिस भी जगह पर गांधीजी की प्रतिमा क्षतिग्रस्त है, उनकी मरम्मत की जा रही है.

Last Updated : Oct 2, 2020, 5:08 PM IST
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