आगराः रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) अब रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा के साथ ही लोगों की खुशियां भी लौटा रहा है. आरपीएफ 'नन्हें फरिश्ते' ऑपरेशन से सफर में 'अपनों' से बिछड़े, 'अपनों' की डांट-फटकार से घर छोड़ने वाले बच्चे, बच्ची, किशोर और किशोरियों को सुरक्षित परिजन से मिलाने का काम कर रहा है. बीते 10 माह में आरपीएफ ने देशभर में 17 हजार से ज्यादा बच्चे, किशोर और किशोरियां सुरक्षित परिजनों को सुपुर्द किया है. जिससे ये सब अपराधियों के चंगुल में फंसने से बच गए.
केस नंबर एक- ताजमहल देखने को छोड़ दिया था घर
21 नवंबर-2022 को दिल्ली से 2 किशोर ताजमहल देखने के लिए घर छोड़ आगरा कैंट स्टेशन पर पहुंच गए. जब दोनों आगरा स्टेशन पर संदिग्ध घूमते मिले तो आरपीएफ की नजर उन पर गई. दोनों किशोर से पूछताछ की तो पूरी कहानी सामने आई. इसके बाद आरपीएफ ने चाइल्ड लाइन की मदद से दोनों किशोरों को सुरक्षित उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया.
केस नंबर दो- परीक्षा के डर से छोड़ा दिया घर
14 दिसंबर-2022 को राजस्थान के सिरोही जिले से 2 किशोर परीक्षा में कम नंबर आने पर घर छोड़ कर भाग निकले. जहां आगरा रेलवे स्टेशन पर दोनों किशोरों पर आरपीएफ की नजर उन पर पड़ी. आरपीएफ द्वारा दोनों किशोरों की काउंसलिंग की गई. आरपीएफ ने दोनों किशोरों के बताए मोबाइल नंबर से परिजनों को सूचना दी. जिसके बाद आरपीएफ ने दोनों किशोरों को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया.
केस नंबर तीन- बॉयफ्रेंड के साथ घर से भागी
23 जनवरी -2023 को आगरा कैंट स्टेशन पर बिहार के छपरा के युवक के साथ एक किशोरी दिखे. जहां आरपीएफ और जीआरपी की नजर उस किशोर और किशोरी पर पड़ी. इस पर किशोरी की काउंसलिंग पर उसके बॉयफ्रेंड को आरपीएफ ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. साथ ही किशोरी को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया.
वहीं, आरपीएफ की वजह से 10 माह में कुल 17 हजार से ज्यादा बच्चे, बच्चियां, किशोर और किशोरियां सुरक्षित 'अपनों' के पास पहुंची हैं. आरपीएफ का 'नन्हें फरिश्ते' ऑपरेशन बच्चे, किशोर और किशोरियों को मानव तस्करी गिरोह या अन्य आपराधिक गिरोह के चंगुल में फंसने से बचा रहा है. इससे आरपीएफ कच्ची उमर में राह से भटक रहे किशोर-किशोरियों को सही रास्ते पर लाकर उनका भविष्य संवार रहा है.
चाइल्ड लाइन करती नाबालिगों की काउंसलिंग
आगरा रेलवे चाइल्डलाइन के कोऑर्डिनेटर धीरज कुमार ने बताया कि, जब कोई बच्चा, किशोर या किशोरी स्टेशन पर मिलते है. इसकी सूचना आरपीएफ से जब चाइल्ड लाइन को मिलती है, तो चाइल्ड हेल्प डेस्क की टीम पूरी कागजी कार्रवाई करके बच्चे, किशोर और किशोरियों का मेडिकल कराकर उन्हें बाल किशोर बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करती है. फिर उनकी काउंसलिंग की जाती है. काउंसलिंग में बच्चों के बिछड़ने, घर से भागने के साथ ही अन्य तमाम बिंदुओं की जानकारी जुटायी जाती है. जिससे उनके परिजनों से संपर्क किया जा सके. यदि परिजनों का सही पता नाबालिग नहीं बता पाते हैं, तो परिजनों के आने तक उन्हें आश्रय के लिए किशोरगृह भेज दिया जाता है. इसके साथ ही चाइल्ड लाइन अन्य अभियान के तहत बच्चे, किशोर और किशोरियों की काउंसलिंग करके उन्हें अपनों से मिलाने के साथ ही आश्रय दिलाने का भरपूर प्रयास करती है.
रेल मंत्रालय की ओर चलाया जा रहा ऑपरेशन
उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के आगरा मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि, रेल मंत्रालय की ओर से 'नन्हे फरिश्ते' ऑपरेशन चलाया जा रहा है. यह ऑपरेशन आरपीएफ देशभर में चला रही है. ऑपरेशन 'नन्हें फरिश्ते' के तहत ट्रेन के सफर के दौरान परिजनों से जो बच्चे बिछड़ जाते हैं. ट्रेन में गुम हो जाते हैं. किसी अन्य वजह से बच्चे, किशोर और किशोरियां घर छोड़ कर ट्रेन में सफर करते हैं. ऐसे नाबालिग बच्चों को आरपीएफ चिन्हित करके अपने संरक्षण में लेती है. फिर, ऐसे नाबालिगों को घर पहुंचाने और अपनों से मिलाने का काम करती है.
आगरा में 300 से ज्यादा नाबालिग अपनों से मिलाए
उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के आगरा मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि, रेल मंत्रालय की ओर से नेशनल लेवल पर एसओपी बनाकर 'नन्हे फरिश्ते' ऑपरेशन चलाया जा रहा है. बीते 10 माह की बात करें तो आरपीएफ ने देशभर में 'नन्हे फरिश्ते' ऑपरेशन के तहत 17 हजार से ज्यादा बच्चे, किशोर और किशोरियों को परिजनों से मिलाया है. आगरा मंडल की बात करें तो आगरा मंडल में भी आरपीफ ने 300 से ज्यादा बच्चों को सुरक्षित परिजनों के सुपुर्द किया है.
यह भी पढ़ें- Adani Group Pulls Out of PPP Model : रोडवेज के बस स्टेशनों को बनाने का टेंडर अडानी ग्रुप ने छोड़ा, जानिए वजह
RPF ने ऑपरेशन 'नन्हे फरिश्ते' से 17 हजार परिवार में लौटाई खुशियां, पढ़ें कुछ अनकही कहानियां - चाइल्डलाइन के कोऑर्डिनेटर धीरज कुमार
आगरा मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ( PRO Prashasti Srivastava) ने बताया कि, रेल मंत्रालय की ओर से 'नन्हे फरिश्ते' ऑपरेशन के माध्यम से आरपीएफ ने देश भर में 17 हजार से ज्यादा बच्चों, किशोर और किशोरियों को उनके परिजनों के हवाले किया है.
आगराः रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) अब रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा के साथ ही लोगों की खुशियां भी लौटा रहा है. आरपीएफ 'नन्हें फरिश्ते' ऑपरेशन से सफर में 'अपनों' से बिछड़े, 'अपनों' की डांट-फटकार से घर छोड़ने वाले बच्चे, बच्ची, किशोर और किशोरियों को सुरक्षित परिजन से मिलाने का काम कर रहा है. बीते 10 माह में आरपीएफ ने देशभर में 17 हजार से ज्यादा बच्चे, किशोर और किशोरियां सुरक्षित परिजनों को सुपुर्द किया है. जिससे ये सब अपराधियों के चंगुल में फंसने से बच गए.
केस नंबर एक- ताजमहल देखने को छोड़ दिया था घर
21 नवंबर-2022 को दिल्ली से 2 किशोर ताजमहल देखने के लिए घर छोड़ आगरा कैंट स्टेशन पर पहुंच गए. जब दोनों आगरा स्टेशन पर संदिग्ध घूमते मिले तो आरपीएफ की नजर उन पर गई. दोनों किशोर से पूछताछ की तो पूरी कहानी सामने आई. इसके बाद आरपीएफ ने चाइल्ड लाइन की मदद से दोनों किशोरों को सुरक्षित उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया.
केस नंबर दो- परीक्षा के डर से छोड़ा दिया घर
14 दिसंबर-2022 को राजस्थान के सिरोही जिले से 2 किशोर परीक्षा में कम नंबर आने पर घर छोड़ कर भाग निकले. जहां आगरा रेलवे स्टेशन पर दोनों किशोरों पर आरपीएफ की नजर उन पर पड़ी. आरपीएफ द्वारा दोनों किशोरों की काउंसलिंग की गई. आरपीएफ ने दोनों किशोरों के बताए मोबाइल नंबर से परिजनों को सूचना दी. जिसके बाद आरपीएफ ने दोनों किशोरों को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया.
केस नंबर तीन- बॉयफ्रेंड के साथ घर से भागी
23 जनवरी -2023 को आगरा कैंट स्टेशन पर बिहार के छपरा के युवक के साथ एक किशोरी दिखे. जहां आरपीएफ और जीआरपी की नजर उस किशोर और किशोरी पर पड़ी. इस पर किशोरी की काउंसलिंग पर उसके बॉयफ्रेंड को आरपीएफ ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. साथ ही किशोरी को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया.
वहीं, आरपीएफ की वजह से 10 माह में कुल 17 हजार से ज्यादा बच्चे, बच्चियां, किशोर और किशोरियां सुरक्षित 'अपनों' के पास पहुंची हैं. आरपीएफ का 'नन्हें फरिश्ते' ऑपरेशन बच्चे, किशोर और किशोरियों को मानव तस्करी गिरोह या अन्य आपराधिक गिरोह के चंगुल में फंसने से बचा रहा है. इससे आरपीएफ कच्ची उमर में राह से भटक रहे किशोर-किशोरियों को सही रास्ते पर लाकर उनका भविष्य संवार रहा है.
चाइल्ड लाइन करती नाबालिगों की काउंसलिंग
आगरा रेलवे चाइल्डलाइन के कोऑर्डिनेटर धीरज कुमार ने बताया कि, जब कोई बच्चा, किशोर या किशोरी स्टेशन पर मिलते है. इसकी सूचना आरपीएफ से जब चाइल्ड लाइन को मिलती है, तो चाइल्ड हेल्प डेस्क की टीम पूरी कागजी कार्रवाई करके बच्चे, किशोर और किशोरियों का मेडिकल कराकर उन्हें बाल किशोर बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करती है. फिर उनकी काउंसलिंग की जाती है. काउंसलिंग में बच्चों के बिछड़ने, घर से भागने के साथ ही अन्य तमाम बिंदुओं की जानकारी जुटायी जाती है. जिससे उनके परिजनों से संपर्क किया जा सके. यदि परिजनों का सही पता नाबालिग नहीं बता पाते हैं, तो परिजनों के आने तक उन्हें आश्रय के लिए किशोरगृह भेज दिया जाता है. इसके साथ ही चाइल्ड लाइन अन्य अभियान के तहत बच्चे, किशोर और किशोरियों की काउंसलिंग करके उन्हें अपनों से मिलाने के साथ ही आश्रय दिलाने का भरपूर प्रयास करती है.
रेल मंत्रालय की ओर चलाया जा रहा ऑपरेशन
उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के आगरा मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि, रेल मंत्रालय की ओर से 'नन्हे फरिश्ते' ऑपरेशन चलाया जा रहा है. यह ऑपरेशन आरपीएफ देशभर में चला रही है. ऑपरेशन 'नन्हें फरिश्ते' के तहत ट्रेन के सफर के दौरान परिजनों से जो बच्चे बिछड़ जाते हैं. ट्रेन में गुम हो जाते हैं. किसी अन्य वजह से बच्चे, किशोर और किशोरियां घर छोड़ कर ट्रेन में सफर करते हैं. ऐसे नाबालिग बच्चों को आरपीएफ चिन्हित करके अपने संरक्षण में लेती है. फिर, ऐसे नाबालिगों को घर पहुंचाने और अपनों से मिलाने का काम करती है.
आगरा में 300 से ज्यादा नाबालिग अपनों से मिलाए
उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के आगरा मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि, रेल मंत्रालय की ओर से नेशनल लेवल पर एसओपी बनाकर 'नन्हे फरिश्ते' ऑपरेशन चलाया जा रहा है. बीते 10 माह की बात करें तो आरपीएफ ने देशभर में 'नन्हे फरिश्ते' ऑपरेशन के तहत 17 हजार से ज्यादा बच्चे, किशोर और किशोरियों को परिजनों से मिलाया है. आगरा मंडल की बात करें तो आगरा मंडल में भी आरपीफ ने 300 से ज्यादा बच्चों को सुरक्षित परिजनों के सुपुर्द किया है.
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