आगरा : 'रक्तदान करें, जीवनदान करें'. यह तो आप सभी ने सुना है. मगर, क्या आप जानते हैं कि रक्तदान करना कितना फायदेमंद है. जो रक्त दूसरों की जान बचता है वो रक्तदाता को भी कई घातक बीमारियों से बचाता है. विश्च रक्तदाता दिवस पर ईटीवी भारत ने एसएन मेडिकल कॉलेज के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ नीतू चौहान से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि 'रक्तदान से दूसरों की जान तो बचती ही है. रक्तदाता भी हार्ट अटैक, कोलेस्ट्रॉल, लिवर सिरोसिस समेत अन्य बीमारियां कम हो जाती हैं, क्योंकि रक्तदान से नए रेड ब्लड सेल आरबीसी बनते हैं. जिससे आयरन की अधिकता कम होती है. इसके साथ ही रक्तदान करने के दौरान पांच बीमारियों की जांच भी फ्री में होती है.
बता दें कि खून की कमी से व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है. खून की जरूरत होने पर अगर समय से रक्त की पूर्ति न की जाए तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है. खून की कमी को पूरा करके जीवन की रक्षा रक्तदान से की जा सकती है. एक स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान करके तीन जरूरतमंद का जीवन बचा सकता है.
ब्लड डोनेशन के फायदे : एसएन मेडिकल कॉलेज के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीतू चौहान बताती हैं कि 'जब भी कोई ब्लड डोनेट करता है तो उनकी बॉडी में एरिथ्रोपीटिन हार्मोन रिलीज होता है. जिससे नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है. जिससे ब्लड डोनेट करने वाले में ब्रेन हेमरेज की संभावना घटती है. इसके साथ जो मरीज माइग्रेन से ग्रसित होते हैं. उन्हें माइग्रेन में फायदा होता है. इसके साथ ही ब्लड डोनेट करने से हार्ट अटैक का खतरा भी कम हो जाता है. डॉ. नीतू चौहान बताती हैं कि जो व्यक्ति ब्लड डोनेट करता है, उसकी बॉडी में आयरन का लेवल घटता है. जिससे आयरन की वजह से जो ओवरलोडिंग से जो डिजीज होती है उनकी संभावना कम हो जाती है. जैसे लिवर सिरोसिस आयरन ओवरलोडिंग की वजह से होती है. ब्लड डोनेट करने से बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं, जिससे डोनर का बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है.'
ये लोग कर सकते हैं ब्लड डोनेट : एसएन मेडिकल कॉलेज के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीतू चौहान बताती हैं कि, 'एक स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 65 साल के बीच है वो रक्तदान कर सकता है. डोनर का ह्यूमोग्लोबिन का स्तर 12.5 से ज्यादा होना चाहिए. कम से कम 45 किलोग्राम वजन होना चाहिए. ब्लड प्रेशर और पल्सरेट नॉर्मल होनी चाहिए. यदि कोई व्यक्ति किसी लंबे रोग से ग्रसित है. जैसे टीबी या टायफाइड से ग्रसित है तो उसे एक साल तक ब्लड डोनेट नहीं करने की सलाह देते हैं. इसके साथ ही जिन्हें थाइराइड डिसआर्डर है, इंसुलिन की कमी से डायबिटीज है, डायबिटीज का मरीज इंसुनिल नहीं ले रहा है, ओरल दवाएं चल रही हैं वे भी ब्लड डोनट कर सकते हैं. इसलिए लोगों से अपील है कि वे रक्तदान करें. दूसरों को जिंदगी दें.'
14 जून को मनाया जाता है रक्तदाता दिवस : ऑस्ट्रिया में जन्मे कार्ल लैंडस्टीनर ने 1900 में मुख्य रक्त समूहों का वर्गीकरण करके आधुनिक प्रणाली विकसित की थी. 1930 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार मिला. कार्ल लैंडस्टीनर का 14 जून को जन्मदिन है, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2004 में विश्व रक्तदान दिवस मनाने की शुरूआत की थी. रक्तदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए तभी से हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है.
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विश्व रक्तदाता दिवस की थीम : हर साल रक्तदाता दिवस की एक खास थीम होती है. इस साल विश्व रक्तदाता दिवस 2023 की थीम 'रक्त दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो' (Give blood, give plasma, share life, share often.) है.