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PF घोटाला: पॉवर एम्प्लाइज के फंसे अरबों रुपये, सरकार से गारंटी की डिमांड

जीपीएफ घोटाले में पॉवर एम्प्लाइज के अरबों रुपये फंस गए है, जिसे लेकर यूपी पॉवर कॉरपोरेशन के हजारों कर्मचारियों ने सरकार से जीपीएफ और सीपीएफ के पैसों की गारंटी की मांग की है.

पीएफ घोटाले में फंसे पॉवर एम्प्लाइज के फंसे अरबों रुपये.
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Published : Nov 5, 2019, 12:34 PM IST

आगरा: यूपी पॉवर कॉर्पोरेशन कर्मचारियों के जीपीएफ को ब्लैक लिस्टेड कंपनी में निवेश के मामले में ऊर्जा मंत्री सवालों के घेरे में आ गए हैं. वहीं अब पॉवर कॉर्पोरेशन के हजारों कर्मचारियों की मांग ने यूपी सरकार को सांसत में डाल दिया है. एम्प्लाइज अब जीपीएफ और सीपीएफ की गारंटी सरकार से मांग रहे हैं.

पीएफ घोटाले में फंसे पॉवर एम्प्लाइज के फंसे अरबों रुपये.

बता दें कि यूपी स्टेट पॉवर एंप्लाइज ट्रस्ट और यूपी पावर कॉर्पोरेशन अंशदाई भविष्य निधि ट्रस्ट की जीपीएफ और सीपीएफ की धनराशि निजी संस्था दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में नियम विरुद्ध निवेश की गई. इस मामले में तत्कालीन सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता और तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी को अरेस्ट कर लिया गया है.

अभियंता संघ के क्षेत्रीय सचिव वीपी सिंह का कहना है कि ट्रस्ट के जरिए जो भी पैसा गया है, उसके लिए ट्रस्ट के पदाधिकारी जिम्मेदार हैं. एक-दो के खिलाफ कार्रवाई करना हमारी नजर में सिर्फ आईवॉश है. जीपीएफ का पैसा कर्मचारी के बुढ़ापे की लाठी होता है. इस पैसे से कोई अपनी बेटी की शादी करता है तो कोई व्यापार या अन्य गांवों में लगाता है. अगर पैसा चला गया तो उनकी पूरी जिंदगी की कमाई चली गई. सरकार से हमारी मांग यही है कि सरकार जो कार्रवाई कर रही है, उसे तो करे. साथ ही कर्मचारियों की मेहनत की कमाई को दांव पर लगाया गया है, उसे दिलाने की सरकार गारंटी ले.

अभियंता संघ के आगरा शाखा सचिव ओपी गुप्ता ने कहा कि पूरे प्रदेश के 35 हजार अधिकारियों और कर्मचारियों के मेहनत की कमाई को दांव पर लगा दिया गया है. यह कोई छोटे स्तर का काम नहीं है. जिस तरह से कार्यवाही हो रही है वह सही नहीं है. छोटे कर्मचारी को इस में फंसा कर बड़े को बचाने का काम हो रहा है. एक कोई छोटा कर्मचारी इस तरह से कार्य नहीं कर सकता है, क्योंकि जब ट्रस्ट के अध्यक्ष की अनुमति के बिना चंद रुपए नहीं निकाले जा सकते हैं तो फिर इतनी भारी-भरकम रकम कैसे ऐसी असुरक्षित कंपनी में निवेश की गई. उन्होंने कहा कि बड़ी मछलियों पर भी शिकंजा कसा जाए, इसमें बड़े लोग भी शामिल हैं. पूरे प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी बस यही मांग कर रहे हैं कि उनका जो पैसा है उन्हें मिले और सरकार इस बारे में कर्मचारियों को लिखित आश्वासन दें.

35 हजार अधिकारी का काम करते हैं यूपी पावर कॉरपोरेशन
यूपी पावर कॉरपोरेशन में करीब 35 हजार अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिनका जीपीएफ और सीपीएफ का अरबों रुपए डीएचएफएल में फंस गया है. कर्मचारियों का सरकार से यह सवाल है कि भले ही अखिलेश राज में 21 अप्रैल 2014 में बोर्ड की मीटिंग में जीपीएफ को हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश करने का फैसला लिया गया हो, लेकिन 2017 से अब तक वर्तमान सरकार क्या कर रही थी, जिससे अरबों रुपए का घोटाला हो गया.

आगरा: यूपी पॉवर कॉर्पोरेशन कर्मचारियों के जीपीएफ को ब्लैक लिस्टेड कंपनी में निवेश के मामले में ऊर्जा मंत्री सवालों के घेरे में आ गए हैं. वहीं अब पॉवर कॉर्पोरेशन के हजारों कर्मचारियों की मांग ने यूपी सरकार को सांसत में डाल दिया है. एम्प्लाइज अब जीपीएफ और सीपीएफ की गारंटी सरकार से मांग रहे हैं.

पीएफ घोटाले में फंसे पॉवर एम्प्लाइज के फंसे अरबों रुपये.

बता दें कि यूपी स्टेट पॉवर एंप्लाइज ट्रस्ट और यूपी पावर कॉर्पोरेशन अंशदाई भविष्य निधि ट्रस्ट की जीपीएफ और सीपीएफ की धनराशि निजी संस्था दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में नियम विरुद्ध निवेश की गई. इस मामले में तत्कालीन सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता और तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी को अरेस्ट कर लिया गया है.

अभियंता संघ के क्षेत्रीय सचिव वीपी सिंह का कहना है कि ट्रस्ट के जरिए जो भी पैसा गया है, उसके लिए ट्रस्ट के पदाधिकारी जिम्मेदार हैं. एक-दो के खिलाफ कार्रवाई करना हमारी नजर में सिर्फ आईवॉश है. जीपीएफ का पैसा कर्मचारी के बुढ़ापे की लाठी होता है. इस पैसे से कोई अपनी बेटी की शादी करता है तो कोई व्यापार या अन्य गांवों में लगाता है. अगर पैसा चला गया तो उनकी पूरी जिंदगी की कमाई चली गई. सरकार से हमारी मांग यही है कि सरकार जो कार्रवाई कर रही है, उसे तो करे. साथ ही कर्मचारियों की मेहनत की कमाई को दांव पर लगाया गया है, उसे दिलाने की सरकार गारंटी ले.

अभियंता संघ के आगरा शाखा सचिव ओपी गुप्ता ने कहा कि पूरे प्रदेश के 35 हजार अधिकारियों और कर्मचारियों के मेहनत की कमाई को दांव पर लगा दिया गया है. यह कोई छोटे स्तर का काम नहीं है. जिस तरह से कार्यवाही हो रही है वह सही नहीं है. छोटे कर्मचारी को इस में फंसा कर बड़े को बचाने का काम हो रहा है. एक कोई छोटा कर्मचारी इस तरह से कार्य नहीं कर सकता है, क्योंकि जब ट्रस्ट के अध्यक्ष की अनुमति के बिना चंद रुपए नहीं निकाले जा सकते हैं तो फिर इतनी भारी-भरकम रकम कैसे ऐसी असुरक्षित कंपनी में निवेश की गई. उन्होंने कहा कि बड़ी मछलियों पर भी शिकंजा कसा जाए, इसमें बड़े लोग भी शामिल हैं. पूरे प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी बस यही मांग कर रहे हैं कि उनका जो पैसा है उन्हें मिले और सरकार इस बारे में कर्मचारियों को लिखित आश्वासन दें.

35 हजार अधिकारी का काम करते हैं यूपी पावर कॉरपोरेशन
यूपी पावर कॉरपोरेशन में करीब 35 हजार अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिनका जीपीएफ और सीपीएफ का अरबों रुपए डीएचएफएल में फंस गया है. कर्मचारियों का सरकार से यह सवाल है कि भले ही अखिलेश राज में 21 अप्रैल 2014 में बोर्ड की मीटिंग में जीपीएफ को हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश करने का फैसला लिया गया हो, लेकिन 2017 से अब तक वर्तमान सरकार क्या कर रही थी, जिससे अरबों रुपए का घोटाला हो गया.

Intro:आगरा.
डीएचएफएल घोटाले ने पॉवर कॉरपोरेशन के हजारों कर्मचारियों की खून पसीने की कमाई को खतरे में डाल दिया है. कर्मचारी अब सरकार से अपने डूबे अरबों रुपए की गारंटी मांग रहे हैं. डीवीवीएल में तैनात एसडीओ ओपी गुप्ता ने ट्वीट किया है. जिसमें यूपी पॉवर सेक्टर एम्पलाइज ट्रस्ट अध्यक्ष और यूपीपीसीएल के चेयरमैन आलोक कुमार और ट्रस्ट की सचिव अपर्णा यू की भूमिका पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इस बारे में पॉवर एम्प्लाइज का कहना है कि, ट्रस्ट के अध्यक्ष की अनुमति के बिना जब चंद रुपए नहीं निकाले जा सकते हैं, फिर इतनी भारी-भरकम रकम कैसे असुरक्षित कंपनी में निवेश की गई. इसकी जांच होनी चाहिए. इसके साथ ही डीवीवीएनएल के कर्मचारियों का यह भी कहना है कि सरकार को हमारे जीपीएफ की रकम दिलाने की गारंटी भी लेनी चाहिए.


Body:यूपी पॉवर कॉरपोरेशन कर्मचारियों के जीपीएफ को ब्लैक लिस्ट कंपनी में निवेश के मामले में जहां ऊर्जा मंत्री सवालों के घेरे में आ गए हैं. वहीं अब पॉवर कॉरपोरेशन के हजारों कर्मचारियों की मांग ने यूपी सरकार को सांसत में डाल दिया है. एम्प्लाइज अब जीपीएफ और सीपीएफ की गारंटी सरकार से मांग रहे हैं.

बता दें कि, उत्तर प्रदेश स्टेट पॉवर एंप्लाइज ट्रस्ट और उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन अंशदाई भविष्य निधि ट्रस्ट की जीपीएफ और सीपीएफ की धनराशि निजी संस्था दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में नियम नियम विरुद्ध निवेश की गई. इस मामले में तत्कालीन सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता और तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी को अरेस्ट कर लिया गया है. मगर बात इतनी भर नहीं है.

अभियंता संघ के क्षेत्रीय सचिव वीपी सिंह और अभियंता संघ के आगरा शाखा सचिव ओपी गुप्ता ने जांच में यूपी पॉवर सेक्टर एम्प्लाइज ट्रस्ट के अध्यक्ष और यूपीपीसीएल के चेयरमैन आलोक कुमार और ट्रस्ट की सचिव की भूमिका को लेकर सवाल खड़े किए हैं. ओपी गुप्ता ने बाकायदा एक ट्वीट भी किया है.
अभियंता संघ के क्षेत्रीय सचिव वीपी सिंह का कहना है कि, ट्रस्ट के जरिए जो भी पैसा गया है. उसके लिए ट्रस्ट के पदाधिकारी जिम्मेदार हैं. एक-दो के खिलाफ कार्यवाही करना हमारी नजर में सिर्फ आईवॉश है. जीपीएफ का पैसा कर्मचारी की बुढ़ापे की लाठी होता है. इस पैसे से कोई अपनी बेटी की शादी करता है तो कोई व्यापार या अन्य गांवों में लगाता है. अगर वही चला गया तो उनकी पूरी जिंदगी की कमाई चली गई. सरकार से हमारी मांग यही है कि सरकार जो कार्यवाही कर रही है, उसे तो करें. लेकिन कर्मचारियों की मेहनत की कमाई को दांव पर लगाया गया है. उसे दिलाने की सरकार गारंटी ले और कहे कि यह पैसा डूबेगा नहीं कर्मचारियों को जब जरूरत होगी. वह ले सकते हैं.

अभियंता संघ के आगरा शाखा सचिव ओपी गुप्ता ने तू इतना बड़ा घोटाला हुआ है. पूरे प्रदेश के 35000 अधिकारी और कर्मचारियों की मेहनत कमाई को दांव पर लगा दिया गया है. यह कोई छोटे स्तर का काम नहीं है. जिस तरह से कार्यवाही हो रही है वह सही नहीं है. छोटे कर्मचारी को इस में फंसा कर के बड़े को बचाने का काम हो रहा है. क्योंकि एक कोई छोटा कर्मचारी इस तरह से कार्य नहीं कर सकता है. क्योंकि, जब ट्रस्ट के अध्यक्ष की अनुमति के बिना चंद रुपए नहीं निकाले जा सकते हैं. तो फिर इतनी भारी-भरकम रकम कैसे ऐसी असुरक्षित कंपनी में निवेश की गई. इन दोनों अधिकारियों की भूमिका की जांच कराए जाने की मांग की है. उन्होंने की है जिससे बड़ी मछलियों को भी शिकंजा कसा जा सके. इसमें बड़े लोग भी शामिल हैं. पूरे प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी बस यही मांग कर रहे हैं कि उनका जो पैसा है उन्हें मिली सरकार इस बारे में लिखित आश्वासन दें.


Conclusion:यूपी पावर कॉरपोरेशन में करीब 35 हजार अधिकारी व कर्मचारी हैं. जिनका जीपीएफ और सीपीएफ का अरबों रुपए डीएचएफएल में फंस गया है. कर्मचारियों का सरकार से यह सवाल है कि भले ही अखिलेश राज में 21 अप्रैल 2014 में बोर्ड की मीटिंग में जीपीएफ को हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश करने का फैसला लिया गया हो, लेकिन 2017 से अब तक वर्तमान सरकार क्या कर रही थी. जिससे अरबों रुपए का घोटाला हो गया.

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पहली बाइट वीपी सिंह, क्षेत्रीय सचिव, अभियंता संघ की।
दूसरी बाइट ओपी गुप्ता, शाखा सचिव , अभियंता संघ की।
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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357

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