आगरा : देश के दुश्मनों यानि आतंकवादियों की फेवरेट दवा ताजनगरी से बरामद हुई है. नकली और नशीली दवा की तस्करी करने वाला एक गिरोह ऐसी दवा की भी तस्करी में शामिल है जो आतंकवादियों की पहली पसंद है. आगरा पुलिस और ड्रग्स विभाग की टीम ने तस्करों के गोदामों से 386.64 किलो ट्रामा डोल हाइड्रोक्लोराइड जब्त किया है. इसके टैबलेट्स और कैप्सूल लाखों की संख्या में हैं. यह गिरोह अपने नेटवर्क के जरिए देश के 6 राज्यों में ट्रामाडोल की तस्करी करता था.
साल 2008 के नवंबर महीने की 26 तारीख थी. जब मुंबई में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने हमला बोला था. इस हमले की जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि आतंकी ट्रामाडोल को अफीम के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और इसे फाइटर कहते हैं. पुलिस और ड्रग्स विभाग के छापे के दौरान जब ट्रामाडोल दवा बरामद हुई तो सभी के होश उड़ गए. 19 दिसंबर को गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया. गिरोह का सरगना पंकज गुप्ता उर्फ चंद्रकांत बताया जा रहा है और फिलहाल वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
देश की सीमा तक इस दवाई की सप्लाई होती थी. साफ है कि देश के दुश्मनों तक इन दवाओं को पहुंचाया जाता होगा. इतना ही नहीं, इन दवाओं का इस्तेमाल दुनिया के दूसरे आतंकी संगठन भी करते हैं. दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठनों में शुमार बोको हराम ISIS जैसे आतंकी सगंठन भी इस दवा का इस्तेमाल करते हैं. कहा तो यह भी जाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी इस नशीली दवा का इस्तेमाल करती है.
आतंकी क्यों करते हैं इस्तेमाल
- ट्रामाडोल नारकोटिक एनाल्जेसिक कैटेगरी की दवा है
- इसका इस्तेमाल सामान्य से गंभीर दर्द दूर करने के लिए किया जाता है
- ट्रामाडोल मस्तिष्क में दर्द रिसेप्टर सेल को बाधित करता है
- इस वजह से दर्द का अहसास कम हो जाता है
- यह दर्द पैदा करने वाले केमिकल्स के प्रभाव को बाधित करता है
यही वजह है कि आतंकवादी इस दवा का इस्तेमाल करते हैं. आगरा के एसएसपी बबलू कुमार का कहना है कि दवा तस्करी गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उनके पास से करीब साढ़े सात करोड़ रुपए की नशीली और अन्य दवाएं बरामद हुई हैं. गिरोह के सरगना समेत बाकी लोगों की तलाश तेज कर दी गई है.
इतने बड़े पैमाने पर तस्करी की दवाओं की बरामदगी ने पुलिस और ड्रग्स विभाग दोनों के माथे पर पसीना ला दिया है. अब देखना है कि गिरोह का सरगना पंकज गुप्ता कब पुलिस की गिरफ्त में आता है.