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सावधान! अगर आप भी हैं ईयरफोन के शौकीन तो जान लें कितना है नुकसानदायक - ENT department of SNMC

अगर आप भी खाली समय बीताने के लिए ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं, तो जरा सावधान हो जाएं. क्योंकि ये आपके कानों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है.

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ईयफोन के शौकिंन
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Published : Jul 14, 2022, 8:16 PM IST

Updated : Jul 14, 2022, 9:48 PM IST

आगरा: आज के दौर में हर किसी के हाथ में मोबाइल और कानों में ईयरफोन जरूर दिखता है. जी हां, बाइक पर या मेट्रो में समय काटने के लिए अगर आप भी ईयरफोन या फिर हेडफोन का प्रयोग करते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. क्योंकि ये आपके कानों को खतरनाक और गंभीर रूप से बीमार बना सकती है, जिससे शायद सुनने की क्षमता भी बहुत तेजी से प्रभावती हो सकती है.

दरअसल, ताजनगरी आगरा से कुछ ऐसे ही मामले सामने आए हैं, यहां किशोर और युवाओं की ईयरफोन लगाकर ऑनलाइन पढ़ाई, मोबाइल पर फनी वीडियो और मूवीज देखने की लत से उनके कान की नसें कमजोर हो गईं हैं. एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में हर दिन कान दर्द की शिकायत लेकर किशोर और युवा पहुंच रहे हैं. जब चिकित्सकों ने उनके कान की जांच की तो पता चला कि लगातार ईयरफोन के इस्तेमाल से किशोर और युवाओं की 25 से 35 प्रतिशत तक हियरिंग लॉस हो चुकी है.

जानकारी देते हुए एसएनएमसी की ईएनटी डिपार्टमेंट हैड डॉ. रितु गुप्ता

यह है हियरिंग की पूरी व्यवस्था
बता दें कि कान के भाग बेहद नाजुक होते हैं. कान के अंदरुनी भाग में कोक्लीअ के जरिए ही आवाज ध्वनि तरंगों में बदलकर दिमाग तक पहुंचती है, जिससे सुनाई देता है. हमारे कान के सुनने की क्षमता लगभग 0 शून्य डेसिबल है. जबकि इयरफोन से 90 डेसिबल से ज्यादा आवाज कानों तक पहुंचती है, जो कान की नसें कमजोर करती है, साथ ही वाइब्रेशन से कान के पर्दे पर धमक से नुकसान होने की भी संभावना बनी रहती है.

यह भी पढ़ें- सैन्य अभ्यास के दौरान मेजर की सिर में चोट लगने से मौत, हजारों नम आंखों ने दी अंतिम विदाई

ओपीडी में हर दिन पहुंच रहे युवा और किशोर
एसएनएमसी की ईएनटी डिपार्टमेंट हेड डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि ईयरफोन लगाकर वीडियो देखने की लत बच्चे, किशोर और युवाओं में बढ़ी है, जिसका बुरा असर अब सामने भी आने लगा है. एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में कान दर्द की शिकायत लेकर किशोर और युवा आ रहे हैं. जब उनके कान की जांच की तो पता चला कि ईयरफोन के अधिक इस्तेमाल से कान की नसें कमजोर हो गई हैं. इसका कान के पर्दे पर भी गहरा असर है. इतना ही नहीं किशोर और युवा के कान में दर्द के साथ ही हियरिंग लॉस के शिकार हुए हैं. ओपीडी में आने वाले ऐसे किशोर और युवाओं में 25 से 35 प्रतिशत हियरिंग लॉस होना सामने आया है. कोरोना के बाद ऐसे मरीजों की संख्या दो गुनी हो गई है. हर दिन ईएनटी विभाग की ओपीडी में पहुंच रहे हियरिंग लॉस के मरीजों में पांच से छह किशोर और युवा ईयरफोन से हियरिंग लॉस के पहुंच रहे हैं.

यूं रहता है कान में इंफेक्शन का खतरा
डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि किशोर और युवाओं के कान में इंफेक्शन की वजह इयरफोन या हेडफोन की शेयरिंग करना है. शेयरिंग के ईयरफोन की साफ सफाई न होने से कान में बैक्टीरिया या फंगस पहुंच जाते हैं, जिससे ही कान में दर्द और कई अन्य बीमारियां हो जाती हैं. इसलिए साफ सुथरे ईयरफोन का खुद इस्तेमाल करें और हो सके तो ईयरफोन सैनिटाइज करके इस्तेमाल करें. डॉ. रितु गुप्ता के मुताबिक अधिक समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ईयरफोन की जगह पर हेडफोन का उपयोग करें. यदि जरूरी हो तो हमें 45 मिनट से 60 मिनट तक ही 24 घंटे में ईयरफोन का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे अधिक समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करना हियरिंग लॉस का कारण बन सकता है. इसलिए इसका ध्यान रखें. बच्चों को तो इससे भी कम समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करना चाहिए.

यूं होती है हियरिंग लॉस
डॉ. रितु गुप्ता ने कहा कि कान बेहद नाजुक होता है. कान में तीन भाग होते हैं. यह भाग बाह्य, मध्य और अंदर हैं. अक्सर करके बाह्य और मध्य कान के भाग में दिक्कत होती है. जब कान में चोट लग जाए. कान का पर्दा खराब हो जाए या कान में वैक्स हो तो सुनना भी कम हो जाता है. इनर ईयर में कम सुनने की वजह उम्र के हिसाब से कान की नसें कमजोर होना. यह एक उम्र के बाद ही होता है. हियरिंग लॉस के तमाम कारण है. बाह्य कान में चोट लग जाए या कान में वैक्स हो या कान लंबे समय तक बहता हो. इसे कंडेक्टिव कहते हैं.

किशोर और युवा ही हियरिंग लॉस का शिकार
डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि कोराना के बाद बच्चों में हियरिंग लॉस की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं. आजकल किशोर से 25 साल तक के युवाओं में हियरिंग लॉस की शिकायत अधिक हुई है. इसकी वजह ऑनलाइन पढ़ाई की वजह या ईयरफोन लगाने से हियरिंग लॉस हो रही है. क्योंकि, ईयरफोन का अधिक समय तक इस्तेमाल करने से कम सुनाई देने लगता है. इसके साथ ही कान की नसें भी कमजोर हो जाती हैं. कान की केनाल में भी फंगल इंफेक्शन होने का डर रहता है.

लगातार ईयरफोन के इस्तेमाल से दिक्कत
ईटीवी भारत में जब ईयरफोन के उपयोग को लेकर किशोर और युवाओं से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि, लगातार ईयरफोन के इस्तेमाल करने से कान में दिक्कत पैदा होती है. छात्र आरव ने बताया कि वह बहुत कम ईयर फोन का इस्तेमाल करता है. छात्र शौर्य सिंह का कहना है कि, मेरा एक दोस्त लगातार ईयरफोन का इस्तेमाल करता था. इसलिए अब उसे सुनाई कम देता है. इसलिए मैं भी ईयरफोन का इस्तेमाल बहुत कम करता हूं.

यह बरतें सावधानी
कान में पानी नहीं जाने दें.
कान में पेन या सींक न डालें.
बड्स से कान साफ न करें.
ईयर फोन का इस्तेमाल न करें.

यह न करें नजरअंदाज
कान में दर्द होना.
कान में खुजली होना.
कान में वैक्स होना.
फंगल इंफेक्शन होना.
कम सुनाई देना.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

आगरा: आज के दौर में हर किसी के हाथ में मोबाइल और कानों में ईयरफोन जरूर दिखता है. जी हां, बाइक पर या मेट्रो में समय काटने के लिए अगर आप भी ईयरफोन या फिर हेडफोन का प्रयोग करते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. क्योंकि ये आपके कानों को खतरनाक और गंभीर रूप से बीमार बना सकती है, जिससे शायद सुनने की क्षमता भी बहुत तेजी से प्रभावती हो सकती है.

दरअसल, ताजनगरी आगरा से कुछ ऐसे ही मामले सामने आए हैं, यहां किशोर और युवाओं की ईयरफोन लगाकर ऑनलाइन पढ़ाई, मोबाइल पर फनी वीडियो और मूवीज देखने की लत से उनके कान की नसें कमजोर हो गईं हैं. एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में हर दिन कान दर्द की शिकायत लेकर किशोर और युवा पहुंच रहे हैं. जब चिकित्सकों ने उनके कान की जांच की तो पता चला कि लगातार ईयरफोन के इस्तेमाल से किशोर और युवाओं की 25 से 35 प्रतिशत तक हियरिंग लॉस हो चुकी है.

जानकारी देते हुए एसएनएमसी की ईएनटी डिपार्टमेंट हैड डॉ. रितु गुप्ता

यह है हियरिंग की पूरी व्यवस्था
बता दें कि कान के भाग बेहद नाजुक होते हैं. कान के अंदरुनी भाग में कोक्लीअ के जरिए ही आवाज ध्वनि तरंगों में बदलकर दिमाग तक पहुंचती है, जिससे सुनाई देता है. हमारे कान के सुनने की क्षमता लगभग 0 शून्य डेसिबल है. जबकि इयरफोन से 90 डेसिबल से ज्यादा आवाज कानों तक पहुंचती है, जो कान की नसें कमजोर करती है, साथ ही वाइब्रेशन से कान के पर्दे पर धमक से नुकसान होने की भी संभावना बनी रहती है.

यह भी पढ़ें- सैन्य अभ्यास के दौरान मेजर की सिर में चोट लगने से मौत, हजारों नम आंखों ने दी अंतिम विदाई

ओपीडी में हर दिन पहुंच रहे युवा और किशोर
एसएनएमसी की ईएनटी डिपार्टमेंट हेड डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि ईयरफोन लगाकर वीडियो देखने की लत बच्चे, किशोर और युवाओं में बढ़ी है, जिसका बुरा असर अब सामने भी आने लगा है. एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में कान दर्द की शिकायत लेकर किशोर और युवा आ रहे हैं. जब उनके कान की जांच की तो पता चला कि ईयरफोन के अधिक इस्तेमाल से कान की नसें कमजोर हो गई हैं. इसका कान के पर्दे पर भी गहरा असर है. इतना ही नहीं किशोर और युवा के कान में दर्द के साथ ही हियरिंग लॉस के शिकार हुए हैं. ओपीडी में आने वाले ऐसे किशोर और युवाओं में 25 से 35 प्रतिशत हियरिंग लॉस होना सामने आया है. कोरोना के बाद ऐसे मरीजों की संख्या दो गुनी हो गई है. हर दिन ईएनटी विभाग की ओपीडी में पहुंच रहे हियरिंग लॉस के मरीजों में पांच से छह किशोर और युवा ईयरफोन से हियरिंग लॉस के पहुंच रहे हैं.

यूं रहता है कान में इंफेक्शन का खतरा
डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि किशोर और युवाओं के कान में इंफेक्शन की वजह इयरफोन या हेडफोन की शेयरिंग करना है. शेयरिंग के ईयरफोन की साफ सफाई न होने से कान में बैक्टीरिया या फंगस पहुंच जाते हैं, जिससे ही कान में दर्द और कई अन्य बीमारियां हो जाती हैं. इसलिए साफ सुथरे ईयरफोन का खुद इस्तेमाल करें और हो सके तो ईयरफोन सैनिटाइज करके इस्तेमाल करें. डॉ. रितु गुप्ता के मुताबिक अधिक समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ईयरफोन की जगह पर हेडफोन का उपयोग करें. यदि जरूरी हो तो हमें 45 मिनट से 60 मिनट तक ही 24 घंटे में ईयरफोन का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे अधिक समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करना हियरिंग लॉस का कारण बन सकता है. इसलिए इसका ध्यान रखें. बच्चों को तो इससे भी कम समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करना चाहिए.

यूं होती है हियरिंग लॉस
डॉ. रितु गुप्ता ने कहा कि कान बेहद नाजुक होता है. कान में तीन भाग होते हैं. यह भाग बाह्य, मध्य और अंदर हैं. अक्सर करके बाह्य और मध्य कान के भाग में दिक्कत होती है. जब कान में चोट लग जाए. कान का पर्दा खराब हो जाए या कान में वैक्स हो तो सुनना भी कम हो जाता है. इनर ईयर में कम सुनने की वजह उम्र के हिसाब से कान की नसें कमजोर होना. यह एक उम्र के बाद ही होता है. हियरिंग लॉस के तमाम कारण है. बाह्य कान में चोट लग जाए या कान में वैक्स हो या कान लंबे समय तक बहता हो. इसे कंडेक्टिव कहते हैं.

किशोर और युवा ही हियरिंग लॉस का शिकार
डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि कोराना के बाद बच्चों में हियरिंग लॉस की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं. आजकल किशोर से 25 साल तक के युवाओं में हियरिंग लॉस की शिकायत अधिक हुई है. इसकी वजह ऑनलाइन पढ़ाई की वजह या ईयरफोन लगाने से हियरिंग लॉस हो रही है. क्योंकि, ईयरफोन का अधिक समय तक इस्तेमाल करने से कम सुनाई देने लगता है. इसके साथ ही कान की नसें भी कमजोर हो जाती हैं. कान की केनाल में भी फंगल इंफेक्शन होने का डर रहता है.

लगातार ईयरफोन के इस्तेमाल से दिक्कत
ईटीवी भारत में जब ईयरफोन के उपयोग को लेकर किशोर और युवाओं से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि, लगातार ईयरफोन के इस्तेमाल करने से कान में दिक्कत पैदा होती है. छात्र आरव ने बताया कि वह बहुत कम ईयर फोन का इस्तेमाल करता है. छात्र शौर्य सिंह का कहना है कि, मेरा एक दोस्त लगातार ईयरफोन का इस्तेमाल करता था. इसलिए अब उसे सुनाई कम देता है. इसलिए मैं भी ईयरफोन का इस्तेमाल बहुत कम करता हूं.

यह बरतें सावधानी
कान में पानी नहीं जाने दें.
कान में पेन या सींक न डालें.
बड्स से कान साफ न करें.
ईयर फोन का इस्तेमाल न करें.

यह न करें नजरअंदाज
कान में दर्द होना.
कान में खुजली होना.
कान में वैक्स होना.
फंगल इंफेक्शन होना.
कम सुनाई देना.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Jul 14, 2022, 9:48 PM IST
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