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ट्रेन वाशिंग का नया फार्मूला, तीन नोजल की धुलाई से होंगे चार फायदे

उत्तर मध्य रेलवे ने ट्रेन वाशिंग का नया तरीका निकाला है. इस तरह से ट्रेन की धुलाई से कई तरह के फायदे होने वाले हैं. समय की बचत के साथ पानी की भी बचत होगी और ट्रेन की बाहरी धुलाई काफी अच्छी होगी. ऐसा ही ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट आगरा कैंट पर बनकर तैयार हो गया है.

ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट
ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट
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Published : Dec 17, 2020, 5:06 PM IST

आगराः शहर से संचालित ट्रेनें अब और चमचमाती सरपट दौड़ेंगी. उत्तर मध्य रेलवे (NCR) आगरा मंडल में पहली बार ट्रेनों के कोचों की बाहरी धुलाई के लिए ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट लगाया है. आगरा कैंट स्टेशन की पिट लाइन पर यह प्लांट लगाया गया है. यहां पर ट्रेनों के कोच की धुलाई साबुन और डिटर्जेंट पाउडर के साथ ही आरओ वॉटर से की जाएगी. रेलवे इस प्लांट से कम समय में कोचों की बेहतर धुलाई के साथ ही पानी की भी बचत करेगा.

इस तरह से होगी ट्रेनों की धुलाई.

अभी होती है पानी की बर्बादी
आगरा रेल मंडल से संचालित होने वाली सभी पैसेंजर ईएमयू, डीएमयू, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के कोच की बाहरी सफाई अभी कर्मचारियों के द्वारा पिट लाइन पर की जाती है. कोच की साफ-सफाई और धुलाई में मैन पावर भी अधिक लगती है. मैकेनाइज्ड सफाई में समय अधिक लगता है. पानी की भी बर्बादी होती है. कोचों की सफाई भी उच्च गुणवत्ता की नहीं रहती है. इसे देखकर भारतीय रेलवे की ओर से अब ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट से ट्रेनों के कोच की सफाई पर जोर दिया जा रहा है.

जल्द शुरू होगा प्लांट
आगरा रेल मंडल के पीआरओ एसके श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय कोरोना महामारी के चलते साफ-सफाई बेहतर होनी चाहिए. रेलवे में ट्रेनों के कोच की वाशिंग एक लंबी प्रक्रिया है. इसमें काफी मैन पावर का उपयोग किया जाता है. ट्रेनों के कोचों की बाहरी साफ-सफाई और धुलाई को सरल बनाया जा रहा है. इसको लेकर आगरा रेल मंडल में आगरा कैंट स्टेशन पर पिट लाइन पर ट्रेनों के कोच की बाहरी धुलाई के लिए ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट लगाया गया है. जल्द ही यह प्लांट कार्य करने लगेगा.

आगरा कैंट.
आगरा कैंट रेलवे स्टेशन.

तीन नोजल से होगी ट्रेन की धुलाई
एसके श्रीवास्तव ने बताया कि ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट में ट्रेनों के कोच की बाहरी धुलाई तीन नोजल से होगी. एक नोजल से साबुन या डिटर्जेंट निकलेगा. दूसरे नोजल से पानी और तीसरे नोजल से आरओ वॉटर से कोच की धुलाई होगी. ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट से चार फायदे होंगे. कोच की धुलाई बेहतर होगी. कोच वाशिंग में समय कम लगेगा. इसके साथ ही मैन पावर कम लगेगी. वहीं, धुलाई में उपयोग किए गए पानी को रिसाइकल करके फिर दोबारा से उपयोग किया जाएगा.

10 मिनट में ट्रेन होगी चमाचम
रेलवे की ओर से ट्रेनों के कोच की बाहरी सफाई मैकेनाइज्ड की जाती है. इसमें मैनपावर और समय दोनों ही अधिक लगते हैं. रेलवे का दावा है कि ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट से ट्रेनों के कोच की बाहरी सफाई में समय की बचत होगी. मैन पावर भी कम लगेगी. 24 कोच के रैक की धुलाई में ऑटोमेटिक वॉशिंग प्लांट से 10 से 15 मिनट का समय लगेगा.

आगराः शहर से संचालित ट्रेनें अब और चमचमाती सरपट दौड़ेंगी. उत्तर मध्य रेलवे (NCR) आगरा मंडल में पहली बार ट्रेनों के कोचों की बाहरी धुलाई के लिए ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट लगाया है. आगरा कैंट स्टेशन की पिट लाइन पर यह प्लांट लगाया गया है. यहां पर ट्रेनों के कोच की धुलाई साबुन और डिटर्जेंट पाउडर के साथ ही आरओ वॉटर से की जाएगी. रेलवे इस प्लांट से कम समय में कोचों की बेहतर धुलाई के साथ ही पानी की भी बचत करेगा.

इस तरह से होगी ट्रेनों की धुलाई.

अभी होती है पानी की बर्बादी
आगरा रेल मंडल से संचालित होने वाली सभी पैसेंजर ईएमयू, डीएमयू, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के कोच की बाहरी सफाई अभी कर्मचारियों के द्वारा पिट लाइन पर की जाती है. कोच की साफ-सफाई और धुलाई में मैन पावर भी अधिक लगती है. मैकेनाइज्ड सफाई में समय अधिक लगता है. पानी की भी बर्बादी होती है. कोचों की सफाई भी उच्च गुणवत्ता की नहीं रहती है. इसे देखकर भारतीय रेलवे की ओर से अब ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट से ट्रेनों के कोच की सफाई पर जोर दिया जा रहा है.

जल्द शुरू होगा प्लांट
आगरा रेल मंडल के पीआरओ एसके श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय कोरोना महामारी के चलते साफ-सफाई बेहतर होनी चाहिए. रेलवे में ट्रेनों के कोच की वाशिंग एक लंबी प्रक्रिया है. इसमें काफी मैन पावर का उपयोग किया जाता है. ट्रेनों के कोचों की बाहरी साफ-सफाई और धुलाई को सरल बनाया जा रहा है. इसको लेकर आगरा रेल मंडल में आगरा कैंट स्टेशन पर पिट लाइन पर ट्रेनों के कोच की बाहरी धुलाई के लिए ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट लगाया गया है. जल्द ही यह प्लांट कार्य करने लगेगा.

आगरा कैंट.
आगरा कैंट रेलवे स्टेशन.

तीन नोजल से होगी ट्रेन की धुलाई
एसके श्रीवास्तव ने बताया कि ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट में ट्रेनों के कोच की बाहरी धुलाई तीन नोजल से होगी. एक नोजल से साबुन या डिटर्जेंट निकलेगा. दूसरे नोजल से पानी और तीसरे नोजल से आरओ वॉटर से कोच की धुलाई होगी. ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट से चार फायदे होंगे. कोच की धुलाई बेहतर होगी. कोच वाशिंग में समय कम लगेगा. इसके साथ ही मैन पावर कम लगेगी. वहीं, धुलाई में उपयोग किए गए पानी को रिसाइकल करके फिर दोबारा से उपयोग किया जाएगा.

10 मिनट में ट्रेन होगी चमाचम
रेलवे की ओर से ट्रेनों के कोच की बाहरी सफाई मैकेनाइज्ड की जाती है. इसमें मैनपावर और समय दोनों ही अधिक लगते हैं. रेलवे का दावा है कि ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट से ट्रेनों के कोच की बाहरी सफाई में समय की बचत होगी. मैन पावर भी कम लगेगी. 24 कोच के रैक की धुलाई में ऑटोमेटिक वॉशिंग प्लांट से 10 से 15 मिनट का समय लगेगा.

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