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ASI सहेज रहा जहांगीर का हाथीखाना, जानें क्या है खासियत

आगरा में भारतीय पुरातत्व विभाग ताजमहल के पास स्थित हाथीखाना का संरक्षण कर रहा है. एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि ईंटें निकलने की वजह से यहां की दीवारें खोखली हो गई थीं. अब 22 लाख रुपये की लागत से इसे सही कराया जा रहा है.

कई सौ साल पुरानी है इमारत.
कई सौ साल पुरानी है इमारत.
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Published : Apr 12, 2021, 11:36 AM IST

आगरा: ताजनगरी में अपने-अपने काल में मुगल बादशाहों ने तमाम भवनों का निर्माण कराया था. इनमें से एक यमुना किनारे स्थित हाथीखाना भी है. यह अब खंडहर हो गया है. हाथीखाना मुगल बादशाह जहांगीर ने बनवाया था. यह ताजमहल के पूर्वी गेट के नजदीक है. हाथीखाना मोहब्बत की निशानी ताजमहल से भी अधिक पुराना है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अब हाथीखाना की बुनियाद मजबूत कर रहा है.

मुगलों ने बनावाया था हाथीखाना.

22 लाख रुपये से हो रहा संरक्षण
एएसआई की मानें तो ताजमहल के निर्माण के लिए देश भर और विदेशों से बेशकीमती पत्थरों को मंगाया गया था. हाथीखाना के हाथी बड़े-बड़े पत्थरों को ढोते थे. एएसआई पहले चरण में करीब 22 लाख रुपये से हाथीखाना की बुनियाद मजबूत कर रहा है. इसके बाद छत और पूरा हाथीखाना उसी रूप में लाया जाएगा, जैसा कि जहांगीर और शाहजहां के समय में था.

22 लाख की लागत में हो रहा काम.
22 लाख की लागत से हो रहा काम.

जहांगीर ने हाथीखाना का निर्माण कराया था. यह उस समय यमुना नदी तक जाने का प्रमुख गेट था. यहां पर हाथी रखे जाते थे, क्योंकि उस समय नदी के रास्ते ही अधिकतर व्यापार होता था. इसका बोर्ड भी एएसआई ने यहां लगाया है. इस बोर्ड पर लिखा है कि 'जब शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण कराया था तो यहां से हाथियों ने बड़े-बड़े पत्थरों को ताजमहल तक पहुंचाया था.'

इसे भी पढ़ें : पर्यटकों के लिए अभी नहीं खुली नवाबों की नगरी की ऐतिहासिक इमारतें

हाथीखाना की बुनियाद कर रहे मजबूत
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि 2018 में एएसआई ने अपने संरक्षित स्मारकों की सूची में हाथीखाना को शामिल किया था. कोरोना के चलते साल 2020 में काम पूरा नहीं हो सका. इस समय हाथीखाना के संरक्षण और मरम्मत का कार्य चल रहा है. यह लम्बे समय तक लावारिस रहा. समय की मार की वजह से यह बहुत ही बदहाल स्थिति में पहुंच गया है. यह पूरी तरह से खोखला हो गया है.

छत में आ गई हैं दरारें

अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि हाथीखाना की छत में कई जगह बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी है. नींव भी कमजोर हो गई थी. जगह-जगह दीवारें भी टूट गई हैं. ऐसे में सबसे पहले इसकी बुनियाद (नींव) को मजबूत किया जा रहा है. इस पर करीब 22 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं.

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एएसआई का यह बेहतर प्रयास
पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी का कहना है कि वह बचपन से ही इस हाथीखाना को देखते आ रहे हैं. अब यह खंडहर हालत में पहुंच गया है. मरम्मत के अभाव में इसकी स्थिति दयनीय हो गई है. हालांकि, एएसआई अब हाथीखाना को संरक्षित कर रहा है. यहां मरम्मत कार्य चल रहा है. एएसआई का यह बहुत ही अच्छा प्रयास है, क्योंकि इससे पर्यटन बढ़ने की भी संभावना है.

मसाले में चूना के साथ मिला रहे गुड़-बतासा और बेलगिरी का जूस
हाथीखाना के संरक्षण और मरम्मत कार्य में लगे राजमिस्त्री मोहन सिंह का कहना है कि हाथीखाना के निर्माण में पहले जो मसाला लगा हुआ है. उसे ही अब इस्तेमाल किया जा रहा है. मसाले में गुड़, बेलगिरी का जूस, बतासे, चूना, सुर्की और बालू को शामिल किया गया है. इन सब सामग्रियों को तय अनुपात में मिलाकर मसाला बनाया जा रहा है. इससे हाथीखाना की दीवारों को और मजबूती मिलेगी.

हाथियों ने ढोया था ताजमहल में लगा पत्थर
वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि यह हाथीखाना जहांगीर काल में यमुना किनारे बनाया गया था. यहां पर हाथी रखे जाते थे. ताजमहल के निर्माण के दौरान इसका बहुत अच्छा उपयोग किया गया था. पहले चरण में हाथीखाना की नींव को मजबूत किया जा रहा है. उसकी दीवार को 10 फीट की ऊंचाई तक मजबूती दी जा रही है.

आगरा: ताजनगरी में अपने-अपने काल में मुगल बादशाहों ने तमाम भवनों का निर्माण कराया था. इनमें से एक यमुना किनारे स्थित हाथीखाना भी है. यह अब खंडहर हो गया है. हाथीखाना मुगल बादशाह जहांगीर ने बनवाया था. यह ताजमहल के पूर्वी गेट के नजदीक है. हाथीखाना मोहब्बत की निशानी ताजमहल से भी अधिक पुराना है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अब हाथीखाना की बुनियाद मजबूत कर रहा है.

मुगलों ने बनावाया था हाथीखाना.

22 लाख रुपये से हो रहा संरक्षण
एएसआई की मानें तो ताजमहल के निर्माण के लिए देश भर और विदेशों से बेशकीमती पत्थरों को मंगाया गया था. हाथीखाना के हाथी बड़े-बड़े पत्थरों को ढोते थे. एएसआई पहले चरण में करीब 22 लाख रुपये से हाथीखाना की बुनियाद मजबूत कर रहा है. इसके बाद छत और पूरा हाथीखाना उसी रूप में लाया जाएगा, जैसा कि जहांगीर और शाहजहां के समय में था.

22 लाख की लागत में हो रहा काम.
22 लाख की लागत से हो रहा काम.

जहांगीर ने हाथीखाना का निर्माण कराया था. यह उस समय यमुना नदी तक जाने का प्रमुख गेट था. यहां पर हाथी रखे जाते थे, क्योंकि उस समय नदी के रास्ते ही अधिकतर व्यापार होता था. इसका बोर्ड भी एएसआई ने यहां लगाया है. इस बोर्ड पर लिखा है कि 'जब शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण कराया था तो यहां से हाथियों ने बड़े-बड़े पत्थरों को ताजमहल तक पहुंचाया था.'

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हाथीखाना की बुनियाद कर रहे मजबूत
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि 2018 में एएसआई ने अपने संरक्षित स्मारकों की सूची में हाथीखाना को शामिल किया था. कोरोना के चलते साल 2020 में काम पूरा नहीं हो सका. इस समय हाथीखाना के संरक्षण और मरम्मत का कार्य चल रहा है. यह लम्बे समय तक लावारिस रहा. समय की मार की वजह से यह बहुत ही बदहाल स्थिति में पहुंच गया है. यह पूरी तरह से खोखला हो गया है.

छत में आ गई हैं दरारें

अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि हाथीखाना की छत में कई जगह बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी है. नींव भी कमजोर हो गई थी. जगह-जगह दीवारें भी टूट गई हैं. ऐसे में सबसे पहले इसकी बुनियाद (नींव) को मजबूत किया जा रहा है. इस पर करीब 22 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं.

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एएसआई का यह बेहतर प्रयास
पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी का कहना है कि वह बचपन से ही इस हाथीखाना को देखते आ रहे हैं. अब यह खंडहर हालत में पहुंच गया है. मरम्मत के अभाव में इसकी स्थिति दयनीय हो गई है. हालांकि, एएसआई अब हाथीखाना को संरक्षित कर रहा है. यहां मरम्मत कार्य चल रहा है. एएसआई का यह बहुत ही अच्छा प्रयास है, क्योंकि इससे पर्यटन बढ़ने की भी संभावना है.

मसाले में चूना के साथ मिला रहे गुड़-बतासा और बेलगिरी का जूस
हाथीखाना के संरक्षण और मरम्मत कार्य में लगे राजमिस्त्री मोहन सिंह का कहना है कि हाथीखाना के निर्माण में पहले जो मसाला लगा हुआ है. उसे ही अब इस्तेमाल किया जा रहा है. मसाले में गुड़, बेलगिरी का जूस, बतासे, चूना, सुर्की और बालू को शामिल किया गया है. इन सब सामग्रियों को तय अनुपात में मिलाकर मसाला बनाया जा रहा है. इससे हाथीखाना की दीवारों को और मजबूती मिलेगी.

हाथियों ने ढोया था ताजमहल में लगा पत्थर
वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि यह हाथीखाना जहांगीर काल में यमुना किनारे बनाया गया था. यहां पर हाथी रखे जाते थे. ताजमहल के निर्माण के दौरान इसका बहुत अच्छा उपयोग किया गया था. पहले चरण में हाथीखाना की नींव को मजबूत किया जा रहा है. उसकी दीवार को 10 फीट की ऊंचाई तक मजबूती दी जा रही है.

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