ETV Bharat / state

बेशकीमती पत्थरों से चमकेगी मोहब्बत की निशानी, दुनिया है जिसकी दीवानी - uttar pradesh news

ताजमहल पर जड़ें बेशकीमती पत्थरों की चमक अब फीकी पड़ती जा रही है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने गुंबद के घिसे, खराब और उखड़े पत्थरों को बदलने का फैसला लिया है. इसके लिए एएसआई ने राजस्थान से बेशकीमती पत्थरों मंगवाए हैं.

taj mahal
ताजमहल
author img

By

Published : Dec 2, 2020, 4:48 PM IST

Updated : Dec 2, 2020, 5:38 PM IST

आगरा: मोहब्बत की निशानी ताजमहल की दुनिया दीवानी है. धूल, धूप और प्रदूषण की मार से ताजमहल पर जड़ें बेशकीमती नगीनों (पत्थर) की चमक फीकी पड़ती जा रही है. ताजमहल की मुख्य गुंबद के ड्रम पोर्शन की पच्चीकारी में जड़े बेशकीमती पत्थरों की चमक अब कम हो गई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अब गुंबद के घिसे, खराब और उखड़े बेशकीमती पत्थर बदल रहा है. एएसआई उसी रंग और आकार में तराश कर पत्थर बदलने का काम करा रहा है. एएसआई ने राजस्थान के अलग-अलग स्थानों से बेशकीमती और चमकीले पत्थर मंगवाए हैं, जिससे ताजमहल की चमक और खूबसूरती पहले जैसी बरकरार रखी जा सके.

यूनेस्को ने ताजमहल को घोषित किया है विश्व धरोहर

मुगल बादशाह शाहजहां ने पत्नी मुमताज की याद में सन् 1631 से सन् 1648 के बीच कराया था. सन् 1983 में यूनेस्को ने ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित किया. मोहब्बत की निशानी ताजमहल के दीदार का दुनियांभर के पर्यटकों में क्रेज है. हर साल ताज महल निहारने लाखों पर्यटक आगरा आते हैं.

बदल रहे पच्चीकारी के खराब पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि "ताजमहल का गुंबद अपने आप में बहुत ही विशिष्ट है. इसके दो पोर्शन है. एक पोर्शन गुंबद और दूसरा पोर्शन
उसके नीचे का ड्रम है. ड्रम पोर्शन पर पच्चीकारी का काम है. समय के साथ पच्चीकारी के जो बेशकीमती पत्थर हैं, वो निकल गए हैं. कुछ पत्थर समय के साथ खराब हो गए हैं. ऐसे सभी बेशकीमती पत्थरों को बदला जा रहा है."

taj mahal
राजस्थान से मंगवाएं गए हैं चमकीले पत्थर

राजस्थान से मंगवाए बेशकीमती पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि "ताजमहल के गुंबद के ड्रम पोर्शन पर पच्चीकारी में अलग बेशकीमती पत्थरों का उपयोग किया है. ब्लैक कलर के लिए कडप्पा पत्थर या स्लेट पत्थर का उपयोग किया गया है. ओरेंज कलर या रेड कलर के लिए कार्नेलियम, हरे रंग के लिए जैस्पर और पीले रंग के लिए गोल्डन पत्थर का उपयोग किया गया है. गोल्डन पत्थर जैसलमेर का है. अधिकतर पत्थर राजस्थान के हैं. जिन जगहों से और जिस आकार का पत्थर मिसिंग है. उसे तैयार करके लगाया जा रहा है."

taj mahal
ताजमहल के गुंबद के खराब हुए पत्थरों को बदला जा रहा है

चादनी रात में चमकती है स्टोन
टूरिस्ट गाइड सुखदेव शर्मा का कहना है कि "फुल मून यारी शरद पूर्णिमा की रात ताजमहल बहुत आकर्षक दिखता है. जब चंद्रमा की किरणें ताजमहल पर जड़े बेशकीमती पत्थरों पर पड़ती हैं, तो पत्थरें चमकती है. एएसआई समय-समय पर ताजमहल की चमक और सुंदरता को बनाए रखने के लिए संरक्षण का कार्य करता है. फिलहाल ताजमहल के मुख्य गुंबद और ड्रम पोर्शन पर काम किया जा रहा है.

आगरा: मोहब्बत की निशानी ताजमहल की दुनिया दीवानी है. धूल, धूप और प्रदूषण की मार से ताजमहल पर जड़ें बेशकीमती नगीनों (पत्थर) की चमक फीकी पड़ती जा रही है. ताजमहल की मुख्य गुंबद के ड्रम पोर्शन की पच्चीकारी में जड़े बेशकीमती पत्थरों की चमक अब कम हो गई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अब गुंबद के घिसे, खराब और उखड़े बेशकीमती पत्थर बदल रहा है. एएसआई उसी रंग और आकार में तराश कर पत्थर बदलने का काम करा रहा है. एएसआई ने राजस्थान के अलग-अलग स्थानों से बेशकीमती और चमकीले पत्थर मंगवाए हैं, जिससे ताजमहल की चमक और खूबसूरती पहले जैसी बरकरार रखी जा सके.

यूनेस्को ने ताजमहल को घोषित किया है विश्व धरोहर

मुगल बादशाह शाहजहां ने पत्नी मुमताज की याद में सन् 1631 से सन् 1648 के बीच कराया था. सन् 1983 में यूनेस्को ने ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित किया. मोहब्बत की निशानी ताजमहल के दीदार का दुनियांभर के पर्यटकों में क्रेज है. हर साल ताज महल निहारने लाखों पर्यटक आगरा आते हैं.

बदल रहे पच्चीकारी के खराब पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि "ताजमहल का गुंबद अपने आप में बहुत ही विशिष्ट है. इसके दो पोर्शन है. एक पोर्शन गुंबद और दूसरा पोर्शन
उसके नीचे का ड्रम है. ड्रम पोर्शन पर पच्चीकारी का काम है. समय के साथ पच्चीकारी के जो बेशकीमती पत्थर हैं, वो निकल गए हैं. कुछ पत्थर समय के साथ खराब हो गए हैं. ऐसे सभी बेशकीमती पत्थरों को बदला जा रहा है."

taj mahal
राजस्थान से मंगवाएं गए हैं चमकीले पत्थर

राजस्थान से मंगवाए बेशकीमती पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि "ताजमहल के गुंबद के ड्रम पोर्शन पर पच्चीकारी में अलग बेशकीमती पत्थरों का उपयोग किया है. ब्लैक कलर के लिए कडप्पा पत्थर या स्लेट पत्थर का उपयोग किया गया है. ओरेंज कलर या रेड कलर के लिए कार्नेलियम, हरे रंग के लिए जैस्पर और पीले रंग के लिए गोल्डन पत्थर का उपयोग किया गया है. गोल्डन पत्थर जैसलमेर का है. अधिकतर पत्थर राजस्थान के हैं. जिन जगहों से और जिस आकार का पत्थर मिसिंग है. उसे तैयार करके लगाया जा रहा है."

taj mahal
ताजमहल के गुंबद के खराब हुए पत्थरों को बदला जा रहा है

चादनी रात में चमकती है स्टोन
टूरिस्ट गाइड सुखदेव शर्मा का कहना है कि "फुल मून यारी शरद पूर्णिमा की रात ताजमहल बहुत आकर्षक दिखता है. जब चंद्रमा की किरणें ताजमहल पर जड़े बेशकीमती पत्थरों पर पड़ती हैं, तो पत्थरें चमकती है. एएसआई समय-समय पर ताजमहल की चमक और सुंदरता को बनाए रखने के लिए संरक्षण का कार्य करता है. फिलहाल ताजमहल के मुख्य गुंबद और ड्रम पोर्शन पर काम किया जा रहा है.

Last Updated : Dec 2, 2020, 5:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.