आगरा: आपने 'पैड-मैन' फिल्म तो देखी होगी जो रियल 'पैड-मैन' मुरुगनाथम अरुणाचलम की कहानी है. मुरुगनाथम अरुणाचलम ने मासिक धर्म की पीड़ा समझी और कम लागत में सैनिटरी पैड बनाने में सफलता हासिल की. आज हम बात करेंगे आगरा की 'पैड वुमन' दिव्या मलिक के बारे में. उन्होंने एमबीए किया मगर, नौकरी के बंधन में नहीं बंधी. समाज की बंदिशें तोड़कर दिव्या मलिक स्कूल-स्कूल जाकर किशोरियों को माहवारी में साफ-सफाई रखने की सलाह देने के साथ ही उन्हें कम कीमत में पैड उपलब्ध करा रहीं हैं. इसके साथ ही घर-घर जाकर वह महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ-सफाई न रखने से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक कर रहीं हैं. 'पैड वुमन' दिव्या मलिक जागरूकता के साथ ही 15 से 20 महिलाओं को अपने साथ जोड़कर पैड बनाने के काम से रोजगार भी दे रही हैं.
ये हैं आगरा की 'पैड वुमन', ऐसे कर रहीं महिलाओं और युवतियों को जागरूक - आगरा की पैड वुमन
आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं आगरा की पैड वुमन से. इनकी लगन और काम को जानकार आप हैरत में पड़ जाएंगे. चलिए जानते हैं इनके बारे में.
आगरा: आपने 'पैड-मैन' फिल्म तो देखी होगी जो रियल 'पैड-मैन' मुरुगनाथम अरुणाचलम की कहानी है. मुरुगनाथम अरुणाचलम ने मासिक धर्म की पीड़ा समझी और कम लागत में सैनिटरी पैड बनाने में सफलता हासिल की. आज हम बात करेंगे आगरा की 'पैड वुमन' दिव्या मलिक के बारे में. उन्होंने एमबीए किया मगर, नौकरी के बंधन में नहीं बंधी. समाज की बंदिशें तोड़कर दिव्या मलिक स्कूल-स्कूल जाकर किशोरियों को माहवारी में साफ-सफाई रखने की सलाह देने के साथ ही उन्हें कम कीमत में पैड उपलब्ध करा रहीं हैं. इसके साथ ही घर-घर जाकर वह महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ-सफाई न रखने से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक कर रहीं हैं. 'पैड वुमन' दिव्या मलिक जागरूकता के साथ ही 15 से 20 महिलाओं को अपने साथ जोड़कर पैड बनाने के काम से रोजगार भी दे रही हैं.