आगरा: ऑनलाइन गेम की लत युवा और किशोरों को मानसिक रूप से बीमार बना रही है. इसका खुलासा आगरा मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में पहुंचने वाले युवा और किशोर के आंकड़ों ने किया है. मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में हर महीने 10 से 15 केस ऐसे आते हैं.
जिनकी काउंसलिंग में खुलासा होता है कि, ऑनलाइन गेम की लत से युवा, किशोर पहले कर्जदार बने और फिर मनोरोगी बन गए हैं. मानसिक स्वास्थ्य संस्थान और चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. ऐसे युवा और किशोर इलाज के बाद ठीक भी हो रहे हैं.
आगरा के एक कारोबारी (35) को मोबाइल पर ऑनलाइन गेम (disadvantages of online game) खेलने की लत लग गई. कारोबारी दांव पर दांव लगता चला गया और हारकर कर्जदार बन गया. जिससे उसे बेचैनी, घबराहट और चिड़चिड़ापन की समस्या होने लगी. तभी परिजनों ने उसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में दिखाया. डॉक्टर की काउंसिलिंग में मोबाइल गेम की लत और कर्जदार होने की बात सामने आई. अब इलाज के बाद कारोबारी ठीक हो गया है.
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ताजनगरी में 11वीं का एक छात्र को भी मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलने की लत थी. छात्र पहले गेम में अपनी पॉकेट मनी से दांव लगाता था. उसके बाद वह दोस्तों से उधार लेकर गेम खेलने लगा. जिससे कर्जदार बन गया और अपने ही घर में चोरी करने लगा. इससे किशोर गुमसुम रहने लगा, तो परिजन मानसिक स्वास्थ्य संसथान पहुंचे और उसे मनोवैज्ञानिक को दिखाया. अब काउंसिलिंग और उपचार के बाद वह ठीक हो गया है.
मोबाइल गेम की लत का असर: मोबाइल गेम की लत से बच्चे हिंसक (Playing online games dangerous for kids) हो रहे हैं. इससे उनके करियर को पर प्रभाव पड़ता है. वहीं, इसके साथ ही इससे बच्चे कर्जदार भी बन रहे हैं.
कैसे करें बचाव: मोबाइल गेम की लत छुड़ाने (How to Avoid Mobile Game Cost) को परिवार के सदस्य एक-दूसरे संग समय बिताएं. परिजन, बच्चों के साथ कुछ नया क्रिएटिव करने की जानकरी दें और उन्हें सिखाएं. बच्चों में बुक रीडिंग की आदत डालें और हर रात बुक रीडिंग कराकर ही सुलाएं. बच्चों के साथ सुबह सैर पर जरूर जाएं और उन्हें सुबह शाम मोबाइल से दूर रखें. सुबह की सैर पर बच्चों को ताजी हवा और पक्षियों के बारें में रोचक जानकरी दें. बच्चों के दोस्ताें के साथ आउटिंग पर जाएं और उन्हें प्राकृतिक नजारे दिखाएं.
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