आगरा: ताजनगरी में सुबह दस के बाद तापमान बढ़ने लगता है. वहीं 11 बजे तक पारा 40 का आंकड़ा पार कर जाता है. ऐसे में भीषण गर्मी और लू के थपेड़े भी मानव और पशु-पक्षियों का हाल बेहाल करने लगते हैं. गर्मी और लू के थपेड़ों के कारण बच्चों की तबीयत खराब हो रही है और इनको इलाजे के लिए अस्पतालों में आना पड़ रहा है. ईटीवी भारत ने मासूमों का लू और भीषण गर्भी से बचाने के टिप्स जानने के लिए बाल शिशु रोग विशेषज्ञों से खास बातचीत की.
उनका कहना है कि शिशु को माताएं स्तन पान कराती रहें. शिशुओं को हर एक घंटे में दो बार दूध पिलाएं. वहीं ज्यादा गर्मी होने पर बच्चों के शरीर को ताजे पानी से पोछते रहें और जितना हो सके उतना उन्हें कूलर में रखें. ऐसा करने से बच्चों को बुखार नहीं आएगा. वहीं जो 6 माह से बड़े बच्चे हैं. उन्हें तरल पेय और खिचड़ी खिलाएं. उन्हें नमकीन छाछ और दही पिलाएं.
वहीं लेडी लायल चिकित्सालय के शिशु और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बल्देव सिंह ने बताया कि शिशु को साफ सुथरा रखें. जब बच्चों का वजन कम होता है और वे छोटे होते हैं. उस समय गर्मी में उनके शरीर का तापमान एकदम बढ़ जाता है. ऐसे में लगता है कि बच्चे को बुखार है. बुखार आने पर बच्चा खाना और पीना छोड़ देता है, इसलिए यह कोशिश करें कि शिशुओं को लू में लेकर नहीं निकले. अगर कहीं लू में बाहर जाना पड़ रहा है तो थोड़े-थोड़े समय पर बच्चे को पानी पिलाते रहें. उसके शरीर को कपड़ा गीला करके पोछते रहें. बच्चे के तापमान को भी रेगुलर नापते रहना चाहिए.
यह बरतें सावधानी
- बच्चों को धूप में लेकर न जाएं.
- सिर पर तौलिया डाल कर निकलें.
- बच्चों को सूती कपड़े पहनाएं.
- बच्चों का तापमान नापते रहें.
- लू से बचाने के लिए कूलर चलाएं.
- शिशु का बदन ठंडे पानी से पोछते रहें.
मासूमों को यह खिलाएं
- छह माह तक के शिशु को मां का दूध पिलाएं.
- लू लगने से बचाने के लिए छाछ और दही दें.
- बच्चों को दलिया या खिचड़ी भी खूब खिलाएं.
- बच्चों को ताजे और मौसमी फल खिलाएं.
- बच्चों को खट्टे फलों का जूस भी पिलाएं.