आगरा : थाना जगदीशपुरा पुलिस नें हरियाणा से एक साइबर ठग को पकड़ा हैं. आरोपी क्रेडिट कार्ड एक्टिवेशन और रिवॉर्ड पॉइंट्स रिडीम की जानकारी देने के बहाने लोगों से ओटीपी पूछ कर उनके खातों से ऑनलाइन शॉपिंग कर लेता था. पुलिस पुछताछ में आरोपी ने बताया कि उसका नाम रवि कुमार हैं जो पानीपत हरियाणा का रहने वाला हैं. वह दिल्ली निवासी इमरान के साथ मिलकर लोगों से साइबर ठगी को अंजाम देता था. आरोपी ने बताया कि हम दोनों विभिन्न श्रोत से क्रेडिट कार्ड का डाटा प्राप्त कर लोगों को क्रेडिट कार्ड एक्टिवेट करने व रिवार्ड पॉइन्ट को रिडीम करने की प्रक्रिया बताने के बहाने OTP पूछ लेते हैं. इसके बाद विभिन्न ई-वॉलेट,पेमेंट बैंक या अन्य बैंक खातों की मदद से एटीएम कार्ड का इस्तेमाल कर कैश निकाल लेते थे.
पुलिस के अनुसार पीड़ित रामसमारे राजपूत निवासी जगदीशपुरा ने पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह को एक प्रार्थना पत्र दिया गया था. जिसमें बताया कि कुछ समय पूर्व उनकी दुकान पर एक बैंक ऑफ बड़ौदा का कर्मचारी आया. जिसने क्रेडिट कार्ड बनावाने का ऑफर दिया. ऑफर पसंद आने पर अप्लाई किया था. कार्ड आने के कुछ समय उपरान्त ही एक अज्ञात व्यक्ति की कॉल आई. उसने कहा कि आपका कार्ड इश्यू कर दिया गया है. जिसको एक्टीवेट व खरीदारी करने पर प्राप्त रिवॉर्ड पॉइन्ट की जानकारी साझा की. इसी दौरान रिवार्ड पाॅइन्ट को रिडीम करने का तरीका बताते वक्त झांसे से ओटीपी पूछ लिया. इसके बाद 96 हजार 626 रुपये की ऑनलाइन शॉपिंग कर ली गई. जिसकी जानकारी बैंक की रिकवरी टीम के आने पर हुई.
रामसमारे की शिकायत पर पुलिस उपायुक्त नगर और अपर पुलिस उपायुक्त अपराध के निर्देशन में साइबर क्राइम सेल आगरा द्वारा की गई. जांच के दौरान संबंधित बैंक से ट्रान्जेक्शन की जानकारी की गई तो पाया कि उक्त ट्रॉजक्शन के बैनेफिशियरी व प्रयुक्त मोबाइल की KYC से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर थाना जगदीशपुरा आगरा पर मु.अ.सं. 0078/2023 धारा 420 IPC व 66C, 66D आईटी एक्ट पंजीकृत कराया गया. साइबर क्राइम सेल आगरा द्वारा उपरोक्त पंजीकृत मुकद्दमें में प्राप्त मोबाइल नम्बर, बैंक खातों केआधार पर तकनीकी विश्लेषण कर जानकारी प्राप्त की गई तथा उनके नाम व पतों को तस्दीक किया. जिसके बाद शातिर साइबर ठग रवि कुमार को गिरफ्तार किया गया. वहीं फरार इमरान की तलाश की जा रही है. पुलिस के अनुसार आरोपी जिन बैंक खातों में रुपये लेते हैं वे किसी गरीब व्यक्ति के होते थे. आरोपी उनको सरकारी योजनाओं का लालच देकर खाता खुलवा लेते थे और चेक बुक, डेबिट कार्ड खुद ही रख लेते हैं. इसके बदले प्रत्येक खाता धारक को 4000 रुपये देते थे. पुलिस की शिकायत पर जैसे ही खाते को बैंक द्वारा फ्रीज किया जाता था. उस खाते की चेकबुक व कार्ड को नष्ट कर देते थे.
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