आगरा: अपनों की सताई और समाज में छुपकर रहने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर्स अब बदल चुकी हैं. शीरोज हैंगआउट कैफे में आज वे न सिर्फ हर किसी से खुलकर बात कर रही हैं, बल्कि अपने ऊपर बीते हुए कल को किसी से बताने में तनिक भी घबरा नहीं रही हैं. यही नहीं अब वे फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलना सीख गई हैं और शीरोज में आने वाले कस्टमर्स से आराम से फर्राटेदार अंग्रेजी में बात कर रही हैं.
सहमी रहती थीं एसिड अटैक सर्वाइवर्स
आगरा में शीरोज हैंगआउट कैफे की स्थापना एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी ने की थी. आज यहां आठ के करीब एसिड अटैक सर्वाइवर्स काम कर रही हैं. यह एसिड अटैक सर्वाइवर्स शुरुआत में सहमी रहती थीं और किसी के सामने जाने में भी इन्हें शर्म आती थी, लेकिन अब समय बदल गया है और आज वे अपने मन की खूबसूरती के बारे में जान चुकी हैं.
अंग्रेजी की टीचर देती हैं क्लास
चूंकि शीरोज में ज्यादातर वेल एजुकेटेड लोग और विदेशी आते थे. यहां ज्यादातर एसिड अटैक सर्वाइवर्स 8वीं से दसवीं तक ही पढ़ी थीं, तो इस वजह से मेहमानों से बात करने में सर्वाइवर्स को किसी का सहारा लेना पड़ता था. कई बार ऑर्डर लेने में भी दिक्कत होती थी. इसको देखते हुए अब शीरोज कैफे में अनुष्का मोना मित्तल को इन्हें अंग्रेजी पढ़ाने के लिए लगाया है.
काम के बीच में सीखती हैं अंग्रेजी
अनुष्का रोजाना चार से पांच घंटे कैफे में बिताती हैं और काम के बीच में मौका मिलते ही एसिड अटैक सर्वाइवर्स इनसे अंग्रेजी सीखती हैं. इसके कारण अब वे आसानी से अंग्रेजी बोल लेती हैं और आए हुए मेहमानों से अपनी कहानी खुद बता लेती हैं. आराम से ऑर्डर के अलावा भी बात कर लेती हैं. अंग्रेजी आने से एसिड अटैक सर्वाइवर्स की इच्छाशक्ति में विस्तार हुआ है. शिक्षिका अनुष्का के अनुसार उन्हें कई इंटरव्यू के बाद यहां रखा गया है और यहां उन्हें भी अच्छा लगता है.