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आगरा: शीरोज हैंगआउट में फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रही हैं एसिड अटैक सर्वाइवर

जिले के शीरोज हैंगआउट में एसिड अटैक सर्वाइवर्स को अंग्रेजी सिखाने के लिए नियुक्त की गई शिक्षिका अनुष्का मोना मित्तल की मेहनत रंग लाई है. आज उनकी बदौलत एसिड अटैक सर्वाइवर्स फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना सीख गई हैं.

आगरा शीरोज हैंगआउट में एसिड अटैक सर्वाइवर को अंग्रेजी सिखातीं शिक्षका.
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Published : Jun 29, 2019, 3:19 PM IST

आगरा: अपनों की सताई और समाज में छुपकर रहने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर्स अब बदल चुकी हैं. शीरोज हैंगआउट कैफे में आज वे न सिर्फ हर किसी से खुलकर बात कर रही हैं, बल्कि अपने ऊपर बीते हुए कल को किसी से बताने में तनिक भी घबरा नहीं रही हैं. यही नहीं अब वे फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलना सीख गई हैं और शीरोज में आने वाले कस्टमर्स से आराम से फर्राटेदार अंग्रेजी में बात कर रही हैं.

शीरोज हैंगआउट में एसिड अटैक सर्वाइवर को अंग्रेजी सिखातीं शिक्षका.

सहमी रहती थीं एसिड अटैक सर्वाइवर्स
आगरा में शीरोज हैंगआउट कैफे की स्थापना एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी ने की थी. आज यहां आठ के करीब एसिड अटैक सर्वाइवर्स काम कर रही हैं. यह एसिड अटैक सर्वाइवर्स शुरुआत में सहमी रहती थीं और किसी के सामने जाने में भी इन्हें शर्म आती थी, लेकिन अब समय बदल गया है और आज वे अपने मन की खूबसूरती के बारे में जान चुकी हैं.

अंग्रेजी की टीचर देती हैं क्लास
चूंकि शीरोज में ज्यादातर वेल एजुकेटेड लोग और विदेशी आते थे. यहां ज्यादातर एसिड अटैक सर्वाइवर्स 8वीं से दसवीं तक ही पढ़ी थीं, तो इस वजह से मेहमानों से बात करने में सर्वाइवर्स को किसी का सहारा लेना पड़ता था. कई बार ऑर्डर लेने में भी दिक्कत होती थी. इसको देखते हुए अब शीरोज कैफे में अनुष्का मोना मित्तल को इन्हें अंग्रेजी पढ़ाने के लिए लगाया है.

काम के बीच में सीखती हैं अंग्रेजी
अनुष्का रोजाना चार से पांच घंटे कैफे में बिताती हैं और काम के बीच में मौका मिलते ही एसिड अटैक सर्वाइवर्स इनसे अंग्रेजी सीखती हैं. इसके कारण अब वे आसानी से अंग्रेजी बोल लेती हैं और आए हुए मेहमानों से अपनी कहानी खुद बता लेती हैं. आराम से ऑर्डर के अलावा भी बात कर लेती हैं. अंग्रेजी आने से एसिड अटैक सर्वाइवर्स की इच्छाशक्ति में विस्तार हुआ है. शिक्षिका अनुष्का के अनुसार उन्हें कई इंटरव्यू के बाद यहां रखा गया है और यहां उन्हें भी अच्छा लगता है.

आगरा: अपनों की सताई और समाज में छुपकर रहने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर्स अब बदल चुकी हैं. शीरोज हैंगआउट कैफे में आज वे न सिर्फ हर किसी से खुलकर बात कर रही हैं, बल्कि अपने ऊपर बीते हुए कल को किसी से बताने में तनिक भी घबरा नहीं रही हैं. यही नहीं अब वे फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलना सीख गई हैं और शीरोज में आने वाले कस्टमर्स से आराम से फर्राटेदार अंग्रेजी में बात कर रही हैं.

शीरोज हैंगआउट में एसिड अटैक सर्वाइवर को अंग्रेजी सिखातीं शिक्षका.

सहमी रहती थीं एसिड अटैक सर्वाइवर्स
आगरा में शीरोज हैंगआउट कैफे की स्थापना एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी ने की थी. आज यहां आठ के करीब एसिड अटैक सर्वाइवर्स काम कर रही हैं. यह एसिड अटैक सर्वाइवर्स शुरुआत में सहमी रहती थीं और किसी के सामने जाने में भी इन्हें शर्म आती थी, लेकिन अब समय बदल गया है और आज वे अपने मन की खूबसूरती के बारे में जान चुकी हैं.

अंग्रेजी की टीचर देती हैं क्लास
चूंकि शीरोज में ज्यादातर वेल एजुकेटेड लोग और विदेशी आते थे. यहां ज्यादातर एसिड अटैक सर्वाइवर्स 8वीं से दसवीं तक ही पढ़ी थीं, तो इस वजह से मेहमानों से बात करने में सर्वाइवर्स को किसी का सहारा लेना पड़ता था. कई बार ऑर्डर लेने में भी दिक्कत होती थी. इसको देखते हुए अब शीरोज कैफे में अनुष्का मोना मित्तल को इन्हें अंग्रेजी पढ़ाने के लिए लगाया है.

काम के बीच में सीखती हैं अंग्रेजी
अनुष्का रोजाना चार से पांच घंटे कैफे में बिताती हैं और काम के बीच में मौका मिलते ही एसिड अटैक सर्वाइवर्स इनसे अंग्रेजी सीखती हैं. इसके कारण अब वे आसानी से अंग्रेजी बोल लेती हैं और आए हुए मेहमानों से अपनी कहानी खुद बता लेती हैं. आराम से ऑर्डर के अलावा भी बात कर लेती हैं. अंग्रेजी आने से एसिड अटैक सर्वाइवर्स की इच्छाशक्ति में विस्तार हुआ है. शिक्षिका अनुष्का के अनुसार उन्हें कई इंटरव्यू के बाद यहां रखा गया है और यहां उन्हें भी अच्छा लगता है.

Intro:अपनो की सताई और समाज मे चुप कर रहने वाली तेजाब पीड़िताएं अब बदल चुकी हैं।शीरोज हैंग आउट कैफे में आज वो न सिर्फ हर किसी से खुलकर बात कर रही हैं बल्कि अपने ऊपर बीते हुए कल को किसी से बताने में भी घबरा नही रही हैं।यही नही अब वो फ्राटेदार अंग्रेजी भी बोलना सीख गई हैं और शीरोज में आने वाले कस्टमर्स से आराम से अंग्रेजी में बात कर रही है।तेजाब पीड़िताओं को अंग्रेजी समझ आये इसके शीरोज में बाकायदा एक अंग्रेजी शिक्षिका को भी हायर किया गया है।


Body:आगरा में शीरोज हैंग आउट कैफे की स्थापना एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी ने की थी।आज यहां आठ के करीब एसिड अटैक सर्वाइवर्स काम कर रही हैं।यह एसिड अटैक सर्वाइवर्स शुरुआत में सहमी रहती थी और किसी के सामने जाने में भी इन्हें शर्म आती थी पर अब समय बदल गया है आज वो अपने मन की खूबसूरती के बारे जान चुकी हैं।

चूंकि शीरोज में ज्यादातर वेल एजुकेटेड लोग और विदेशी आते थे।यहां ज्यादातर सर्वाइवर्स 8वी दसवीं तक ही पढ़ी थी तो मेहमानों से बात करने में सर्वाइवर्स को किसी का सहारा लेना पड़ता था और कई बार आर्डर संजहने में भी दिक्कत होती थी।इसको देखते हुए अब शीरोज कैफे में अनुष्का मोना मित्तल को इन्हें अंग्रेजी पढ़ाने के लिए लगाया गया है।अनुष्का रोजाना 4 से 5 घण्टे कैफे में बिताती हैं और काम के बीच मे मौका मिलते ही तेजाब पीड़िताएं तैकर इनसे अंग्रेजी सीखती हैं।इसके कारण अब वो आसानी से अंग्रेजी बोल लेती हैं और आये हुए मेहमानों से अपनी कहानी खुद बता लेती हैं और आराम से आर्डर के अलावा भी बात कर लेती हैं।अंग्रेजी आने से इनकी इच्छा शक्ति में विस्तार हुआ है।शिक्षिका अनुष्का के अनुसार उन्हें कई इंटरव्यू के बाद यहां रखा गया है और यहां उन्हें भी अच्छा लगता है।


बाईट रूपा एसिड अटैक सर्वाइवर

बाईट अनुष्का शिक्षिका


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