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'शीरोज' की मदद के लिए ब्रिटेन की 'सिस्टरहुड' ने बढ़ाया हाथ

देश में एसिड अटैक सर्वाइवर की मदद करने के लिए छांव फाउंडेशन की ओर से शीरोज हैंगआउट कैफे चलाया जाता है. वहीं लॉकडाउन में होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए ग्रेट ब्रिटेन की संस्था 'अ सिस्टरहुड' ने मदद का हाथ बढ़ाते हुए 9 लाख रुपये की क्राउड फंडिंग की है.

सिस्टरहुड ने थामा हाथ
सिस्टरहुड ने थामा हाथ
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Published : Jun 19, 2020, 10:47 AM IST

आगरा: महिलाओं पर अत्याचार और उनका शोषण यह सब तो कुंठित पुरुषवादी सभ्यता के लिए आम बात है. एसिड अटैक का शिकार हुई महिला के दर्द के आगे शायद हर इंसान की रूह सिहर जाती है क्योंकि जिस जिस्मानी और मानसिक वेदना से वो गुजरती हैं उसका अंदाजा भी शायद कोई लगा सकता.

ब्रिटेने की 'अ सिस्टर हुड' संस्था ने की शिरोज की मदद

मगर कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने इस अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने जीवनशैली को और महिलाओं की तरह बनाने की कोशिश की. इस लड़ाई ने आज तेजाबी हमले से पीड़ित महिलाओं के लिए कई रास्ते खोल दिए और उसी में से एक 'शीरोज हैंगआउट कैफे'. ऐसे ही देश-विदेश में कई संस्था हैं जो महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उन्हीं में से एक संस्था है 'अ सिस्टरहुड', जो ग्रेट ब्रिटेन की मिस यूनिवर्स की संस्था है.

भारत में एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए छांव फॉउंडेशन की ओर से शीरोज हैंगआउट कैफे आगरा और लखनऊ में चलाया जाता है. यहां एसिड अटैक सर्वाइवर मेहनत करती हैं, जिन्हें पगार दिया जाता है. इस पगार से वो अपने परिवार का पालन पोषण करती है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान कैफे बंद होने से ये सभी एसिड अटैक सर्वाइवर बेरोजगार हो गईं. ऐसे में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

लॉकडाउन का असर सिर्फ मजदूर और किसानों पर ही नहीं बल्कि कई वर्ग के लोगों पर पड़ा है. इन्हीं में से एक हैं एसिड अटैक सर्वाइवर, जिन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. भले ही अनलॉक शुरू हो गया है, लेकिन विदेशी पर्यटकों का आना अभी शुरू नहीं हुआ है. इस कारण शीरोज में कोई विदेशी पर्यटक नहीं आ रहे हैं, जिसके कारण उनके आमदनी का जरिया बंद पड़ा है. इस परिस्थिती को ध्यान में रखते हुए 'अ सिस्टरहुड' ने शीरोज की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया और 7 जून को वेबीनार करके शीरोज के लिए 9 लाख रुपये की क्राउड फंडिंग जमा की.

आगरा के 'शीरोज हैंगआउट' में 10 एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं और लखनऊ के 'शीरोज हैंगआउट' कैफे में 20 एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं. सभी 'शीरोज' ही कैफे की व्यवस्था संभालती हैं. जिसमें अतिथि का स्वागत, अतिथि से आर्डर, सर्विस और हर संभावित मदद करती हैं. सभी 'शीरोज' को मासिक वेतन दिया जाता है. छांव फाउंडेशन से देशभर की 100 एसिड अटैक सर्वाइवर जुड़ी हुई हैं. जिनकी छांव संस्था की ओर से काउंसिल, पढ़ाई, मेडिकल हेल्प, सर्जरी और नौकरी में मदद करती है.

ट्रीटमेंट और सर्जरी में आएगी दिक्कत
शीरोज हैंगआउट की रूपा ने बताया कि उनका आगरा का कैफे टूरिस्ट प्लेस है. ताजनगरी में जब तक विदेशी मेहमान नहीं आएंगे. यह कैफे नहीं चल पाएगा. इस कैफे पर बहुत सारी सर्वाइवर डिपेंड है जोकि अपने परिवार का खर्चा चला रही हैं. उन्होंने बताया कि वह भी आगरा में किराए पर रहती हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से लॉकडाउन चल रहा है. उससे आगे आने वाले समय में सर्वाइवर के ट्रीटमेंट, सर्जरी से लेकर परिवार का खर्च चलाने में दिक्कतें आ सकती हैं.

बच्चों की फीस भरना मुश्किल
शीरोज हैंगआउट की मधु ने बताया कि 22 मार्च 2020 से लॉकडाउन शुरू हुआ और तभी से उनका कैफे बंद है. परिवार के खर्चा चलाने के लिए 'शीरोज हैंगआउट' से उन्हें कुछ पैसे मिलते रहते हैं. लेकिन मकान का किराया, बिजली का बिल, बच्चों की फीस समेत अन्य जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत हो रही है.

क्या है 'शीरोज' और 'अ सिस्टरहुड'

'शीरोज''अ सिस्टरहुड'
शीरोज एक ऐसी संस्था है जहां एसिड अटैक से पीड़ित महिलाएं काम करती है
और अपने घर का भरण-पोषण करती है. यह एक कैफे है जो छांव फाउंडेशन की ओर संचालित होता है. इस कैफे में एसिड अटैक सर्वाइवर विदेशी पर्यटकों की मेहमान नवाजी करती है.
वहीं 'अ सिस्टरहुड' एक विदेशी संस्था हैं जिसकी शुरुआत ग्रेट ब्रिटेन से हुई. इस संस्था के माध्यम से महिलाओं को सशक्त, आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करती है.

कैसे होता है काम

'शीरोज''अ सिस्टरहुड'
शीरोज हैंगआउट कैफे में एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं. वे कैफे में आने वाले विदेशी पर्यटकों की मेहमान नवाजी करती हैं. बता दें कि कैफे के मेन्यू पर खाने का रेट नहीं लिखा होता है. कैफे में आने वाले पर्यटक अपने अनुसार खाना का पैसा देते हैं.

'अ सिस्टरहुड' एक संस्था है जो महिला सशिक्तकरण के लिए काम करती है. ये संस्था मिस यूनिवर्स का इंवेंट कराती है, साथ ही महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाती है.

'शीरोज''अ सिस्टरहुड'

छांव फाउंडेशन से देशभर की 100 एसिड अटैक सर्वाइवर जुड़ी हुई हैं, जिनकी छांव संस्था की ओर से काउंसिल, पढ़ाई, मेडिकल हेल्प, सर्जरी और नौकरी में मदद करती है.

'अ सिस्टरहुड' की संस्था से भी कई महिलाएं जुड़ी हैं जिनकी मदद संस्था की ओर से किया जाता है. ये मदद ग्रेट ब्रिटेन की बनी मिस यूनिवर्स की ओर से किया जाता है.

9 लाख रुपये की फंडिंग मिली
क्राउड फंडिंग को लेकर शीरोज कैफे इवेंट्स मैनेजर रामभरत उपाध्याय ने बताया कि ग्रेट ब्रिटेन की संस्था 'अ सिस्टरहुड' हर साल मिस यूनिवर्स को लेकर के यहां आते हैं और शीरोज की आर्थिक मदद करती हैं. इस बार कोरोना के चलते वो यहां नहीं आ सकीं. इसलिए हाल ही में 'अ सिस्टरहुड' संस्था ने शीरोज हैंगआउट की आर्थिक मदद और फंड राइजिंग के लिए भारत में वेबीनार का आयोजन किया. इस वेबनार में प्रति व्यक्ति 25 यूरो का टारगेट रखा गया. इससे करीब 9 लाख रुपये की फंडिंग हुई है. इस फंड से मिली राशि से 'शीरोज हैंगआउट' की सर्वाइवर की तीन से चार माह की मदद हो जाएगी. सर्वाइवर के मेडिकल, सर्जरी और एजुकेशन के संबंधी खर्चे भी पूरे हो जाएंगे. वह भी क्राउड फंडिंग के लिए कैंपेन चला रहे हैं.

आगरा: महिलाओं पर अत्याचार और उनका शोषण यह सब तो कुंठित पुरुषवादी सभ्यता के लिए आम बात है. एसिड अटैक का शिकार हुई महिला के दर्द के आगे शायद हर इंसान की रूह सिहर जाती है क्योंकि जिस जिस्मानी और मानसिक वेदना से वो गुजरती हैं उसका अंदाजा भी शायद कोई लगा सकता.

ब्रिटेने की 'अ सिस्टर हुड' संस्था ने की शिरोज की मदद

मगर कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने इस अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने जीवनशैली को और महिलाओं की तरह बनाने की कोशिश की. इस लड़ाई ने आज तेजाबी हमले से पीड़ित महिलाओं के लिए कई रास्ते खोल दिए और उसी में से एक 'शीरोज हैंगआउट कैफे'. ऐसे ही देश-विदेश में कई संस्था हैं जो महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उन्हीं में से एक संस्था है 'अ सिस्टरहुड', जो ग्रेट ब्रिटेन की मिस यूनिवर्स की संस्था है.

भारत में एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए छांव फॉउंडेशन की ओर से शीरोज हैंगआउट कैफे आगरा और लखनऊ में चलाया जाता है. यहां एसिड अटैक सर्वाइवर मेहनत करती हैं, जिन्हें पगार दिया जाता है. इस पगार से वो अपने परिवार का पालन पोषण करती है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान कैफे बंद होने से ये सभी एसिड अटैक सर्वाइवर बेरोजगार हो गईं. ऐसे में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

लॉकडाउन का असर सिर्फ मजदूर और किसानों पर ही नहीं बल्कि कई वर्ग के लोगों पर पड़ा है. इन्हीं में से एक हैं एसिड अटैक सर्वाइवर, जिन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. भले ही अनलॉक शुरू हो गया है, लेकिन विदेशी पर्यटकों का आना अभी शुरू नहीं हुआ है. इस कारण शीरोज में कोई विदेशी पर्यटक नहीं आ रहे हैं, जिसके कारण उनके आमदनी का जरिया बंद पड़ा है. इस परिस्थिती को ध्यान में रखते हुए 'अ सिस्टरहुड' ने शीरोज की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया और 7 जून को वेबीनार करके शीरोज के लिए 9 लाख रुपये की क्राउड फंडिंग जमा की.

आगरा के 'शीरोज हैंगआउट' में 10 एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं और लखनऊ के 'शीरोज हैंगआउट' कैफे में 20 एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं. सभी 'शीरोज' ही कैफे की व्यवस्था संभालती हैं. जिसमें अतिथि का स्वागत, अतिथि से आर्डर, सर्विस और हर संभावित मदद करती हैं. सभी 'शीरोज' को मासिक वेतन दिया जाता है. छांव फाउंडेशन से देशभर की 100 एसिड अटैक सर्वाइवर जुड़ी हुई हैं. जिनकी छांव संस्था की ओर से काउंसिल, पढ़ाई, मेडिकल हेल्प, सर्जरी और नौकरी में मदद करती है.

ट्रीटमेंट और सर्जरी में आएगी दिक्कत
शीरोज हैंगआउट की रूपा ने बताया कि उनका आगरा का कैफे टूरिस्ट प्लेस है. ताजनगरी में जब तक विदेशी मेहमान नहीं आएंगे. यह कैफे नहीं चल पाएगा. इस कैफे पर बहुत सारी सर्वाइवर डिपेंड है जोकि अपने परिवार का खर्चा चला रही हैं. उन्होंने बताया कि वह भी आगरा में किराए पर रहती हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से लॉकडाउन चल रहा है. उससे आगे आने वाले समय में सर्वाइवर के ट्रीटमेंट, सर्जरी से लेकर परिवार का खर्च चलाने में दिक्कतें आ सकती हैं.

बच्चों की फीस भरना मुश्किल
शीरोज हैंगआउट की मधु ने बताया कि 22 मार्च 2020 से लॉकडाउन शुरू हुआ और तभी से उनका कैफे बंद है. परिवार के खर्चा चलाने के लिए 'शीरोज हैंगआउट' से उन्हें कुछ पैसे मिलते रहते हैं. लेकिन मकान का किराया, बिजली का बिल, बच्चों की फीस समेत अन्य जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत हो रही है.

क्या है 'शीरोज' और 'अ सिस्टरहुड'

'शीरोज''अ सिस्टरहुड'
शीरोज एक ऐसी संस्था है जहां एसिड अटैक से पीड़ित महिलाएं काम करती है
और अपने घर का भरण-पोषण करती है. यह एक कैफे है जो छांव फाउंडेशन की ओर संचालित होता है. इस कैफे में एसिड अटैक सर्वाइवर विदेशी पर्यटकों की मेहमान नवाजी करती है.
वहीं 'अ सिस्टरहुड' एक विदेशी संस्था हैं जिसकी शुरुआत ग्रेट ब्रिटेन से हुई. इस संस्था के माध्यम से महिलाओं को सशक्त, आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करती है.

कैसे होता है काम

'शीरोज''अ सिस्टरहुड'
शीरोज हैंगआउट कैफे में एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं. वे कैफे में आने वाले विदेशी पर्यटकों की मेहमान नवाजी करती हैं. बता दें कि कैफे के मेन्यू पर खाने का रेट नहीं लिखा होता है. कैफे में आने वाले पर्यटक अपने अनुसार खाना का पैसा देते हैं.

'अ सिस्टरहुड' एक संस्था है जो महिला सशिक्तकरण के लिए काम करती है. ये संस्था मिस यूनिवर्स का इंवेंट कराती है, साथ ही महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाती है.

'शीरोज''अ सिस्टरहुड'

छांव फाउंडेशन से देशभर की 100 एसिड अटैक सर्वाइवर जुड़ी हुई हैं, जिनकी छांव संस्था की ओर से काउंसिल, पढ़ाई, मेडिकल हेल्प, सर्जरी और नौकरी में मदद करती है.

'अ सिस्टरहुड' की संस्था से भी कई महिलाएं जुड़ी हैं जिनकी मदद संस्था की ओर से किया जाता है. ये मदद ग्रेट ब्रिटेन की बनी मिस यूनिवर्स की ओर से किया जाता है.

9 लाख रुपये की फंडिंग मिली
क्राउड फंडिंग को लेकर शीरोज कैफे इवेंट्स मैनेजर रामभरत उपाध्याय ने बताया कि ग्रेट ब्रिटेन की संस्था 'अ सिस्टरहुड' हर साल मिस यूनिवर्स को लेकर के यहां आते हैं और शीरोज की आर्थिक मदद करती हैं. इस बार कोरोना के चलते वो यहां नहीं आ सकीं. इसलिए हाल ही में 'अ सिस्टरहुड' संस्था ने शीरोज हैंगआउट की आर्थिक मदद और फंड राइजिंग के लिए भारत में वेबीनार का आयोजन किया. इस वेबनार में प्रति व्यक्ति 25 यूरो का टारगेट रखा गया. इससे करीब 9 लाख रुपये की फंडिंग हुई है. इस फंड से मिली राशि से 'शीरोज हैंगआउट' की सर्वाइवर की तीन से चार माह की मदद हो जाएगी. सर्वाइवर के मेडिकल, सर्जरी और एजुकेशन के संबंधी खर्चे भी पूरे हो जाएंगे. वह भी क्राउड फंडिंग के लिए कैंपेन चला रहे हैं.

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