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दिल में हार की हसरत लिए 90वीं बार किया नामांकन

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक ऐसे भी व्यक्ति हैं, जिन्होंने चुनाव के लिए इस बार 90वां नामांकन किया है. ग्राम प्रधान पद से लेकर राष्ट्रपति पद तक के लिए होने वाले सभी चुनावों के लिए इन्होंने नामांकन किया है. इस बार उन्होंने आगरा खंड स्नातक एवं शिक्षक सीट पर नामांकन किया है.

हसनुराम अंबेडकरी ने 90वीं बार किया नामांकन.
हसनुराम अंबेडकरी ने 90वीं बार किया नामांकन.
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Published : Nov 14, 2020, 11:20 AM IST

आगरा: ताजनगरी में आगरा खंड स्नातक एवं शिक्षक सीट चुनाव (एमएलसी) की नामांकन प्रक्रिया चल रही है. कमिश्नरी में प्रत्याशी जोशीले अंदाज में नामांकन कर रहे हैं. राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी और शिक्षक नेताओं की भीड़ में कमिश्नरी के अंदर हाथ में छड़ी थामे और बगल में खादी का बैग डाले 73 वर्षीय अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी ने निर्दलीय 90वीं बार एमएलसी चुनाव के लिए ताल ठोंकी है. हसनुराम ने स्नातक सीट के लिए नामांकन किया है. हसनुराम अब तक अलग-अलग पदों के लिए 89 बार चुनाव में उतर चुके हैं. राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके हसनुराम एक बार फिर हार की हसरत लिए चुनाव मैदान में हैं.

हसनुराम अंबेडकरी ने 90वीं बार किया नामांकन.

सन 1985 से चुनाव लड़ रहे अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी मनरेगा मजदूर हैं. देश की आजादी वाले दिन यानी 15 अगस्त 1947 को ही हसनुराम का रामनगर (खैरागढ़) गांव में जन्म हुआ था. हसनुराम की पत्नी का नाम शिवदेवी है. दोनों के पांच बेटे हैं, जो मजदूरी ही करते हैं. अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी दो मार्च सन 1985 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं. हसनुराम अब तक वार्ड सदस्य से लेकर राष्ट्रपति तक के चुनाव लड़ चुके हैं.

बगावत कर चुनाव में उतरे हसनूराम

हसनुराम अंबेडकरी ने बताया कि सन 1985 में वह बसपा में सक्रिय सदस्य थे. उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांगी थी, तब बसपा नेता ने उन्हें कहा कि 'तुम्हें तुम्हारी बीवी तक नहीं पहचानती है, तो कोई और क्या वोट देगा'. यही बात उन्हें बुरी लगी और उन्होंने बसपा छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने सन 1988 में खैरागढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ा और तबसे वह लगातार चुनाव लड़ रहे हैं.

हार पर बजाते हैं ढुमढुमी

हसनूराम अंबेडकरी का कहना है कि उन्होंने 2 मार्च सन् 1985 से चुनाव लड़ना शुरू किया है. लेकिन उनकी यह इच्छा नहीं है, कि वह जीतें. उनका लक्ष्य है कि सभी जीतने के लिए डुगडुगा बजाते हैं तो वह हारने के लिए एक छोटी सी ढुमढुमी बजाते हैं. 90वां नामांकन दाखिल कर हसनूराम अंबेडकरी का कहना है कि, मैंने आगरा खंड स्नातक सीट के लिए अपना नामांकन किया है. यह मेरा 90वां नामांकन है. इससे पहले मैं वार्ड सदस्य से लेकर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, क्रय विक्रय समिति, आगरा महानगर, विधानसभा, लोकसभा, एमएलसी सहित राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुका हूं.

100 नामांकन की उम्मीद

हसनूराम अंबेडकरी का कहना है कि एमएलसी के लिए किया गया नामांकन मेरा 90 वां नामांकन है. मेरी उम्मीद है कि मैं 100वां नामांकन भी करूंगा. ग्वालियर के धरतीपकड़ एक साथ 400 जगह से चुनाव लड़ते थे. लेकिन देश में दो से ज्यादा जगह चुनाव न लड़ने का अध्यादेश पारित हुआ है नहीं तो मैं भी एक बार में 100 जगह से चुनाव में उतर जाता.

न बैनर और न चुनाव खर्च

अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी कहते हैं कि मैं 35 साल से अलग-अलग पद और सीट के लिए चुनाव मैदान में उतरता हूं. मैं कभी भी किसी भी प्रत्याशी का डमी प्रत्याशी नहीं बना हूं. मैं वोट काटने के लिए भी मैदान में नहीं उतरा हूं. नामांकन के बाद जितना होता है मैं खुद ही अकेले बिना बैनर और पोस्टर के प्रचार करता हूं. जो लोग मुझसे दशकों से जुड़े हुए हैं. उनके जरिए मेरा चुनाव प्रचार होता है.

हसनुराम सन 2019 के लोकसभा चुनाव में आगरा (सुरक्षित) लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव में उतरे. इसमें हसनुराम को 28 हजार वोट मिले. उसी साल फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट के लिए भी उन्होंने नामांकन किया था, लेकिन पर्चा कैंसिल हो गया था. सन 2014 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी सीट से वह चुनावी मैदान में उतरे. उस समय उन्हें चुनाव में 17000 वोट मिले, जिसमें हसनुराम का पांचवा स्थान था.

आगरा: ताजनगरी में आगरा खंड स्नातक एवं शिक्षक सीट चुनाव (एमएलसी) की नामांकन प्रक्रिया चल रही है. कमिश्नरी में प्रत्याशी जोशीले अंदाज में नामांकन कर रहे हैं. राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी और शिक्षक नेताओं की भीड़ में कमिश्नरी के अंदर हाथ में छड़ी थामे और बगल में खादी का बैग डाले 73 वर्षीय अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी ने निर्दलीय 90वीं बार एमएलसी चुनाव के लिए ताल ठोंकी है. हसनुराम ने स्नातक सीट के लिए नामांकन किया है. हसनुराम अब तक अलग-अलग पदों के लिए 89 बार चुनाव में उतर चुके हैं. राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके हसनुराम एक बार फिर हार की हसरत लिए चुनाव मैदान में हैं.

हसनुराम अंबेडकरी ने 90वीं बार किया नामांकन.

सन 1985 से चुनाव लड़ रहे अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी मनरेगा मजदूर हैं. देश की आजादी वाले दिन यानी 15 अगस्त 1947 को ही हसनुराम का रामनगर (खैरागढ़) गांव में जन्म हुआ था. हसनुराम की पत्नी का नाम शिवदेवी है. दोनों के पांच बेटे हैं, जो मजदूरी ही करते हैं. अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी दो मार्च सन 1985 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं. हसनुराम अब तक वार्ड सदस्य से लेकर राष्ट्रपति तक के चुनाव लड़ चुके हैं.

बगावत कर चुनाव में उतरे हसनूराम

हसनुराम अंबेडकरी ने बताया कि सन 1985 में वह बसपा में सक्रिय सदस्य थे. उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांगी थी, तब बसपा नेता ने उन्हें कहा कि 'तुम्हें तुम्हारी बीवी तक नहीं पहचानती है, तो कोई और क्या वोट देगा'. यही बात उन्हें बुरी लगी और उन्होंने बसपा छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने सन 1988 में खैरागढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ा और तबसे वह लगातार चुनाव लड़ रहे हैं.

हार पर बजाते हैं ढुमढुमी

हसनूराम अंबेडकरी का कहना है कि उन्होंने 2 मार्च सन् 1985 से चुनाव लड़ना शुरू किया है. लेकिन उनकी यह इच्छा नहीं है, कि वह जीतें. उनका लक्ष्य है कि सभी जीतने के लिए डुगडुगा बजाते हैं तो वह हारने के लिए एक छोटी सी ढुमढुमी बजाते हैं. 90वां नामांकन दाखिल कर हसनूराम अंबेडकरी का कहना है कि, मैंने आगरा खंड स्नातक सीट के लिए अपना नामांकन किया है. यह मेरा 90वां नामांकन है. इससे पहले मैं वार्ड सदस्य से लेकर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, क्रय विक्रय समिति, आगरा महानगर, विधानसभा, लोकसभा, एमएलसी सहित राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुका हूं.

100 नामांकन की उम्मीद

हसनूराम अंबेडकरी का कहना है कि एमएलसी के लिए किया गया नामांकन मेरा 90 वां नामांकन है. मेरी उम्मीद है कि मैं 100वां नामांकन भी करूंगा. ग्वालियर के धरतीपकड़ एक साथ 400 जगह से चुनाव लड़ते थे. लेकिन देश में दो से ज्यादा जगह चुनाव न लड़ने का अध्यादेश पारित हुआ है नहीं तो मैं भी एक बार में 100 जगह से चुनाव में उतर जाता.

न बैनर और न चुनाव खर्च

अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी कहते हैं कि मैं 35 साल से अलग-अलग पद और सीट के लिए चुनाव मैदान में उतरता हूं. मैं कभी भी किसी भी प्रत्याशी का डमी प्रत्याशी नहीं बना हूं. मैं वोट काटने के लिए भी मैदान में नहीं उतरा हूं. नामांकन के बाद जितना होता है मैं खुद ही अकेले बिना बैनर और पोस्टर के प्रचार करता हूं. जो लोग मुझसे दशकों से जुड़े हुए हैं. उनके जरिए मेरा चुनाव प्रचार होता है.

हसनुराम सन 2019 के लोकसभा चुनाव में आगरा (सुरक्षित) लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव में उतरे. इसमें हसनुराम को 28 हजार वोट मिले. उसी साल फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट के लिए भी उन्होंने नामांकन किया था, लेकिन पर्चा कैंसिल हो गया था. सन 2014 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी सीट से वह चुनावी मैदान में उतरे. उस समय उन्हें चुनाव में 17000 वोट मिले, जिसमें हसनुराम का पांचवा स्थान था.

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