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आगरा में हर छह घंटे में एक साइबर क्राइम, ऐसे बना रहे शिकार - साइबर क्राइम की न्यूज

आगरा में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हर छह घंटे में एक साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा रहा है. आखिर साइबर क्रिमिनल कैसे शिकार को अपने जाल में फंसा रहे हैं और कैसे इनसे बचा जा सकता है चलिए आगे जानते हैं.

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Published : Jun 8, 2023, 7:18 PM IST

आगरा: अब क्रिमिनल भी हाईटेक हो गए हैं. वे मोबाइल कॉल और क्लिक से ​साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं. क्रिमिनल अब लोगों के खातों को मिनटों में साफ कर दे रहे हैं. आगरा में साइबर क्रिमिनल हर छह घंटे में एक व्यक्ति को शिकार बना रहे हैं. साइबर ठगों ने 151 दिनों में करीब 570 वारदातें अंजाम दी हैं. इनमें से 70 से 80 प्रतिशत शिकायतें फाइनेंशियल फ्रॉड की हैं जबकि, आगरा कमिश्नरेट में 151 दिनों में चोरी की महज 97 वारदातें हुईं हैं यानी कमिश्नरेट में हर दिन में एक चोरी भी नहीं हो रही है.

बता दें कि, साइबर क्रिमिनल आए दिन लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. इसको लेकर पुलिस की ओर से जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है. स्कूली बच्चों और बड़ों को साइबर क्राइम से बचाव के बारे में बताया जा रहा है. आगरा में एक जनवरी से 31 मई 2023 तक के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि बीते 151 दिनों में साइबर क्रिमिनल ने 570 साइबर क्राइम की घटनाएं अंजाम दी हैं. हर माह पुलिस के पास 125 से अधिक साइबर क्राइम की शिकायतें पहुंचीं हैं. आगरा में साइबर ​क्रिमिनल के निशाने पर चाय बेचने वाले, सब्जी बेचने वाले, सरकारी कर्मचारी, युवा, बुजुर्ग और कारोबारी हैं. उन्हें लालच, झांसा या डर दिखाकर शिकार बनाया जा रहा है.

पुलिस कर रही जनता को जागरूक
अपर उपायुक्त अपराध डॉ. राजीव कुमार सिंह बताते हैं कि साइबर क्राइम बिना पीड़ित की चूक के संभव नहीं है क्योंकि, आज हर व्यक्ति के पास स्मार्टफोन है जिससे लोग लेनदेन भी करते हैं. बैंक खाता भी उसी मोबाइल से आपरेट कर रहे हैं. लोगों को जागरूक किया जा रहा है. अब तो डॉक्यूमेंट्री के जरिए लोगों को समझाया जा रहा है ताकि वे साइबर क्राइम से बच सकें.

पुलिस हो रही हाईटेक
आगरा पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि जिले में साइबर क्राइम सेल और रेंज का साइबर थाना भी है. पुलिस भी लगातार हाईटेक हो रही है इसलिए आगरा कमिश्नरेट पुलिस अब साइबर क्रिमिनल के सिमकार्ड ब्लॉक करा रही है. इसके साथ ही साइबर क्रिमिनल के मोबाइल ब्लॉक कराए गए हैं. जैसे ही पीड़ित हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराता है वैसे ही पुलिस भी कार्रवाई शुरू कर देती है. सबसे पहले पुलिस टीम बैंक खाते, यूपीआई, पेमेंट वॉलेट ब्लॉक करती है.

लूट और साइबर ठगी की सजा में भी अंतर
बता दें कि, जब कोई अपराधी सरेराह लूट या छिनैती करता है तो उसके खिलाफ लूट की धारा में मुकदमा दर्ज होता है. इसमें दस साल से 14 साल तक का सजा का प्रावधान है. वहीं, साइबर फ्रॉड में पुलिस धोखाधड़ी और आईटी एक्ट की धारा में मुकदमा लिखती है. आईटी एक्ट की धाराओं में तीन से सात साल तक ही सजा का प्रावधान है इसलिए भी क्रिमिनल हाईटेक होकर अब साइबर ठगी कर रहे हैं.

लूट से हलचल, साइबर क्राइम पर सुस्ती
जब किसी थाना क्षेत्र में पांच हजार रुपये की लूट होती है तो पुलिस इसे चुनौती के रूप में लेती है. थाना प्रभारी मौके पर पहुंचते हैं. तत्काल मुकदमा दर्ज करके सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाते हैं. वहीं, साइबर क्राइम के मामले में ऐसा नहीं होता हैं. जब साइबर क्राइम की शिकायत लेकर पीडित थाना पर पहुंचता है तो उसकी सुनी नहीं जाती है. मुकदमा दर्ज करने से पहले जांच होती है इसलिए, पीड़ित खुद ही पीछे हट जाता है.



पुलिस यूं रहती है खाली हाथ
1.आगरा में जनता को ठगने वाले साइबर अपराधी दूसरे प्रदेश में बैठे हैं.
2.साइबर क्रिमिनल का सिमकार्ड फर्जी आईडी पर खरीदा जाता है.
3.साइबर ठगी की रकम जिस खाते में ट्रांसफर होती है वह भी फर्जी आईडी पर होता है.
4. देश में हर प्रदेश की पुलिस का एक दूसरे से बेहतर समन्वय नहीं है.
5. साइबर क्रिमिनल का रिकार्ड भी पुलिस के पास उपलब्ध नहीं है.
6.साइबर क्रिमिनल हाईटेक हैं वहीं, पुलिस के पास संसाधन कम हैं.

साइबर ठगी के तरीके
1. लॉटरी का लालच देकर ठगी
2. विनिंग गेम का झांसा
3. बैंक कर्मी बनकर ओटीपी लेना
4. अधिकारी बनकर ओटीपी लेना
5. फोन हैक करके ठगी
6. डेबिट कार्ड की क्लोलिंग
7. क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग
8. बीमा एजेंट बनकर कॉल करना
9. रिश्तेदार बनकर काॅल करना
10. नौकरी लगवाने का झांसा देना
11. बोनस का झांसा देना
12. रिवार्ड प्वाइंट का झांसा देना
13. पार्सल आने का झांसा देना
14. बिजली बिल भुगतान का झांसा

ये बरतें सावधानी
1. प्राइज जीतने वाले मैसेज और ईमेल पर क्लिक न करें.
2. फोन पर अनजान से बैंक खाते की डिटेल्स शेयर न करें.
3. फोन पर किसी भी अनजान से ओटीपी शेयर न करें.
4. ई-कॉमर्स साइट से कैश ऑन डिलीवरी से ही खरीदारी करें.
5. मोबाइल में विश्वनीय साइटों से ही सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें.
6. पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने से परहेज करें.
7. मोबाइल में डाउनलोड ऐप्स को कम से कम परमिशन दें.
8. सोशल मीडिया पर अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें.
9. वीडियो कॉल्स पर अनजान से कभी भी बात न करें.


ये भी पढ़ेंः संजीव माहेश्वरी हत्याकांड का नेपाल कनेक्शन, लखनऊ में शूटर को मिली थी अमेरिकन रिवाल्वर

आगरा: अब क्रिमिनल भी हाईटेक हो गए हैं. वे मोबाइल कॉल और क्लिक से ​साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं. क्रिमिनल अब लोगों के खातों को मिनटों में साफ कर दे रहे हैं. आगरा में साइबर क्रिमिनल हर छह घंटे में एक व्यक्ति को शिकार बना रहे हैं. साइबर ठगों ने 151 दिनों में करीब 570 वारदातें अंजाम दी हैं. इनमें से 70 से 80 प्रतिशत शिकायतें फाइनेंशियल फ्रॉड की हैं जबकि, आगरा कमिश्नरेट में 151 दिनों में चोरी की महज 97 वारदातें हुईं हैं यानी कमिश्नरेट में हर दिन में एक चोरी भी नहीं हो रही है.

बता दें कि, साइबर क्रिमिनल आए दिन लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. इसको लेकर पुलिस की ओर से जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है. स्कूली बच्चों और बड़ों को साइबर क्राइम से बचाव के बारे में बताया जा रहा है. आगरा में एक जनवरी से 31 मई 2023 तक के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि बीते 151 दिनों में साइबर क्रिमिनल ने 570 साइबर क्राइम की घटनाएं अंजाम दी हैं. हर माह पुलिस के पास 125 से अधिक साइबर क्राइम की शिकायतें पहुंचीं हैं. आगरा में साइबर ​क्रिमिनल के निशाने पर चाय बेचने वाले, सब्जी बेचने वाले, सरकारी कर्मचारी, युवा, बुजुर्ग और कारोबारी हैं. उन्हें लालच, झांसा या डर दिखाकर शिकार बनाया जा रहा है.

पुलिस कर रही जनता को जागरूक
अपर उपायुक्त अपराध डॉ. राजीव कुमार सिंह बताते हैं कि साइबर क्राइम बिना पीड़ित की चूक के संभव नहीं है क्योंकि, आज हर व्यक्ति के पास स्मार्टफोन है जिससे लोग लेनदेन भी करते हैं. बैंक खाता भी उसी मोबाइल से आपरेट कर रहे हैं. लोगों को जागरूक किया जा रहा है. अब तो डॉक्यूमेंट्री के जरिए लोगों को समझाया जा रहा है ताकि वे साइबर क्राइम से बच सकें.

पुलिस हो रही हाईटेक
आगरा पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि जिले में साइबर क्राइम सेल और रेंज का साइबर थाना भी है. पुलिस भी लगातार हाईटेक हो रही है इसलिए आगरा कमिश्नरेट पुलिस अब साइबर क्रिमिनल के सिमकार्ड ब्लॉक करा रही है. इसके साथ ही साइबर क्रिमिनल के मोबाइल ब्लॉक कराए गए हैं. जैसे ही पीड़ित हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराता है वैसे ही पुलिस भी कार्रवाई शुरू कर देती है. सबसे पहले पुलिस टीम बैंक खाते, यूपीआई, पेमेंट वॉलेट ब्लॉक करती है.

लूट और साइबर ठगी की सजा में भी अंतर
बता दें कि, जब कोई अपराधी सरेराह लूट या छिनैती करता है तो उसके खिलाफ लूट की धारा में मुकदमा दर्ज होता है. इसमें दस साल से 14 साल तक का सजा का प्रावधान है. वहीं, साइबर फ्रॉड में पुलिस धोखाधड़ी और आईटी एक्ट की धारा में मुकदमा लिखती है. आईटी एक्ट की धाराओं में तीन से सात साल तक ही सजा का प्रावधान है इसलिए भी क्रिमिनल हाईटेक होकर अब साइबर ठगी कर रहे हैं.

लूट से हलचल, साइबर क्राइम पर सुस्ती
जब किसी थाना क्षेत्र में पांच हजार रुपये की लूट होती है तो पुलिस इसे चुनौती के रूप में लेती है. थाना प्रभारी मौके पर पहुंचते हैं. तत्काल मुकदमा दर्ज करके सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाते हैं. वहीं, साइबर क्राइम के मामले में ऐसा नहीं होता हैं. जब साइबर क्राइम की शिकायत लेकर पीडित थाना पर पहुंचता है तो उसकी सुनी नहीं जाती है. मुकदमा दर्ज करने से पहले जांच होती है इसलिए, पीड़ित खुद ही पीछे हट जाता है.



पुलिस यूं रहती है खाली हाथ
1.आगरा में जनता को ठगने वाले साइबर अपराधी दूसरे प्रदेश में बैठे हैं.
2.साइबर क्रिमिनल का सिमकार्ड फर्जी आईडी पर खरीदा जाता है.
3.साइबर ठगी की रकम जिस खाते में ट्रांसफर होती है वह भी फर्जी आईडी पर होता है.
4. देश में हर प्रदेश की पुलिस का एक दूसरे से बेहतर समन्वय नहीं है.
5. साइबर क्रिमिनल का रिकार्ड भी पुलिस के पास उपलब्ध नहीं है.
6.साइबर क्रिमिनल हाईटेक हैं वहीं, पुलिस के पास संसाधन कम हैं.

साइबर ठगी के तरीके
1. लॉटरी का लालच देकर ठगी
2. विनिंग गेम का झांसा
3. बैंक कर्मी बनकर ओटीपी लेना
4. अधिकारी बनकर ओटीपी लेना
5. फोन हैक करके ठगी
6. डेबिट कार्ड की क्लोलिंग
7. क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग
8. बीमा एजेंट बनकर कॉल करना
9. रिश्तेदार बनकर काॅल करना
10. नौकरी लगवाने का झांसा देना
11. बोनस का झांसा देना
12. रिवार्ड प्वाइंट का झांसा देना
13. पार्सल आने का झांसा देना
14. बिजली बिल भुगतान का झांसा

ये बरतें सावधानी
1. प्राइज जीतने वाले मैसेज और ईमेल पर क्लिक न करें.
2. फोन पर अनजान से बैंक खाते की डिटेल्स शेयर न करें.
3. फोन पर किसी भी अनजान से ओटीपी शेयर न करें.
4. ई-कॉमर्स साइट से कैश ऑन डिलीवरी से ही खरीदारी करें.
5. मोबाइल में विश्वनीय साइटों से ही सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें.
6. पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने से परहेज करें.
7. मोबाइल में डाउनलोड ऐप्स को कम से कम परमिशन दें.
8. सोशल मीडिया पर अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें.
9. वीडियो कॉल्स पर अनजान से कभी भी बात न करें.


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