आगराः आईबी की सूचना पर आगरा कमिश्नरेट पुलिस ने 32 बांग्लादेशी गिरफ्तार किए हैं. इनमें 15 पुरुष, 13 महिलाएं और 4 किशोर शामिल हैं. बांग्लादेशी घुसपैठिया पकड़े जाने से लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की मुस्तैदी पर सवाल खड़े हो गए हैं. सालों से ये बांग्लादेशी झुग्गी झोपड़ी में रह रहे थे, लेकिन एलआईयू को इनकी भनक तक नहीं लगी. इस पूरे मामले में दबी जुबान से एलआईयू के फेल होने की बात की जा रही है. आईबी इस मामले को लेकर हाई अलर्ट पर है.
आईबी के अनुसार, आगरा में ऐसे ही 200 से अधिक बांग्लादेशी हैं, जिनकी उन्हें तलाश है (Bangladeshi Infiltration In Agra). आईबी का कहना है कि बांग्लादेशियों पर शिकंजा कसने के लिए गोपनीय रूप से काम कर रही है. इससे पहले भी अक्टूबर 2019 में सिकंदरा थाना क्षेत्र के रुनकता में बंग्लादेशियों की बस्ती पकड़ी गई थी. पकड़े गए बांग्लादेशियों का कहना है कि बेरोजगारी और महंगाई की वजह से बांग्लादेशी भारत आ रहे हैं. G20 शिखर सम्मेलन की आगामी बैठकों के बीच बांग्लादेशियों के घुसपैठ को लेकर भी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं.
2009 में घुसपैठ करके आया था हालिमः डीसीपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि सिकंदरा थाना क्षेत्र में आवास विकास कालोनी सेक्टर-14 के एक विवादित प्लाट में बांग्लादेशियों की बस्ती पकड़ी गई है. गिरफ्तार बांग्लादेशी हालिम ने यह बस्ती बसाई है. हालिम स्वीपर है. उसने पूछताछ में खुलासा किया है कि 2009 में वह बांग्लादेश से नदी पार करके भारत आया था. बंगाल से बिहार होकर आगरा आया. यहां पर तुलसी बाग, दयालबाग के पते पर आधार कार्ड, पैनकार्ड बनवाया. एलआईसी की पालिसी ली और बैंक खाता खुलवाया था. हालिम अब कैलाश मोड़ के पास किराए के मकान में रहता है.
डीसीपी ने बताया कि हाईवे स्थित एक नर्सिंग होम में वह 18 हजार रुपए महीने की नौकरी करता है. हाल ही में उसने अपनी पत्नी और बेटी को आगरा बुलवाया था. दोनों पासपोर्ट और वीजा पर आए हैं. पुलिस टीम को हालिम की पत्नी और बच्चे के अलावा दो और लोगों के पास पासपोर्ट और वीजा मिले हैं. वे वैध तरीके से भारत में आए थे. इसलिए, उन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया. हालिम लगातार हवाला से रुपए बांग्लादेश भेज रहा था.
ऐसे आया आईबी के निशाने परः आईबी के सूत्रों के मुताबिक, हालिम की पत्नी और बच्चे आगरा आने पर आगरा में बांग्लादेशियों के रहने का शक हुआ था. खुफिया एजेंसियों की छानबीन में हालिम शक के घेरे में आया. इससे 32 बांग्लादेशी पकड़े गए हैं. पुलिस ने चार किशोर हैं. उन्हें किशोर न्यायालय के समक्ष पेश किया. जहां से उन्हें बाल सुधार गृह भेजा गया है. अन्य 8 बच्चों की उम्र 7 साल और उससे कम हैं. इसलिए, ये सभी अपनी-अपनी मां के साथ जेल जाएंगे.
अन्य बांग्लादेशी भी निशाने परः डीसीपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस उन एजेंट की तलाश कर रही है. जिससे इन्होंने बांग्लादेशियों के आधार कार्ड बनवाए हैं. इसको लेकर कई टीमें लगाई हैं, ताकि बांग्लादेशियों की मदद करने वाले हर आरोपी को सलाखों के पीछे भेजा जा सके.
गाजी की तरह खुद का नेटवर्क बना रहा था हलीमः साल 2019 में रुनकता के पास खाली प्लाट में बंग्लादेशियों ने अपनी बस्ती बसाई थी. पुलिस ने ठेकेदार सईदउल गाजी को पकड़ा था. जो कबाड़ का काम करता था. उसका पक्का मकान था और दो प्लाट भी खरीद लिए थे. कबाड़ के लिए दो गाड़ियां भी थी. इसी तरह सिकंदरा थाना पुलिस की गिरफ्त में आए हालिम ने चोरी छिपे सेक्टर 14 में विवादित जमीन पर बांग्लादेशियों की अवैध बस्ती बसा दी थी. इस जमीन का वह हर माह एक हजार रुपए किराया भी देता है. जहां पर धीर धीरे 80 झुग्गी झोपड़ी बन गई हैं. जहां पर सालों से बांग्लादेशी रह रहे हैं. जो बदलते रहते हैं. अब हलीम कभी कभार यहां पर आता जाता था. आगरा में आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बनने से झुग्गी झोपड़ी में इनके बिजली और डीटीएच कनेक्शन भी हो गए थे.
घुसपैठ में दिक्कत एजेंट करते हैं आसानः गिरफ्तार बांग्लादेशी हालिम ने पुलिस और खुफिया एजेंसियों को पूछताछ में बताया कि बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ के कई रास्ते हैं. ये सभी लोग नदी के रास्ते घुसपैठ करके आए हैं. एजेंट दोनों तरफ की फोर्स से बचाने की जिम्मेदारी के लिए रुपए लेते हैं. पश्चिमी बंगाल में ट्रेन तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी एजेंट की होती है. इसलिए, घुसपैठ में कोई दिक्कत नहीं होती है. एजेंट नदी पार करके पश्चिमी बंगाल की सीमा में आसानी से प्रवेश कराते हैं. फिर, पांच किमी. पैदल चलने के बाद टेंपो से सियालदाह आ जाते हैं. यहां से बिहार से पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते हैं. फिर रुकते-रुकाते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रेलवे लाइन, खाली प्लाट या अन्य जगह झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहते हैं. पश्चिमी यूपी के सभी जिलों में बंग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं.
यह काम करते हैंः गिरफ्तार बांग्लादेशियों के ठेकेदार हलीम से पूछताछ में आईबी को अहम जानकारी मिली हैं. आगरा में 200 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं. जो नौकरी नहीं करते हैं. बल्कि, सड़कों पर कूड़ा और कबाड़ इकट्ठा करके बेचते है और हर दिन 300 से 500 रुपए कमाते हैं.
ये भी पढ़ेंः Agra Metro: टनल बनाने के लिए टीबीएम का उद्घाटन करेंगे सीएम, अंडरग्राउंड मेट्रो ट्रैक के लिए इस रूट पर होगा काम