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चंबल नदी में छोड़े गए विलुप्तप्राय ढोर प्रजाति के 1200 कछुए - agra news

आगरा में वन विभाग के कर्मचारियों ने गुरुवार को चंबल नदी में ढोर प्रजाति के 1200 नन्हे कछुए छोड़े. आपको बता दें कि, औषधीय गुणों के कारण बड़ी संख्या में इनकी तस्करी होती है, जिसकी वजह से कछुओं की ये प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है.

चंबल नदी में छोड़े गए ढोर प्रजाति के 1200 कछुए
चंबल नदी में छोड़े गए ढोर प्रजाति के 1200 कछुए
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Published : May 21, 2021, 8:08 AM IST

आगरा: जनपद के बाह क्षेत्र में वन विभाग के कर्मचारियों ने गुरुवार को चंबल नदी में विलुप्तप्राय ढोर प्रजाति के 1200 नन्हे कछुए छोड़े. जिससे इनके कुनबे में इजाफा हुआ है. दो महीने पूर्व कछुओं ने बालू के डेढ फीट गहरे गड्ढों में अंडे दिए थे. जीपीएस से अंडों की लोकेशन ट्रेस करने के बाद वन विभाग की टीम लगातार इनकी निगरानी कर रही थी. इसके बाद हैचिंग से जन्मे कुछओं के बच्चों के नदी में पहुंचने के बाद वन विभाग का अमला काफी उत्साहित है.

नेस्ट की जांच करते वन विभाग के कर्मी
नेस्ट की जांच करते वन विभाग के कर्मी
सिर्फ कुछ देशों में बचे हैं ढोर प्रजाति के कछुएआईयूसीएन की लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल ढोर प्रजाति के कछुओं के 1200 नन्हें मेहमानों के चंबल के कुनबे में शामिल होने पर वन विभाग काफी खुश है. आपको बता दें कि, आईयूसीएन की लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल कछुओं की ढोर प्रजाति अब सिर्फ भारत, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार में बची है. मार्च-अप्रैल में चंबल नदी के विभिन्न घाटों पर कछुओं की नेस्टिंग हुई थी. जिसके बाद 150 नेस्ट चिन्हित कर वन विभाग ने जीपीएस से लोकेशन ट्रेस की थी. प्रत्येक नेस्ट में करीब डेढ फीट गहरे गड्ढे में कछुओं ने 25 से 30 अंडे दिए थे. इसके बाद करीब दो महीने बाद शुरू हुए हैचिंग पीरियड को लेकर वन विभाग का अमला सक्रिय हो गया था.
बालू में बने नेस्ट से निकलते नन्हें कछुए
बालू में बने नेस्ट से निकलते नन्हें कछुए

हैचिंग पीरियड में वन विभाग ने की नेस्ट की पहरेदारी

बुधवार को नन्दगवां में 450, चीकनीपुरा में 400, मऊ में 350 कुल 1200 ढोर और कटहवा प्रजाति के कछुओं के बच्चों का जन्म हुआ. चंबल सेंचुरी बाह के रेंजर आरके ‌सिंह राठौड के नेतृत्व में वन कर्मियों की निगरानी में नेस्ट की बालू को कुरेदकर अंडो से निकले बच्चे नदी में पहुंचाए गए. उन्होंने बताया कि हैचिंग पीरियड शुरू होते ही मादा कछुआ नेस्टों के आसपास विचरण करने लगती है और नेस्ट की बालू् बैठ जाती हैं. हैचिंग पीरियड में वन विभाग की पहरेदारी में रिकॉर्ड हैचिंग हुई है.

आगरा: जनपद के बाह क्षेत्र में वन विभाग के कर्मचारियों ने गुरुवार को चंबल नदी में विलुप्तप्राय ढोर प्रजाति के 1200 नन्हे कछुए छोड़े. जिससे इनके कुनबे में इजाफा हुआ है. दो महीने पूर्व कछुओं ने बालू के डेढ फीट गहरे गड्ढों में अंडे दिए थे. जीपीएस से अंडों की लोकेशन ट्रेस करने के बाद वन विभाग की टीम लगातार इनकी निगरानी कर रही थी. इसके बाद हैचिंग से जन्मे कुछओं के बच्चों के नदी में पहुंचने के बाद वन विभाग का अमला काफी उत्साहित है.

नेस्ट की जांच करते वन विभाग के कर्मी
नेस्ट की जांच करते वन विभाग के कर्मी
सिर्फ कुछ देशों में बचे हैं ढोर प्रजाति के कछुएआईयूसीएन की लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल ढोर प्रजाति के कछुओं के 1200 नन्हें मेहमानों के चंबल के कुनबे में शामिल होने पर वन विभाग काफी खुश है. आपको बता दें कि, आईयूसीएन की लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल कछुओं की ढोर प्रजाति अब सिर्फ भारत, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार में बची है. मार्च-अप्रैल में चंबल नदी के विभिन्न घाटों पर कछुओं की नेस्टिंग हुई थी. जिसके बाद 150 नेस्ट चिन्हित कर वन विभाग ने जीपीएस से लोकेशन ट्रेस की थी. प्रत्येक नेस्ट में करीब डेढ फीट गहरे गड्ढे में कछुओं ने 25 से 30 अंडे दिए थे. इसके बाद करीब दो महीने बाद शुरू हुए हैचिंग पीरियड को लेकर वन विभाग का अमला सक्रिय हो गया था.
बालू में बने नेस्ट से निकलते नन्हें कछुए
बालू में बने नेस्ट से निकलते नन्हें कछुए

हैचिंग पीरियड में वन विभाग ने की नेस्ट की पहरेदारी

बुधवार को नन्दगवां में 450, चीकनीपुरा में 400, मऊ में 350 कुल 1200 ढोर और कटहवा प्रजाति के कछुओं के बच्चों का जन्म हुआ. चंबल सेंचुरी बाह के रेंजर आरके ‌सिंह राठौड के नेतृत्व में वन कर्मियों की निगरानी में नेस्ट की बालू को कुरेदकर अंडो से निकले बच्चे नदी में पहुंचाए गए. उन्होंने बताया कि हैचिंग पीरियड शुरू होते ही मादा कछुआ नेस्टों के आसपास विचरण करने लगती है और नेस्ट की बालू् बैठ जाती हैं. हैचिंग पीरियड में वन विभाग की पहरेदारी में रिकॉर्ड हैचिंग हुई है.

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