गुंटूर (आंध्र प्रदेश): बोमिनी मोनिका अक्षय शतरंज में भारत की नई महिला अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनीं. उनके माता-पिता पेशे से प्राइवेट टीचर हैं. वे खाली समय में घर में शतरंज खेलते थे. मोनिका इस खेल को गौर से देखती थीं. उन्होंने उसे खेल से परिचित कराया और उसे वे चालें सिखाईं, जो वे जानते थे. मोनिका ने जल्दी से शतरंज की रणनीतियों को समझ लिया और खेल में अपने से सीनियर को भी हरा दिया.
मोनिका की प्रतिभा को देखकर उनके माता-पिता ने उन्हें एक प्रतिष्ठित कोच द्वारा संचालित शतरंज की कक्षा में नामांकित किया. जहां उन्होंने अपने कौशल का सम्मान किया. वह स्कूल के बाद खेल की तकनीकों का अध्ययन करने में बिताती थीं. उन्होंने जिला और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया और पश्चिम गोदावरी जिले के तनुकू में आयोजित अंडर-7 राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता. उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा. केवल प्रतिभा ही आपको शतरंज जैसे खेलों में स्थान नहीं दिलाएगी, बल्कि वित्तीय सहायता भी अनिवार्य है. जैसे की यात्रा करना, मैचों में नामांकन करना और टूर्नामेंट के लिए विदेश में रहना एक महंगा मामला है.
यह भी पढ़ें: 'आईपीएल नीलामी में सर्वश्रेष्ठ भारतीय खिलाड़ियों पर होंगी सबकी नजरें'
मोनिका के माता-पिता जो अपने कम वेतन से परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. उन्होंने कहा, लड़की को इतना महंगा खेल खिलाने पर पड़ोसी और परिचित परिवार का मजाक उड़ाते हैं. लेकिन मोनिका के माता-पिता पीछे नहीं हटे. उन्होंने मोनिका को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भेजने के लिए खुद का घर बनाने के लिए अलग रखा पैसा खर्च किया. अपने माता-पिता के बलिदान के प्रति पूरी तरह जागरुक और आभारी, मोनिका ने खेल में अपना दिल और आत्मा लगा दी. वह भारत की नवीनतम महिला अंतर्राष्ट्रीय मास्टर बन गईं और एक दिन महिला ग्रैंडमास्टर बनने का लक्ष्य रखती हैं.
यह भी पढ़ें: National Winter Games: औली में शुरू हुईं प्रतियोगिताएं, 16 राज्यों के 350 खिलाड़ी ले रहे भाग
मोनिका केएलएन कॉलेज में बीटेक सेकेंड ईयर की छात्रा हैं. भाष्यम एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस ने मोनिका की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई के लिए फंडिंग की थी. पढ़ाई और शतरंज दोनों मेरे लिए महत्वपूर्ण था. मोनिका ने बताया, मैं सप्ताहांत के दौरान अभ्यास करती हूं. शुरुआत में मेरी मां लक्ष्मी मेरे साथ अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में जाती थीं, जिसका मतलब दोगुना खर्च होता था. इसलिए, मैं पिछले साल से अकेले यात्रा कर रही हूं. मोनिका के माता-पिता चाहते हैं कि सरकार उनके बच्चे की प्रतिभा को पहचाने और उनका समर्थन करे.
यह भी पढ़ें: FIH Pro League: कल होगी भारत और फ्रांस के बीच भिड़ंत
- मोनिका की अब तक की कुछ उपलब्धियां इस प्रकार हैं
- चीन में आयोजित एशियाई शतरंज महासंघ 2014 की विजेता
- महिला उम्मीदवार मास्टर (डब्ल्यूसीएम) 2014 ब्राजील में आयोजित वर्ल्ड स्कूल शतरंज चैंपियनशिप में उपविजेता
- सिंगापुर में आयोजित 2015 आसियान आयु-समूह चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक की विजेता
- वुमन फिडे मास्टर (डब्ल्यूएफएम) शीर्षक 2019 में दिल्ली ओपन शतरंज चैंपियनशिप में पहली महिला अंतर्राष्ट्रीय मास्टर
- मानदंड 2021 में वर्ल्ड यूथ ऑनलाइन ग्रां प्री सीरीज में दूसरा स्थान
- स्पेन में आयोजित रोक्वेटस शतरंज महोत्सव में अंतिम मानदंड हासिल करने के बाद भारत की पहली महिला अंतर्राष्ट्रीय मास्टर