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होमोफोबिया अभी भी हमारी सांस्कृतिक बनावट का हिस्सा है : सेलिना जेटली - Celina jaitly says homophobia is still part of our cultural fibre

सेलिना जेटली की हाल ही में शॉर्ट फिल्म 'सीजंस ग्रीटिंग्स : ए ट्रिब्यूट टू रितुपर्णो घोष' आई थी. अभिनेत्री का मानना है कि होमोफोबिया अभी भी हमारी सांस्कृतिक बनावट का हिस्सा है.

Celina jaitly says homophobia is still part of our cultural fibre
होमोफोबिया अभी भी हमारी सांस्कृतिक बनावट का हिस्सा है : सेलिना जेटली
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Published : May 2, 2020, 7:57 PM IST

मुंबई : अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता सेलिना जेटली हाल ही में एक लघु फिल्म 'सीजंस ग्रीटिंग्स : ए ट्रिब्यूट टू रितुपर्णो घोष' में नजर आई थीं. उन्होंने कहा कि यद्यपि एक ओर शिक्षित समाज विशेष रूप से युवा पीढ़ी एलजीबीटीक्यू समुदाय को स्वीकार करती जा रही है.

ऐसे सामाजिक परिवर्तन तब तक मुश्किल होते हैं जब तक कि समुदाय में इसके बारे में अज्ञानता दूर न हो जाए.

उनकी यह लघु फिल्म एलजीबीटीक्यू समुदाय की सामाजिक स्वीकृति केमुद्दे पर है. यह फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक दिवंगत रितुपर्णो घोष को एक श्रद्धांजलि है.

यूनाइटेड नेशंस इक्विलिटी चैंपियंस होने के नाते सेलिना ने आईएएनएस को बताया, "एलजीबीटी समुदाय केबारे में अभी भी समझ की कमी है. सबसे बड़ी बाधा यह है कि भारत में समाज खुद को समलैंगिकता के बारे में शिक्षित करने के लिए तैयार ही नहीं है और किसी भी स्तर पर इसे स्वीकार नहीं करता. इसके पीछे धार्मिक से लेकर अज्ञानता तक कुछ भी कारण हो सकते हैं."

उन्होंने कहा, "(भले ही समय बदल रहा है और हम समलैंगिकों और समलैंगिकों को स्वीकार करने में अधिक सक्षम हो रहे हैं), होमोफोबिया और नकारात्मकता अभी भी हमारी सांस्कृतिक बनावट का हिस्सा हैं. बल्कि ऐसा तब भी है जब लोग यह नहीं सोचते कि वह होमोफोबिक हैं, या उनके पास गे दोस्त हों. वे समलैंगिक दोस्तों को लेकर कईरूढ़ियों के साथ बड़े हुए हैं। कुल मिलाकर भारत के मामले में तथ्य यह है कि जब भी यौन अल्पसंख्यकों की 'स्वीकृति' की बात आती है, हम इसमें हर स्तर पर पीछे हैं.

यह लघु फिल्म राम कमल मुखर्जी द्वारा निर्देशित है और इसमें श्री घटक, लिलेट दुबे और अजहर खान शामिल हैं.

पढ़ें-महेश बाबू ने कोरोना योद्धाओं को कहा 'हमारे सच्चे सुपरहीरो'

'सीजंस ग्रीटिंग्स' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीमिंग कर रहा है.

इनपुट-आईएएनएस

मुंबई : अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता सेलिना जेटली हाल ही में एक लघु फिल्म 'सीजंस ग्रीटिंग्स : ए ट्रिब्यूट टू रितुपर्णो घोष' में नजर आई थीं. उन्होंने कहा कि यद्यपि एक ओर शिक्षित समाज विशेष रूप से युवा पीढ़ी एलजीबीटीक्यू समुदाय को स्वीकार करती जा रही है.

ऐसे सामाजिक परिवर्तन तब तक मुश्किल होते हैं जब तक कि समुदाय में इसके बारे में अज्ञानता दूर न हो जाए.

उनकी यह लघु फिल्म एलजीबीटीक्यू समुदाय की सामाजिक स्वीकृति केमुद्दे पर है. यह फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक दिवंगत रितुपर्णो घोष को एक श्रद्धांजलि है.

यूनाइटेड नेशंस इक्विलिटी चैंपियंस होने के नाते सेलिना ने आईएएनएस को बताया, "एलजीबीटी समुदाय केबारे में अभी भी समझ की कमी है. सबसे बड़ी बाधा यह है कि भारत में समाज खुद को समलैंगिकता के बारे में शिक्षित करने के लिए तैयार ही नहीं है और किसी भी स्तर पर इसे स्वीकार नहीं करता. इसके पीछे धार्मिक से लेकर अज्ञानता तक कुछ भी कारण हो सकते हैं."

उन्होंने कहा, "(भले ही समय बदल रहा है और हम समलैंगिकों और समलैंगिकों को स्वीकार करने में अधिक सक्षम हो रहे हैं), होमोफोबिया और नकारात्मकता अभी भी हमारी सांस्कृतिक बनावट का हिस्सा हैं. बल्कि ऐसा तब भी है जब लोग यह नहीं सोचते कि वह होमोफोबिक हैं, या उनके पास गे दोस्त हों. वे समलैंगिक दोस्तों को लेकर कईरूढ़ियों के साथ बड़े हुए हैं। कुल मिलाकर भारत के मामले में तथ्य यह है कि जब भी यौन अल्पसंख्यकों की 'स्वीकृति' की बात आती है, हम इसमें हर स्तर पर पीछे हैं.

यह लघु फिल्म राम कमल मुखर्जी द्वारा निर्देशित है और इसमें श्री घटक, लिलेट दुबे और अजहर खान शामिल हैं.

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'सीजंस ग्रीटिंग्स' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीमिंग कर रहा है.

इनपुट-आईएएनएस

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