नई दिल्ली: आईटी क्षेत्र (IT Sector) की बड़ी कंपनियों की बात करें तो उनमें इंफोसिस का भी नाम आता है. लेकिन इन दिनों इंफोसिस अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों के साथ भेदभाव (Infosys accused of discrimination) को लेकर चर्चा में है. गौरतलब है कि बीते साल इंफोसिस की एक कर्मचारी ने कंपनी पर आरोप लगाया था कि वह भारतीय मूल के लोगों के साथ भर्ती के दौरान भेदभाव करती है. कर्मचारी ने जब कंपनी पर आरोप लगाए तो उसने नौकरी छोड़ दी थी. कर्मचारी ने अपने आरोप में कहा कि इंफोसिस अपनी भर्ती प्रक्रिया के दौरान उम्र, लिंग और राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव करती है.
एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो यह आरोप इंफोसिस (Infosys) के टैलेंट एक्यूजेशन की पूर्व प्रेसीडेंट जिल प्रेजीन ने लगाया था. इसे लेकर प्रेजीन ने कंपनी के खिलाफ एक मुकदमा भी दाखिल किया और उन्होंने न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के लिए यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में इस बात को स्वीकार किया कि कंपनी ने उन्हें ये निर्देश दिए थे की वह भर्ती प्रक्रिया के दौरान भारतीय मूल की महिलाओं, जिनके साथ बच्चे हों और 50 साल की उम्र से ऊपर के उम्मदवारों को नजरअंदाज करें.
प्रेजीन ने बताया कि जब उन्हें लिंग, उम्र और राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाद करने के लिए कहा गया तो वह काफी हैरान हो गईं. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि इंफोसिस में नौकरी करने के शुरुआती दो महीनों में उन्होंने इस स्थिति को बदलने की भी कोशिश की, लेकिन उनके इस प्रयास के कारण उनके सहयोगी ही नाराज हो गए और प्रेजीन को अपने सहयोगियों का ही विरोध झेलना पड़ा. वहीं दूसरी ओर इंफोसिस कंपनी ने प्रेजीन के खिलाफ एक प्रस्ताव दायर किया है.
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इस प्रस्ताव में कंपनी ने मुकदमे को खारिज करने की मांग की है. इंफोसिस ने कोर्ट को बताया कि मिस प्रेजीन को कंपनी ने नियमों के तहत काम न करने की वजह से निकाला है. कंपनी ने अपील की है कि मिस प्रेजीन ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई भी सबूत पेश नहीं किया है, जिसके चलते इस मुकदमे को खारिज कर दिया जाए. हालांकि कोर्ट ने इंफोसिस की मांग को खारिज कर दिया है और अगले 21 दिनों के अंदर लगाए गए आरोपों को लेकर जवाब कंपनी से देने के लिए कहा है.