इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी नेताओं ने शनिवार को प्रधानमंत्री इमरान खान से इस्तीफा देने और नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की. नेशनल असेंबली (संसद) में खान के विश्वास मत हासिल करने के ठीक बाद विपक्षी नेताओं ने यह मांग की.
पाक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के निर्देश पर बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान इमरान खान ने संसद के 342 सदस्यीय निचले सदन में 178 सदस्यों का समर्थन हासिल किया. विश्वास मत की प्रक्रिया विपक्ष की गैर-मौजूदगी में हुई, क्योंकि 11 दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने मतदान का बहिष्कार किया था.
पीडीएम अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी और सिंध प्रांत के सुक्कूर में मीडिया कर्मियों को बताया कि इस विश्वास मत का कोई मतलब नहीं है.
सांसदों की निगरानी का आरोप
उन्होंने कहा, 'यह एक विश्वास मत नहीं था. हम जानते हैं कि किन एजेंसियों द्वारा रातभर सदस्यों के घरों पर नजर रखी जा रही थी. (हम जानते हैं) किसने प्रत्येक सदस्य की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उनके दरवाजों पर दस्तक दी.'
उनका संदर्भ उन खबरों को लेकर था, जिनमें कहा गया था कि सरकार ने अपने सदस्यों को इस्लामाबाद में लॉज में कड़ी निगरानी में रखा था, जिससे शक्ति परीक्षण के दौरान वे सभी संसद में मौजूद रहें.
रहमान ने आरोप लगाया कि सांसदों को प्रधानमंत्री खान के पक्ष में मतदान के लिए मजबूर किया गया. उन्होंने प्रधानमंत्री को चुनौती दी कि साहस दिखाएं और नए चुनाव कराकर जनता से विश्वास मत हासिल करें.'
मरियम नवाज का इमरान खान पर हमला
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की नेता मरियम नवाज ने पीडीएम की बैठक के बाद कहा कि खान के दिन अब गिनती के बचे हैं. उन्होंने कहा, 'अब यह बस समय की बात है कि वह कब जाते हैं.'
उन्होंने खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 'उपद्रवियों' द्वारा पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब, पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी और पूर्व गृह मंत्री अहसन इकबाल समेत अन्य नेताओं के साथ बदसलूकी को लेकर भी उन पर निशाना साधा.
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मरियम ने कहा, 'मेरा सिर यह देखकर फख्र से ऊंचा हो गया कि आपने कैसे भाड़े के कुछ दर्जन गुंडों का मुकाबला किया और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया.' उन्होंने हालांकि औरंगजेब पर हुए हमले पर दुख जताया.
विश्वास मत निरर्थक
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने पीडीएम की बैठक के बाद अपने संबोधन में कहा कि सीनेट की सीट हारने के बाद खान का पर्दाफाश हो गया और विश्वास मत निरर्थक था. उन्होंने कहा, 'हम पहले ही जीत चुके हैं और बदलाव का वक्त आ गया है.'
इन प्रतिक्रियाओं से साफ है कि खान और विपक्षी नेताओं के बीच सियासी प्रतिद्वंद्विता खान के विश्वास मत हासिल करने के बावजूद खत्म नहीं होने जा रही है.