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क्या कमजोर हो रहा है कोरोना वायरस ? - बायोटेक्नॉलजी विभाग

कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस तेजी से कमजोर हो रहा है. महामारी की शुरूआत में इसका संक्रमण जितना घातक था, अब वह वैसा नहीं है.यह वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है यानी खुद को बदल रहा है. वायरस इंसान के सेल में जाकर खुद के जीनोम की प्रतिकृतियां बनाता है.

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कोरोना वायरस
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Published : Aug 13, 2020, 6:57 AM IST

Updated : Aug 13, 2020, 8:59 AM IST

बीजिंग : कोरोना का संक्रमण भले ही तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह उतना घातक नहीं है. दुनियाभर में दहशत फैलाने वाला कोरोना वायरस जल्द ही खत्म हो जाएगा ऐसी संभावना है. कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह वायरस तेजी से कमजोर हो रहा है. महामारी की शुरूआत में इसका संक्रमण जितना घातक था, अब वह वैसा नहीं है. इटली के प्रमुख संचारी रोग विशेषज्ञ मेटियो बाशेट्टी का कहना है कि इटली के मरीजों में ऐसे साक्ष्य मिल रहे हैं, जो बताते हैं कि वायरस अब उतना घातक नहीं रहा है. संक्रमण के बाद अब ऐसे बुजुर्ग मरीज भी ठीक हो रहे हैं, जिनमें पहले यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती थी और प्राय: मौत हो जाती थी.

दरअसल, यह वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है यानी खुद को बदल रहा है. वायरस इंसान के सेल में जाकर खुद के जीनोम की प्रतिकृतियां बनाता है. आरएनए वायरस में अकसर ऐसा होता है कि वह अपने पूरे जीनोम को हूबहू कॉपी नहीं कर पाता और कोई न कोई अंश छूट जाता है. यही वायरस का म्यूटेशन कहलाता है. म्यूटेशन से वायरस खुद को और तेज बनाता है मगर ज्यादा म्यूटेशन के बाद वह कमजोर हो सकता है और संक्रमण फैलाने लायक नहीं रहता.

द संडे टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार जिनेवा में सेन माटीर्नो जनरल अस्पताल में संचारी रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर बाशेट्टी ने बताया कि मार्च और अप्रैल में इस वायरस का असर जंगल में एक शेर जैसा था, मगर अब यह पूरी तरह बिल्ली बन चुका है. अब तो 80 से 90 साल के बुजुर्ग भी बिना वेंटिलेटर के ठीक हो रहे हैं. पहले यह मरीज दो से तीन दिन में मर जाते थे. म्यूटेशन की वजह से वायरस अब फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहा है.

वहीं, दिल्ली स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मॉलिक्युलर मेडिसन ऐंड बायोटेक्नॉलजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोडबोले का कहना है कि कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है. भले ही संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन मौतों की संख्या कम होगी. उन्होंने विकास सिद्धांत की चर्चा करते हुए बताया कि दो तरह के वायरस होते हैं. एक जो काफी खतरनाक होता है और दूसरा जो कमजोर होता हैय खतरनाक वायरस का प्रसार कम लोगों तक होता है, जबकि कमजोर वायरस तेजी से फैलता है.

पढ़ें:कोरोना : बीमारी से ज्यादा दहशत निजी अस्पताल से, जानें क्यों

इस तरह दोनों वायरस के बीच अस्तित्व की लड़ाई शुरू हो जाती है और इसमें कमजोर वायरस की जीत होती है. उसके बाद केवल कमजोर वायरस बच जाता है. कमजोर वायरस के अधिक लोग संक्रमित होते तो हैं, लेकिन उनमें खतरा कम होता है. कुछ दिनों के बाद इंसान का शरीर खुद को वायरस से लड़ने के लिए तैयार भी कर लेता है. इसी सिद्धांत के आधार पर गोडबोले का मानना है कि कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है और इससे संक्रमण के मामले तो तेजी से आएंगे, लेकिन मौतों की संख्या कम होगी.

बीजिंग : कोरोना का संक्रमण भले ही तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह उतना घातक नहीं है. दुनियाभर में दहशत फैलाने वाला कोरोना वायरस जल्द ही खत्म हो जाएगा ऐसी संभावना है. कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह वायरस तेजी से कमजोर हो रहा है. महामारी की शुरूआत में इसका संक्रमण जितना घातक था, अब वह वैसा नहीं है. इटली के प्रमुख संचारी रोग विशेषज्ञ मेटियो बाशेट्टी का कहना है कि इटली के मरीजों में ऐसे साक्ष्य मिल रहे हैं, जो बताते हैं कि वायरस अब उतना घातक नहीं रहा है. संक्रमण के बाद अब ऐसे बुजुर्ग मरीज भी ठीक हो रहे हैं, जिनमें पहले यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती थी और प्राय: मौत हो जाती थी.

दरअसल, यह वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है यानी खुद को बदल रहा है. वायरस इंसान के सेल में जाकर खुद के जीनोम की प्रतिकृतियां बनाता है. आरएनए वायरस में अकसर ऐसा होता है कि वह अपने पूरे जीनोम को हूबहू कॉपी नहीं कर पाता और कोई न कोई अंश छूट जाता है. यही वायरस का म्यूटेशन कहलाता है. म्यूटेशन से वायरस खुद को और तेज बनाता है मगर ज्यादा म्यूटेशन के बाद वह कमजोर हो सकता है और संक्रमण फैलाने लायक नहीं रहता.

द संडे टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार जिनेवा में सेन माटीर्नो जनरल अस्पताल में संचारी रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर बाशेट्टी ने बताया कि मार्च और अप्रैल में इस वायरस का असर जंगल में एक शेर जैसा था, मगर अब यह पूरी तरह बिल्ली बन चुका है. अब तो 80 से 90 साल के बुजुर्ग भी बिना वेंटिलेटर के ठीक हो रहे हैं. पहले यह मरीज दो से तीन दिन में मर जाते थे. म्यूटेशन की वजह से वायरस अब फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहा है.

वहीं, दिल्ली स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मॉलिक्युलर मेडिसन ऐंड बायोटेक्नॉलजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोडबोले का कहना है कि कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है. भले ही संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन मौतों की संख्या कम होगी. उन्होंने विकास सिद्धांत की चर्चा करते हुए बताया कि दो तरह के वायरस होते हैं. एक जो काफी खतरनाक होता है और दूसरा जो कमजोर होता हैय खतरनाक वायरस का प्रसार कम लोगों तक होता है, जबकि कमजोर वायरस तेजी से फैलता है.

पढ़ें:कोरोना : बीमारी से ज्यादा दहशत निजी अस्पताल से, जानें क्यों

इस तरह दोनों वायरस के बीच अस्तित्व की लड़ाई शुरू हो जाती है और इसमें कमजोर वायरस की जीत होती है. उसके बाद केवल कमजोर वायरस बच जाता है. कमजोर वायरस के अधिक लोग संक्रमित होते तो हैं, लेकिन उनमें खतरा कम होता है. कुछ दिनों के बाद इंसान का शरीर खुद को वायरस से लड़ने के लिए तैयार भी कर लेता है. इसी सिद्धांत के आधार पर गोडबोले का मानना है कि कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है और इससे संक्रमण के मामले तो तेजी से आएंगे, लेकिन मौतों की संख्या कम होगी.

Last Updated : Aug 13, 2020, 8:59 AM IST
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