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पाकिस्तान को जल्द ही काली सूची में डालेगा एफएटीएफ : विशेषज्ञ

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Published : Oct 22, 2020, 9:33 AM IST

रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना रहेगा. ऐसे में विशेषज्ञोंं ने एफएटीएफ द्वारा पाक को आतंकी राज्य घोषित करने की संंभावना जताई है. इस मुद्दे पर वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने विशेषज्ञ विचारक सुवरो कमल दत्ता से खास बातचीत की.

एफएटीएफ की चल रही बैठक
एफएटीएफ की चल रही बैठक

नई दिल्ली : ऐसी खबरों के बीच कि पाकिस्तान के एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर निकलने की संभावना नहीं है, विश्लेषकों ने यह संभावना जताई है कि एफएटीएफ पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर काली सूची में डालेगा और पाकिस्तान को 'आतंकी राज्य' घोषित कर देगा, क्योंकि वह ग्लोबल वॉचडॉग की कार्ययोजना में 27 बिंदुओं का अनुपालन करने में नाकाम रहा है.

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ ) ने बुधवार को तीन दिवसीय वर्चुअल विस्तृत बैठक शुरू कर दी है और सभी की निगाहें इसकी ग्रे सूची में पाकिस्तान को डाले रखने पर अंतिम फैसले पर लगी हैं. वैश्विक धन शोधन (मनी लांड्रिंग) और आतंकवादी वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) की निगरानी करने वाली संस्था मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक प्रतिबद्धताओं और मानकों को पूरा करने में इस्लामाबाद के किए कामों के प्रदर्शन की गहन समीक्षा करेगी.

पाक को ब्लैकलिस्ट करना जरूरी
पाकिस्तान मामलों के विशेषज्ञ विचारक सुवरो कमल दत्ता ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि एफएटीएफ को प्लेनरी मीटिंग के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ अंतिम निर्णय लेने और पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की जरूरत है. अगर एफटीएफ की बैठक में ऐसा नहीं होता है तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पाकिस्तान 'ग्रे लिस्ट' में बना रहेगा. शायद ऐसे में एफएटीएफ शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान को और समय देगा, ताकि वह ऐसा कर ग्रे सूची से बाहर आ सके. लेकिन कपटी पाकिस्तान हमेशा की तरह वैश्विक समुदाय को एफएटीएफ के शुरुआती सत्र के दौरान जुबानी नैतिक प्रतिबद्धता जताकर आंख में धूल झोंकने का काम करेगा.

उन्होंने जोर देकर कहा कि यही समय है कि पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' से बाहर करने पर पुनर्विचार करने के बजाय एफएटीएफ को पाकिस्तान को स्पष्ट करते हुए अंतिम बार कहना चाहिए कि चूंकि उसकी सरकार ने आतंकवाद के बारे में और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के निर्यात रोकने के लिए प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किया है. इसलिए, इसे ग्रे सूची से काली सूची में इस चेतावनी के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए कि यदि वह दो साल में वैश्विक निगरानी करने वाली संस्था की ओर से लगाई शर्तों को पूरा नहीं करता है तो स्थायी रूप से काली सूची में रहेगा.

पढ़ें : ब्लैक लिस्टेड होने से बचने के लिए अमेरिका से सौदा कर सकता है पाक : प्रो. हर्ष पंत

ग्लोबल वाचडॉग ने बुधवार को एक बयान में बताया कि प्लेनरी बैठक के अगले तीन दिनों के दौरान प्रतिनिधि कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें मनी लांड्रिंग, आतंकवादी का पता लगाने, रोकने और जांच करने की क्षमता वाले देशों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव शामिल हैं. प्रतिनिधियों से यह भी उम्मीद की जाती है कि वे वित्तीय प्रणाली के लिए जोखिम के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ क्षेत्रों को लेकर हुई प्रगति पर चर्चा करेंगे.

एफएटीएफ प्लेनरी भी एफएटीएफ मानकों के अपडेट को लेकर चर्चा करेगा और इससे व्यापक विनाश के हथियारों के फैलाव को रोकने में मजबूती आएगी. दत्त ने आगे बताया कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंक के वित्त पोषण की पूरी तरह से जांच करने के लिए कई मौके दिए थे लेकिन यह जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद जैसे सभी संयुक्त राष्ट्र-नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने सहित कुछ प्रमुख कार्यों को करने में विफल रहा. पाकिस्तान आतंकी फंडिंग, हवाला लेन-देन आदि जैसी आतंकी गतिविधियों को रोकने में नाकाम रहा है.

पाक को बचाने की हो रही कोशिश
उन्होंने कहा कि मेरी समझ में चीन और तुर्की सहित कुछ देश पाकिस्तान के साथ मिले हुए हैं और एफएटीएफ की ब्लैकलिस्ट से पाकिस्तान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. चीन और तुर्की पाकिस्तान को बचाने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे हैं. चीन पाकिस्तान को न केवल ब्लैकलिस्ट से बाहर निकालने के लिए, बल्कि ग्रे लिस्ट से भी बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. यही सही समय है कि वैश्विक समुदाय को चीन और पाकिस्तान के बीच सांठगांठ का एहसास होना चाहिए.

ग्रे सूची में क्यों है पाकिस्तान ?
खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ओर से लश्कर और जेईएम जैसे आतंकी समूहों को फंडिंग पर रोक लगाने में नाकाम रहने पर ग्रे सूची में डाला गया था, साथ ही अक्टूबर 2019 तक पूरी करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई थी. इसके साथ ही एफएटीएफ प्लेनरी ने तब उल्लेख किया था कि पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों तक धन नहीं पहुंचे उसे रोकने के लिए दिए गए 27 कार्यों में से केवल पांच को पूरा किया. इसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को सख्ती से फरवरी 2020 तक अपनी पूर्ण कार्य योजना को पूरा करने का आग्रह किया. फरवरी में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चार माह और समय दिया, ताकि 27 कार्य योजनाओं में से शेष रह गई 13 पूरी कर सके.

लेकिन जून में कोविड-19 महामारी के कारण एफएटीएफ ने मूल्यांकन को स्थगित करने और पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखने का फैसला किया क्योंकि वैसे भी इस्लामाबाद लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी समूहों को धन के प्रवाह की जांच करने में नाकाम रहा था.

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अभी चल रहे एफएटीएफ प्लेनरी बैठक के समाप्त होने के बाद 23 अक्टूबर को परिणाम घोषित किया जाएगा.

नई दिल्ली : ऐसी खबरों के बीच कि पाकिस्तान के एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर निकलने की संभावना नहीं है, विश्लेषकों ने यह संभावना जताई है कि एफएटीएफ पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर काली सूची में डालेगा और पाकिस्तान को 'आतंकी राज्य' घोषित कर देगा, क्योंकि वह ग्लोबल वॉचडॉग की कार्ययोजना में 27 बिंदुओं का अनुपालन करने में नाकाम रहा है.

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ ) ने बुधवार को तीन दिवसीय वर्चुअल विस्तृत बैठक शुरू कर दी है और सभी की निगाहें इसकी ग्रे सूची में पाकिस्तान को डाले रखने पर अंतिम फैसले पर लगी हैं. वैश्विक धन शोधन (मनी लांड्रिंग) और आतंकवादी वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) की निगरानी करने वाली संस्था मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक प्रतिबद्धताओं और मानकों को पूरा करने में इस्लामाबाद के किए कामों के प्रदर्शन की गहन समीक्षा करेगी.

पाक को ब्लैकलिस्ट करना जरूरी
पाकिस्तान मामलों के विशेषज्ञ विचारक सुवरो कमल दत्ता ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि एफएटीएफ को प्लेनरी मीटिंग के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ अंतिम निर्णय लेने और पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की जरूरत है. अगर एफटीएफ की बैठक में ऐसा नहीं होता है तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पाकिस्तान 'ग्रे लिस्ट' में बना रहेगा. शायद ऐसे में एफएटीएफ शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान को और समय देगा, ताकि वह ऐसा कर ग्रे सूची से बाहर आ सके. लेकिन कपटी पाकिस्तान हमेशा की तरह वैश्विक समुदाय को एफएटीएफ के शुरुआती सत्र के दौरान जुबानी नैतिक प्रतिबद्धता जताकर आंख में धूल झोंकने का काम करेगा.

उन्होंने जोर देकर कहा कि यही समय है कि पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' से बाहर करने पर पुनर्विचार करने के बजाय एफएटीएफ को पाकिस्तान को स्पष्ट करते हुए अंतिम बार कहना चाहिए कि चूंकि उसकी सरकार ने आतंकवाद के बारे में और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के निर्यात रोकने के लिए प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किया है. इसलिए, इसे ग्रे सूची से काली सूची में इस चेतावनी के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए कि यदि वह दो साल में वैश्विक निगरानी करने वाली संस्था की ओर से लगाई शर्तों को पूरा नहीं करता है तो स्थायी रूप से काली सूची में रहेगा.

पढ़ें : ब्लैक लिस्टेड होने से बचने के लिए अमेरिका से सौदा कर सकता है पाक : प्रो. हर्ष पंत

ग्लोबल वाचडॉग ने बुधवार को एक बयान में बताया कि प्लेनरी बैठक के अगले तीन दिनों के दौरान प्रतिनिधि कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें मनी लांड्रिंग, आतंकवादी का पता लगाने, रोकने और जांच करने की क्षमता वाले देशों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव शामिल हैं. प्रतिनिधियों से यह भी उम्मीद की जाती है कि वे वित्तीय प्रणाली के लिए जोखिम के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ क्षेत्रों को लेकर हुई प्रगति पर चर्चा करेंगे.

एफएटीएफ प्लेनरी भी एफएटीएफ मानकों के अपडेट को लेकर चर्चा करेगा और इससे व्यापक विनाश के हथियारों के फैलाव को रोकने में मजबूती आएगी. दत्त ने आगे बताया कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंक के वित्त पोषण की पूरी तरह से जांच करने के लिए कई मौके दिए थे लेकिन यह जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद जैसे सभी संयुक्त राष्ट्र-नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने सहित कुछ प्रमुख कार्यों को करने में विफल रहा. पाकिस्तान आतंकी फंडिंग, हवाला लेन-देन आदि जैसी आतंकी गतिविधियों को रोकने में नाकाम रहा है.

पाक को बचाने की हो रही कोशिश
उन्होंने कहा कि मेरी समझ में चीन और तुर्की सहित कुछ देश पाकिस्तान के साथ मिले हुए हैं और एफएटीएफ की ब्लैकलिस्ट से पाकिस्तान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. चीन और तुर्की पाकिस्तान को बचाने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे हैं. चीन पाकिस्तान को न केवल ब्लैकलिस्ट से बाहर निकालने के लिए, बल्कि ग्रे लिस्ट से भी बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. यही सही समय है कि वैश्विक समुदाय को चीन और पाकिस्तान के बीच सांठगांठ का एहसास होना चाहिए.

ग्रे सूची में क्यों है पाकिस्तान ?
खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ओर से लश्कर और जेईएम जैसे आतंकी समूहों को फंडिंग पर रोक लगाने में नाकाम रहने पर ग्रे सूची में डाला गया था, साथ ही अक्टूबर 2019 तक पूरी करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई थी. इसके साथ ही एफएटीएफ प्लेनरी ने तब उल्लेख किया था कि पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों तक धन नहीं पहुंचे उसे रोकने के लिए दिए गए 27 कार्यों में से केवल पांच को पूरा किया. इसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को सख्ती से फरवरी 2020 तक अपनी पूर्ण कार्य योजना को पूरा करने का आग्रह किया. फरवरी में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चार माह और समय दिया, ताकि 27 कार्य योजनाओं में से शेष रह गई 13 पूरी कर सके.

लेकिन जून में कोविड-19 महामारी के कारण एफएटीएफ ने मूल्यांकन को स्थगित करने और पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखने का फैसला किया क्योंकि वैसे भी इस्लामाबाद लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी समूहों को धन के प्रवाह की जांच करने में नाकाम रहा था.

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अभी चल रहे एफएटीएफ प्लेनरी बैठक के समाप्त होने के बाद 23 अक्टूबर को परिणाम घोषित किया जाएगा.

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