वाशिंगटन: अमेरिका ने मंगलवार को तख्तापलट और अधिकारों के हनन के संबंध में म्यांमार की न्यायपालिका के शीर्ष सदस्यों और मुख्य राजस्व-उत्पादक बंदरगाहों में से एक पर प्रतिबंध लगा दिया. इसमें ट्रेजरी और राज्य विभागों द्वारा म्यांमार के अटॉर्नी जनरल, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य पर प्रतिबंधों की घोषणा गई है.
इस प्रतिबंध के बाद, लक्षित लोगों के पास अमेरिकी अधिकार क्षेत्र में पड़ने वाली संपत्तियों को फ्रीज किया सकता है. और तो और, इस क्षेत्र के लोगों को अमेरिका के साथ व्यापार करने कि अनुमति भी नही होगी.
एक बयान में राष्ट्रपति जो बाइडेन (Biden) ने कहा कि, 'जब तक शासन बर्मा के लोगों को उनकी लोकतांत्रिक आवाज से वंचित करना जारी रखता है, हम सेना और उसके समर्थकों पर प्रतिबंध लगाते रहेंगे. उन्होंने बर्मा के लोगों को कहा, 'हम आपके संघर्षों को नहीं भूले हैं और हम आपके देश में लोकतंत्र और कानून का शासन लाने के आपके साहसिक संकल्प का समर्थन करना जारी रखेंगे.
नए प्रतिबंध, अटॉर्नी जनरल थिडा ऊ, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टुन टुन ऊ और म्यांमार के भ्रष्टाचार विरोधी आयोग के अध्यक्ष टिन ऊ पर लागू किये गए हैं. प्रतिबंधों के कारण म्यांमार के आर्थिक केंद्र यांगून में एक प्रमुख बंदरगाह संचालित करने वाली कंपनी केटी सर्विसेज एंड लॉजिस्टिक्स बुरी तरह से प्रभावित हुई है.
वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि, 'संयुक्त राज्य अमेरिका मानवाधिकारों के हनन को संबोधित करने, हिंसा को रोकने के लिए शासन पर दबाव बनाने और अन्यायपूर्ण तरीके से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने के साथ बर्मा में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए हमारे अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ काम करना जारी रखेगा.
(पीटीआई-भाषा)
यह भी पढ़े- बाइडेन की तालिबान से अपील, अफगानिस्तान में अमेरिकी नौसेना के बंधक जवान को रिहा किया जाए