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मेरे हिस्से में मां आई... शायरी को 'माशूका' से 'मां' तक ले जाने वाले मुनव्वर राना, पढ़ें उर्दू शायर के चुनिंदा शेर

Urdu poet Munawwar Rana famous Sher : शब्दों के जादूगर और दिग्गज उर्दू के शायर मुनव्वर राना अब हमारे बीच नहीं रहे, मगर उनके शानदार रचनाएं (उर्दू शायरी) हमारे बीच हमेशा गुनगुनाई जाएगी. मुन्नवर राणा के मशहूर शेर देखिए यहां.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 15, 2024, 6:58 AM IST

Updated : Jan 15, 2024, 8:19 AM IST

मुंबई: शब्दों के जादूगर और उर्दू में एक से बढ़कर एक रचनाएं करने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राना अब हमारे बीच नहीं रहे. उर्दू शायर ने 71 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया. ऐसे में अब वह भले ही हमारे बीच ना हों, मगर उनकी रचनाएं हमेशा अमर रहेंगी और उनके पाठक अक्सर इन शेरों को गुनगुनाते रहेंगे. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं मुनव्वर राना के कुछ मशहूर शेर. आप भी पढ़ें और गुनगुना डालिए...

उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान और अपनी गजलों के लिए मशहूर मुनव्वर राना का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली में 26 नवंबर, 1952 को हुआ था. अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में छाने वाले शायर को साल 2014 में उनकी कविता 'शाहदाबा' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. हालांकि, उन्होंने अपना अवॉर्ड लौटा दिया था.

इन अवॉर्ड्स से सम्मानित थे मुनव्वर राणा
आगे बता दें कि मुनव्वर राना ने रविवार को कार्डियक अरेस्ट के बाद उत्तर प्रदेश के लखनऊ के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. 71 वर्ष के शायर पिछले कई महीनों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे और उनका इलाज लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में चल रहा था. मशहूर शायर मुनव्वर राना को अपनी बेहतरीन शायरी के लिए 'अमीर खुसरो अवॉर्ड ', 'मीर तकी मीर अवॉर्ड ', 'गालिब अवॉर्ड ', 'डॉ. जाकिर हुसैन अवॉर्ड' के साथ ही 'सरस्वती समाज अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.

मुनव्वर राना के मशहूर शेर-

1. सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं, हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं.

2. आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए, इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए.

3. एक किस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया, इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे.

4. किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई, मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई.

5. वो बिछड़ कर भी कहां मुझ से जुदा होता है, रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है.

6. नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है, परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है.

7. ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं, सहरा में चरागों की दुकानें नहीं होतीं.

8. तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी, इससे पहले मेरा कमरा भी गजल जैसा था.

9. तुझे अकेले पढूं कोई हम-सबक न रहे, मैं चाहता हूं कि तुझ पर किसी का हक न रहे.

10. मैं भुलाना भी नहीं चाहता इस को लेकिन, मुस्तकिल जख़्म का रहना भी बुरा होता है.

यह भी पढ़ें: मशहूर शायर मुनव्वर राना का निधन, किडनी रोग से थे पीड़ित, लखनऊ के पीजीआई में चल रहा था इलाज

मुंबई: शब्दों के जादूगर और उर्दू में एक से बढ़कर एक रचनाएं करने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राना अब हमारे बीच नहीं रहे. उर्दू शायर ने 71 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया. ऐसे में अब वह भले ही हमारे बीच ना हों, मगर उनकी रचनाएं हमेशा अमर रहेंगी और उनके पाठक अक्सर इन शेरों को गुनगुनाते रहेंगे. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं मुनव्वर राना के कुछ मशहूर शेर. आप भी पढ़ें और गुनगुना डालिए...

उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान और अपनी गजलों के लिए मशहूर मुनव्वर राना का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली में 26 नवंबर, 1952 को हुआ था. अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में छाने वाले शायर को साल 2014 में उनकी कविता 'शाहदाबा' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. हालांकि, उन्होंने अपना अवॉर्ड लौटा दिया था.

इन अवॉर्ड्स से सम्मानित थे मुनव्वर राणा
आगे बता दें कि मुनव्वर राना ने रविवार को कार्डियक अरेस्ट के बाद उत्तर प्रदेश के लखनऊ के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. 71 वर्ष के शायर पिछले कई महीनों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे और उनका इलाज लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में चल रहा था. मशहूर शायर मुनव्वर राना को अपनी बेहतरीन शायरी के लिए 'अमीर खुसरो अवॉर्ड ', 'मीर तकी मीर अवॉर्ड ', 'गालिब अवॉर्ड ', 'डॉ. जाकिर हुसैन अवॉर्ड' के साथ ही 'सरस्वती समाज अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.

मुनव्वर राना के मशहूर शेर-

1. सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं, हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं.

2. आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए, इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए.

3. एक किस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया, इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे.

4. किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई, मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई.

5. वो बिछड़ कर भी कहां मुझ से जुदा होता है, रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है.

6. नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है, परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है.

7. ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं, सहरा में चरागों की दुकानें नहीं होतीं.

8. तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी, इससे पहले मेरा कमरा भी गजल जैसा था.

9. तुझे अकेले पढूं कोई हम-सबक न रहे, मैं चाहता हूं कि तुझ पर किसी का हक न रहे.

10. मैं भुलाना भी नहीं चाहता इस को लेकिन, मुस्तकिल जख़्म का रहना भी बुरा होता है.

यह भी पढ़ें: मशहूर शायर मुनव्वर राना का निधन, किडनी रोग से थे पीड़ित, लखनऊ के पीजीआई में चल रहा था इलाज
Last Updated : Jan 15, 2024, 8:19 AM IST
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