श्रावस्ती: लोकसभा चुनावों के रण का आगाज हो चुका है. सभी पार्टियों ने धीरे-धीरे अपनी चुनावी चाल के पत्तों को खोल दिया है. श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र में 6वें चरण में मतदान होना है. आगामी 16 अप्रैल से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी. भारतीय जनता पार्टी ने तमाम न-नुकुर के बाद एक बार फिर अपने निवर्तमान सांसद दद्दन मिश्रा पर भरोसा जताया है.
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपनी टिकट के लिए मनाने में कामयाब रहे दद्दन मिश्रा आमतौर पर साफ छवि के जाने जाते हैं, लेकिन बलरामपुर और श्रावस्ती जैसे अति महत्वाकांक्षी जिलों के सांसद का कार्यभार उनके कंधे नहीं उठा सके हैं. जनता आरोप लगाती है कि भारी बहुमत की सरकार केंद्र और प्रदेश में होने के बावजूद बड़े पैमाने पर विकास नहीं हो सका है. वहीं, सड़कों पर लगे सांसद दद्दन मिश्रा के नाम के साइन बोर्ड हर गांव को संपर्क मार्ग देने का दावा करते हैं. आईए जानते हैं कि क्या है भाजपा प्रत्याशी दद्दन मिश्रा का इतिहास?
दद्दन मिश्रा के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास की जानकारी के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार टीबी लाल से बात की. उन्होंने हमें भारतीय जनता पार्टी से मौजूदा सांसद दद्दन मिश्रा के राजनीतिक इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह पहले बहुजन समाज पार्टी से भिनगा विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे हैं. इसी दौरान उन्हें मायावती की सरकार में आयुर्वेद चिकित्सा का मंत्री भी बनाया गया था. इसके बाद जब इनका बसपा से मोह भंग हुआ तो उन्होंने भाजपा को ज्वॉइन कर लिया. भाजपा ज्वॉइन करने के बाद इनका गुणा-भाग सही रहा. इसलिए श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से टिकट मिल गया. मोदी लहर थी और सवर्ण वोटों में ज्यादा ध्रुवीकरण नहीं हो सका, इस वजह से मिश्रा चुनाव जीत गए.
वरिष्ठ पत्रकार टीबी लाल ने इनके 5 साल के कार्यकाल को एवरेज बताते हुए कहा कि सांसद ने केंद्रीय नेतृत्व द्वारा जारी योजनाओं को लागू करवाने का काम तो किया लेकिन जिले में कोई बड़ा प्रोजेक्ट वह नहीं ला सके, जिसके लिए जनता उन्हें याद रखें. यहां पर विकास की असीम संभावनाएं हैं. चुनाव में किसकी-किससे फाइट होगी इस बारे में बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार टीबी लाल ने कहा कि यह बहुत ज्यादा विपक्षी दलों के कैंडिडेट पर निर्भर करता है.
मोदी लहर इस बार प्रभावित होती दिख रही है, इसलिए कौन बेहतर काम करेगा इसी के आधार पर जनता वोट करेगी. बाकी जनता को ही यह तय करना है कि वह किसे चुनकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजती है. उन्होंने कहा की भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार फिर दद्दन मिश्रा पर विश्वास किया है. तो उन्हें किसी न किसी तरह की काबिलियत उनमें दिखाई दी होगी. दद्दन मिश्रा की सवर्णों में खासी पैठ है. बलरामपुर और श्रावस्ती जिले में सवर्णों के मतों की बहुलता है.
अगर दद्दन मिश्रा द्वारा बलरामपुर जिले में किए गए कार्यों की बात करें तो उन्होंने केंद्रीय सरकार द्वारा जारी योजनाओं का लाभ दिलाने का काम किया है. इसके अतिरिक्त जिले की सड़कों को शुद्ध करने में इनका बेहद योगदान माना जाता है. जनता इन पर आरोप लगाती है कि भाजपा की फुल फ्लैश गवर्नमेंट होने के बावजूद भी दद्दन मिश्रा जिले को कोई बड़ी सौगात देने में नाकामयाब रहे हैं. इसके अतिरिक्त अगर सांसद द्वारा गोद लिए गांव की बात करें तो ये अपने द्वारा गोद लिए बलरामपुर जिले के दोनों गांवों (समदा कठेर और गुमड़ी) का विकास करने में नाकामयाब साबित हुए हैं. अगर सांसद निधि की बात करें तो दद्दन मिश्रा ने 5 वर्षों के दौरान महज 56 फीसद ही खर्च किया है, जबकि चुनावी बिगुल बजने से पहले ही उन्होंने बाकी के बचे 44% को जिला पंचायत विभाग को ट्रांसफर कर दिया है. दद्दन मिश्रा के इस कार्यशैली पर लोग सवाल खड़े करते दिखाई देते हैं.