वाराणसी: गंगा दशहरा के ही दिन भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा, सगर के साठ हजार पुत्रों को मुक्त करने धरती पर आई थीं. प्रदेश और देश में बनने वाली सरकारें गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए तमाम योजनाएं बनाती रहती हैं. मोदी सरकार में भी गंगा की स्वच्छता को लेकर तमाम प्रयास किए गए, लेकिन मां गंगा की स्थिति आज भी चिंताजनक बनी हुई है.
गंगा प्रदूषण की वजह पर बोले ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्र-
- भारतीय संस्कृति और सभ्यता को जीवंत बनाने में सबसे अधिक योगदान मां गंगा का रहा.
- मां गंगा की वजह से हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को लेकर गौरवान्वित महसूस करते हैं.
- जिन पांच तत्वों से हमारा संपूर्ण ब्रह्मांड रचित है, उन्हीं पंचमहाभूतों से हमारा शरीर भी निर्मित है.
- पंचमहाभूतों में जल भी शामिल है, जो मां गंगा में भी है और हम सब में भी है.
- अगर हम मां गंगा को दूषित करते हैं, तो कहीं न कहीं अपने शरीर को दूषित करते हैं.
- ऐसे में गंगा जी को स्वच्छ रखना हमारा प्रथम कर्तव्य बनता है.
मां गंगा को स्वच्छ और स्वस्थ रखने का सर्वप्रथम दायित्व मनुष्य का है. अगर हम मां गंगा को गंदा नहीं करेंगे तो गंगा गंदी नहीं होगी. हमें मां को साफ रखना चाहिए, नहीं तो आने वाले दिनों में मां गंगा के अस्तित्व के साथ-साथ हमारी संस्कृति और सभ्यता भी खतरे में पड़ जाएगी.
-ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्र, शोध छात्र, बीएचयू