लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा से संबंधित कई योजनाएं चल रहीं हैं. बावजूद इसके बच्चे यौन शोषण जैसे अपराधों से सुरक्षित नहीं हैं. बच्चों से यौन शोषण संबंधी मामलों में एनसीआरबी (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में उत्तर प्रदेश में बच्चों के साथ यौन शोषण के 7,129 मामलें दर्ज किए गए थे जो कि, अन्य प्रदेशों के अपेक्षा सबसे अधिक है. चिंताजनक बात यह भी है कि इसके शिकार लड़के भी हुए हैं.
एनसीआरबी के साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक देश में बच्चों के साथ यौन शोषण के 51,863 मामले दर्ज हुए थे. इसमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 7,129 मामलें सामने आए थे. वहीं, 2020 में 6,898 मामले दर्ज किए गए थे. दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र जहां 6,200 और तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश में 6,070 मामलें दर्ज हुए थे. यूपी में हर एक लाख बच्चों में 9वां बच्चा या बच्ची यौन शोषण का शिकार हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक देश बच्चों के साथ होने वाले रेप की घटनाओं में यूपी का चौथा स्थान है. यहां 2,843 बच्चों के साथ रेप की घटनाएं घटी है. यूपी में एक लाख में हर तीसरी बच्ची रेप का शिकार हो रही है. वहीं, पहले स्थान पर मध्यप्रदेश, दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र व तीसरे स्थान पर तमिलनाडु है.
यूपी में सरकार और बच्चों की सुरक्षा के लिए गठित संगठनों के लिए सबसे गंभीर की बात यह है कि, राज्य में छोटे लड़कों के साथ रेप की घटनाएं हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 307 लड़कों के साथ रेप की घटनाएं घटी है. जो दर्ज की गई थी. इसमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 96 मामले थे. वहीं, केरल में 74 और हरियाणा में 59 मामले दर्ज किए गए थे.
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के दोगुने मामले हुए दर्ज: चाइल्ड पोर्नोग्राफी के भी मामलों में साल 2020 की अपेक्षा 2021 में बढ़ोतरी हुई है. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के 516 मामले दर्ज किए गए थे, इसमें उत्तर प्रदेश में 30 केस सामने आए थे. वहीं, साल 2020 में ये सिर्फ 12 थे. यानी कि साल 2020 से 2021 में पोर्नोग्राफी के दोगुने मामले दर्ज हुए है. हालांकि, बिहार में सबसे अधिक 135 में मामले दर्ज हुए थे.
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यौन शोषण करने में रिश्तेदार सबसे आगे: बच्चों के साथ यौन शोषण की घटनाओं में अधिकतर उनके परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, पड़ोसी और जान-पहचान के लोग ही शामिल रहते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी ताजा आंकड़े बयां कर रहे हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक यूपी में लगभग 95 फीसदी मामलों में बच्चे अपनों के ही शोषण का शिकार हो रहे हैं. बच्चों के साथ हुए रेप के जारी आंकड़े कहते हैं कि साल 2021 में 94.3% रेप केस में आरोपी भाई, पिता, दादा, बेटा या परिचितों सहित पीड़ित के रिश्तेदार ही हैं. आंकड़ों के मुताबिक, बच्चों के साथ रेप करने वालों में 189 परिवार के सदस्य थे, 1,686 पड़ोसी, 807 दोस्त व 2,682 जान-पहचान के लोग थे. इसमें महज 161 लोग ही ऐसे थे जिन्हें पीड़ित नही जानता था.
क्या कहता है आयोग?
उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने एनसीआरबी के इन आंकड़ों पर चिंता जताते हुए कहा कि पॉस्को एक्ट के मामले इसलिए बढ़े हुए दिखते हैं क्योंकि जब नाबालिग बच्ची अपनी सहमति से किसी लड़के साथ जाती है और जब रिकवर की जाती है तब पॉस्को एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता है और वो आंकड़ों में परिवर्तित होता है. हालांकि कुछ मामलों में बच्चियों के साथ यौन शोषण होता है जो चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें ठोस कदम उठा रही हैं.
उन्होंने कहा कि, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर पोर्न मैटीरियल आसानी से उपलब्ध है. ऐसे में माता-पिता को ध्यान रखना होगा कि मोबाइल फोन और कम्प्यूटर पर बच्चे क्या देख रहे हैं. इसकी निगरानी जरूरी है. यही नही, कुछ मानसिक विकृत लोग इसी का फायदा उठा कर बच्चों का यौन शोषण करते है. सरकार पोर्नोग्राफी को लेकर गंभीर है और कानूनों में भी बदलाव करती रहती है.
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