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वाराणसी: गंगा घाटों पर जमा जलकुंभी, बढ़ी नाविकों की परेशानी

काशी में मोक्ष दायिनी मां गंगा लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण मुक्त हुई हैं. वहीं जलकुंभी के कारण घाटों की सुंदरता खराब हो रही है. यह जलकुंभी नाविकों के लिए परेशानी का कारण बन रही है.

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जलकुंभी के कारण नाविकों को परेशानी
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Published : Jun 11, 2020, 11:39 AM IST

वाराणसी: काशी में मोक्ष दायिनी मां गंगा लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण कम होने की वजह से साफ हुई हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश होने की वजह से अब जलकुंभी घाटों की सुंदरता को दाग लगा रही है. घाटों पर इन दिनों तमाम जलकुंभी देखी जा सकती है. जो नाव में फंसकर नाविकों के लिए परेशानी खड़ा कर रही है.

जहां एक तरफ घाटों की सुंदरता खराब हो रही है तो वहीं नाविक भी चिंतित हैं. नाविकों का कहना है कि जब नाव चलती थी तो हम इसे हटा देते थे. अब इसकी वजह से हमारे नाव में यह फंस जाएगी, जिससे जलीय जीव हमारे नाव में प्रवेश कर जाएंगे.

अमूमन जलकुंभी बारिश के दिनों में गंगा के प्रवाह में देखे जा सकते थे, लेकिन अभी बारिश भी नहीं हुई और जलकुंभी घाटों पर लगने लगे हैं. इस वैश्विक महामारी के दौर में नाविक समाज एक बार फिर चिंतित है कि कहीं उनकी नाव खराब न हो जाए.

भरत निषाद ने बताया कि जलकुंभी से नाविकों को बहुत ही परेशानी होती है. जब नाव चलती है तो हम इसे हटा देते हैं. पिछले लगभग 80 दिनों से हमारी नावें बंद हैं, जिसकी वजह से यह हमारी नाव में आकर फंस जा रहा है. जलीय जीवों का नाव में आने का खतरा बना रहता है. जलकुंभी से घाटों की सुंदरता पर भी असर पड़ता है.

वाराणसी: काशी में मोक्ष दायिनी मां गंगा लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण कम होने की वजह से साफ हुई हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश होने की वजह से अब जलकुंभी घाटों की सुंदरता को दाग लगा रही है. घाटों पर इन दिनों तमाम जलकुंभी देखी जा सकती है. जो नाव में फंसकर नाविकों के लिए परेशानी खड़ा कर रही है.

जहां एक तरफ घाटों की सुंदरता खराब हो रही है तो वहीं नाविक भी चिंतित हैं. नाविकों का कहना है कि जब नाव चलती थी तो हम इसे हटा देते थे. अब इसकी वजह से हमारे नाव में यह फंस जाएगी, जिससे जलीय जीव हमारे नाव में प्रवेश कर जाएंगे.

अमूमन जलकुंभी बारिश के दिनों में गंगा के प्रवाह में देखे जा सकते थे, लेकिन अभी बारिश भी नहीं हुई और जलकुंभी घाटों पर लगने लगे हैं. इस वैश्विक महामारी के दौर में नाविक समाज एक बार फिर चिंतित है कि कहीं उनकी नाव खराब न हो जाए.

भरत निषाद ने बताया कि जलकुंभी से नाविकों को बहुत ही परेशानी होती है. जब नाव चलती है तो हम इसे हटा देते हैं. पिछले लगभग 80 दिनों से हमारी नावें बंद हैं, जिसकी वजह से यह हमारी नाव में आकर फंस जा रहा है. जलीय जीवों का नाव में आने का खतरा बना रहता है. जलकुंभी से घाटों की सुंदरता पर भी असर पड़ता है.

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