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जयंती विशेषः बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने राष्ट्र निर्माण के स्वास्थ एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में निभाई थी अतुलनीय भूमिका

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Published : Jun 29, 2022, 8:24 PM IST

Updated : Jun 29, 2022, 9:35 PM IST

काशी के लाल राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने तन,मन और धन से राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिक निभाई. शिक्षा, स्वास्थ एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी अतुलनीय भूमिका थी. बाबू शिव प्रसाद गुप्त के राष्ट्रहित में किए गए कार्यों के बारें में जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट...

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काशी के लाल राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त

वाराणसी: महान देश भक्त स्वतंत्रता सेनानी राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त की 139 वीं जयंती 28 जून को मनाई गई. शिव प्रसाद गुप्त ने आजादी की लड़ाई में काशी से पूरे देश का नेतृत्व किया. उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ने वाले और जेल में रहने वाले सेनानियों के घर भी हर माह रुपये भिजवाना शुरू किया, जिससे उनका मनोबल कम न हो. शिव प्रसाद गुप्त सुभाष चन्द्र बोस के सेना की मदद के लिए समय-समय पर रुपये भेजते थे.

राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त की139 वीं जयंती पर विशेष
बाबू शिव प्रसाद गुप्ता का जन्म 28 जून 1883 और 24 अप्रैल 1944 में उनकी मृत्यु हुई थी. बाबू शिव प्रसाद गुप्त बनारस के एक समृद्ध वैश्य परिवार में पैदा हुए थे. वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, परोपकारी, राष्ट्रवादी कार्यकर्ता तथा महान द्रष्टा थे. उन्होंने संस्कृत, फारसी और हिंदी का अध्ययन घर पर ही किया था. इलाहाबाद से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. वे पण्डित मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, आचार्य नरेन्द्र देव तथा डॉ. भगवान दास से अत्यन्त प्रभावित थे. शिव प्रसाद गुप्त ने समाज के उत्थान के लिए कई बड़े कार्य किए हैं. गांधी जी के आह्वान करने पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की स्थापना की. वहीं, शिव प्रसाद गुप्त ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करते हुए शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय हॉस्पिटल का निर्माण कराया.

इसके बाद लोगों को जागरूक करने के लिए 1920 में हिंदी भाषी क्षेत्र में "आज समाचार पत्र" की शुरुआत की. उन्होंने विष्णु राव पराड़कर को स्वतंत्र संपादकीय करने दिया. शिव प्रसाद गुप्त ने हिंदुस्तान के एकमात्र मानचित्र भारत माता का मंदिर की स्थापना भी की, जिसमें उन्होंने संपूर्ण भारत को दिखाने का काम किया. नगर निगम एवं शहीद उद्यान जैसे पार्क भी शिव प्रसाद गुप्त की जमीन पर बनाए गए हैं.

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने बताया कि बाबू शिव प्रसाद गुप्ता का योगदान काशी में ही नहीं आजादी की लड़ाई में भी राष्ट्रवादी भूमिका थी. चिकित्सालय कबीरचौरा और पत्रकारिता की दुनिया में हिंदी भाषी क्षेत्र का पहला समाचार पत्र आज निकाला. आज समाचार पत्र ने काशी से ही देशव्यापी आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई. शिव प्रसाद गुप्त का क्रांतिकारियों के मदद के लिए भी आगे आते थे. जहां वो सुभाष चंद्र बोस की मदद करते थे तो अन्य क्रांतिकारियों तक मदद पहुंचाने का काम किया करते थे.


यह भी पढ़ें. यूपी एक खोज: काशी में विराजते हैं द्वारिकाधीश, जानिए प्राचीन मंदिर का रहस्य

शिव कुमार गुप्ता के प्रपौत्र डॉ. अंबुज कुमार गुप्त ने बताया कि बाबूजी के कार्यों के बारे में बताना, सूरज को रोशनी दिखाने के बराबर है. आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों को किसी प्रकार की समस्या न हो इसका पूरा ध्यान वह रखते थे. जेल में बंद कैदियों को का नाम पता लिख कर उनके घर हर महीने 4 रूपये भेजते थे. जिससे उनका पालन पोषण हो सके. अंबुज गुप्त ने बताया कि काशी अनाथालय, नगर निगम एवं शहीद उद्यान जैसे संस्थान भी शिव प्रसाद गुप्त की दी हुई जमीन पर ही है.


यह भी पढ़ें:यूपी एक खोज: वाराणसी के इस संग्रहालय में रखा है दुनिया का सबसे बड़ा तानपुरा, देखें वीडियो


डॉ. अंबुज कुमार गुप्ता ने बताया कि बाबूजी तन, मन एवं धन समाज एवं देश हित में कार्य करते हुए दान कर दिया था. लोगों को एक उपवन दिया गया है, जिसमें बापू जी ने हम लोगों को मना किया था कि किसी भी तरह का कमर्शियल कार्य न किया जाए. उसमें हम लोग से सिर्फ पौधरोपण का ही काम करते हैं.

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वाराणसी: महान देश भक्त स्वतंत्रता सेनानी राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त की 139 वीं जयंती 28 जून को मनाई गई. शिव प्रसाद गुप्त ने आजादी की लड़ाई में काशी से पूरे देश का नेतृत्व किया. उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ने वाले और जेल में रहने वाले सेनानियों के घर भी हर माह रुपये भिजवाना शुरू किया, जिससे उनका मनोबल कम न हो. शिव प्रसाद गुप्त सुभाष चन्द्र बोस के सेना की मदद के लिए समय-समय पर रुपये भेजते थे.

राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त की139 वीं जयंती पर विशेष
बाबू शिव प्रसाद गुप्ता का जन्म 28 जून 1883 और 24 अप्रैल 1944 में उनकी मृत्यु हुई थी. बाबू शिव प्रसाद गुप्त बनारस के एक समृद्ध वैश्य परिवार में पैदा हुए थे. वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, परोपकारी, राष्ट्रवादी कार्यकर्ता तथा महान द्रष्टा थे. उन्होंने संस्कृत, फारसी और हिंदी का अध्ययन घर पर ही किया था. इलाहाबाद से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. वे पण्डित मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, आचार्य नरेन्द्र देव तथा डॉ. भगवान दास से अत्यन्त प्रभावित थे. शिव प्रसाद गुप्त ने समाज के उत्थान के लिए कई बड़े कार्य किए हैं. गांधी जी के आह्वान करने पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की स्थापना की. वहीं, शिव प्रसाद गुप्त ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करते हुए शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय हॉस्पिटल का निर्माण कराया.

इसके बाद लोगों को जागरूक करने के लिए 1920 में हिंदी भाषी क्षेत्र में "आज समाचार पत्र" की शुरुआत की. उन्होंने विष्णु राव पराड़कर को स्वतंत्र संपादकीय करने दिया. शिव प्रसाद गुप्त ने हिंदुस्तान के एकमात्र मानचित्र भारत माता का मंदिर की स्थापना भी की, जिसमें उन्होंने संपूर्ण भारत को दिखाने का काम किया. नगर निगम एवं शहीद उद्यान जैसे पार्क भी शिव प्रसाद गुप्त की जमीन पर बनाए गए हैं.

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने बताया कि बाबू शिव प्रसाद गुप्ता का योगदान काशी में ही नहीं आजादी की लड़ाई में भी राष्ट्रवादी भूमिका थी. चिकित्सालय कबीरचौरा और पत्रकारिता की दुनिया में हिंदी भाषी क्षेत्र का पहला समाचार पत्र आज निकाला. आज समाचार पत्र ने काशी से ही देशव्यापी आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई. शिव प्रसाद गुप्त का क्रांतिकारियों के मदद के लिए भी आगे आते थे. जहां वो सुभाष चंद्र बोस की मदद करते थे तो अन्य क्रांतिकारियों तक मदद पहुंचाने का काम किया करते थे.


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शिव कुमार गुप्ता के प्रपौत्र डॉ. अंबुज कुमार गुप्त ने बताया कि बाबूजी के कार्यों के बारे में बताना, सूरज को रोशनी दिखाने के बराबर है. आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों को किसी प्रकार की समस्या न हो इसका पूरा ध्यान वह रखते थे. जेल में बंद कैदियों को का नाम पता लिख कर उनके घर हर महीने 4 रूपये भेजते थे. जिससे उनका पालन पोषण हो सके. अंबुज गुप्त ने बताया कि काशी अनाथालय, नगर निगम एवं शहीद उद्यान जैसे संस्थान भी शिव प्रसाद गुप्त की दी हुई जमीन पर ही है.


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डॉ. अंबुज कुमार गुप्ता ने बताया कि बाबूजी तन, मन एवं धन समाज एवं देश हित में कार्य करते हुए दान कर दिया था. लोगों को एक उपवन दिया गया है, जिसमें बापू जी ने हम लोगों को मना किया था कि किसी भी तरह का कमर्शियल कार्य न किया जाए. उसमें हम लोग से सिर्फ पौधरोपण का ही काम करते हैं.

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Last Updated : Jun 29, 2022, 9:35 PM IST
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