वाराणसी: इस बार 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर ऐसा ही दुर्लभ संयोग बन रहा है. वाराणसी के विख्यात ज्योतिषाचार्य एवं श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने कहा कि शनिवार के दिन हनुमान जयंती का पड़ना एक दुर्लभ संयोग लेकर आ रहा है. यह अद्भुत संयोग और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि शनिवार को सुबह 11 बजे तक एक विशेष जय योग भी बन रहा है, जो अपने आप में सभी कष्टों से मुक्ति के साथ प्रभु हनुमान की उपासना से सभी कार्यों में विजय दिलाने का काम करेगा.
इसके बाद हनुमान जी को पुष्प, अक्षत अर्पित करें. उनके आगे 11 हनुमान चालीसा का पाठ या फिर ओम हं हनुमते नमः या ॐ हनुमते नमः के 108 मंत्र से हनुमान जी का ध्यान करते हुए उनकी आराधना करनी है. एक बार सुंदरकांड का पाठ करके भी हनुमान जी को प्रसन्न किया जा सकता है. अगर आपके पास समय हो तो कम से कम 5 बार सुंदरकांड का पाठ करें.
इसके अतिरिक्त शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए यह उपाय करना होगा. हनुमान जयंती के मौके पर शनि की साढ़ेसाती अढ़ईया या फिर जिनकी कुंडली में शनि उचित स्थान पर नहीं है, यानी परेशानी लगातार बनी हुई है. ऐसे लोगों को हनुमान जी के आगे एक तेल का दीपक जलाना होगा.
उस तेल के दीपक में काला तिल और एक लोहे का छल्ला या लोहे की कोई छोटी सामग्री डालकर भगवान शनि की आराधना करके हनुमान जी के आगे वो दीपक जलाएं. ऐसा करने से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलेगी और भगवान हनुमान के साथ प्रभु शनि का आशीर्वाद भी मिलेगा.
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पंडित प्रसाद दीक्षित ने कहा कि कि हनुमान जयंती के मौके पर हनुमान जी को विशेष भोग अर्पित करने का विधान है. यह भोग कोई मिष्ठान, कोई फल नहीं बल्कि साधारण सा चना और गुड़ होता है. हनुमान जी के आगे सुबह पूजन के बाद उन्हें भीगा हुआ चना या फिर भुना हुआ चना गुड़ के साथ अर्पित करने से सुख, शक्ति और तेज की प्राप्ति होती है.
चना और गुड़ अर्पित करने के बाद इस प्रसाद को ग्रहण करने से हनुमान जी का विशेष आशीर्वाद मिलता है, क्योंकि यह दोनों चीजें हनुमान जी को बहुत पसंद हैं और इनका सेवन भोग लगाने के बाद करने से पूरे घर में सुख शांति समृद्धि का वास होता है.
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