वाराणसी: अब जेल में बंद कैदी दूसरों को देंगे जीवनदान. ये सुनकर आप भी आश्चर्य में पड़ गए होंगे, कि भला कोई कैदी किसी को जीवनदान कैसे दे सकता है. क्योंकि वह खुद ही दूसरों के जीवन को नुकसान पहुंचाने को लेकर जेल में सजा काट रहा होता है. लेकिन अब ऐसा होने जा रहा है और यह अब उत्तर प्रदेश के जेलों में होगा. क्योंकि उत्तर प्रदेश की सरकार अपराधियों को सजा दिलवाने के साथ अब उन्हें दूसरों के जीवन दान के लिए भी प्रयोग में लेकर आएगी. इसमें बड़ी बात यह होगी कि इस प्रयोग में पुलिसवाले भी शामिल है और पहली बार ऐसा होगा जब पुलिस और अपराधी एक साथ यह शिक्षा लेंगे. कैसे देखें इस रिपोर्ट में.
अब जेल में बंद कैदी दूसरों को देंगे जीवनदान.
उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा नई शुरुआत के तहत पहली बार अपराधी और पुलिस एक शिक्षा ग्रहण करेगी. निश्चित तौर पर यह हैरान करने वाली बात है, क्योंकि कभी भी अपराध और प्रशासन एक साथ नहीं दिखती. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की इस कोशिश के तहत अब यह दोनों एक साथ दूसरों को जीवनदान देने की कला सीखेंगे. दरअसल, इन दिनों हार्ट अटैक और एक्सीडेंट के मामले बढ़ रहे हैं.
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उसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस और आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा यह निर्णय लिया गया है, जिसके तहत अब उत्तर प्रदेश के जिलों में पुलिस और कैदियों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. क्योंकि अमूमन रोड एक्सीडेंट, आपदा प्रबंधन, हार्ट अटैक और अन्य परिस्थितियों में मरीजों को प्राथमिक उपचार की जरूरत पड़ती है, परंतु जानकारी के अभाव में उन्हें वहां मौजदू पुलिस कर्मी भी प्राथमिक उपचार नहीं दे पाते, जिसके कारण असमय उनकी मौत हो जाती है. ऐसे बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए पुलिस और कैदी को यह प्राथमिक उपचार और सीपीआर का की कला सिखाई जा रही है.
मेडिकल इमर्जेंसी के लिये तैयार की जा रही खाकी और आपराधी
यूपी में चल रहे इस प्रशिक्षण की तस्वीर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के केंद्रीय कारागार में नजर आई. जहां पर डॉक्टरों की टीम द्वारा बकायदा कैदी और कैदियों की देख-रेख में मौजूद पुलिसकर्मी और वॉलिंटियर को यह दिखाया जा रहा है. वर्कशॉप की ट्रेनिंग देने आए प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कर्म राज सिंह ने बताया कि वर्तमान में कैदी और पुलिसकर्मी दोनों को इस तरीके की जानकारी की अत्यंत आवश्यकता है, जिससे इसके जरिए लोगों की जान बचाई जा सके.
उन्होंने बताया कि कैदियों के लिए यह कला अत्यंत आवश्य हैं क्योंकि यदि किसी कैदी को कोई समस्या हो तो एम्बुलेंस और डॉक्टर की टीम पहुंचने तक उन्हें प्राथमिक उपचार मिल सके. उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में सभी लोगों को घटना के 10 मिनट के अंदर किए जाने वाले प्राथमिक उपचार और सीपीआर के तरीके के बारे में बताया जा रहा है, उसका लाभ यह होगा कि प्राथमिक उपचार के साथ मरीज को ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता मिल जाएगी, जिससे उसे अस्पताल ले जाकर के सुरक्षित बचाया जा सके.
यूपी के 15 हजार पुलिसकर्मियों को दी जा चुकी है ट्रेनिंग
बता दें कि, प्रदेश भर में कुल 15,000 पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. ये प्रशिक्षण कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा किसी भी आकस्मिक घटना के बाद 10 मिनट का समय काफी महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में घायल को तुरंत फस्ट एड मिल जाए तो बचने की सम्भावना बढ़ जाती है. वाराणसी में अब तक 800 पुलिसकर्मी और 200 कैदियों को सीपीआर के लिए प्रशिक्षण दिया गया है.
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