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वाराणसी के सरकारी स्कूल में लापरवाही, परीक्षा नजदीक आने पर भी नहीं मिली किताबें - Basic education department

वाराणसी के सरकारी स्कूलों में अभी तक बच्चों को किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई हैं. अक्टूबर से इन विद्यालयों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं भी शुरू हो जाएंगी. लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही (negligence in government schools of varanasi) से बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है.

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Published : Sep 5, 2022, 1:58 PM IST

वाराणसी: उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को बेहतर और स्मार्ट बनाने में जुटी है. वास्तविकता की धरातल पर स्मार्ट स्कूल (government schools of varanasi) की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है. जिसकी एक झलक धर्म नगरी काशी के प्राथमिक विद्यालयों में देखने को मिली है. विद्यालय आधुनिक रूप से विकसित कर दिए गए हैं, लेकिन इन विद्यालयों में बच्चों के पास पढ़ने को किताबें तक नहीं है. अक्टूबर से इन विद्यालयों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं भी शुरू हो जाएंगी. ऐसे में इन बच्चों का भविष्य विभाग की लापरवाही (negligence in government schools of varanasi) के कारण अंधेर में है.

अप्रैल से हुई नए सत्र की शुरुआत: किसी भी विद्यालय में आधारभूत संरचना के साथ-साथ पठन-पाठन की मूलभूत सुविधाओं का होना भी आवश्यक है, जिनमें से किताबें (varanasi children not get books) भी एक है. अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत हुई थी, लेकिन अभी तक सभी प्राथमिक विद्यालयों में महज तीन अलग-अलग कक्षाओं की दो-तीन किताबें ही विभाग के जरिए उपलब्ध कराई गई हैं. ऐसे में सुचारू रूप से बच्चे अपनी पढ़ाई को संचालित नहीं कर पा रहे हैं.

जानकारी देतीं प्रधानाचार्या मंजू सिंह
वाराणसी में बेसिक शिक्षा विभाग (Basic education department) के कुल 1,1,44 स्कूल हैं. जिनमें से 133 उच्च प्राथमिक विद्यालय और 220 कंपोजिट विद्यालय हैं. इन स्कूलों में लगभग 3 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं. प्रत्येक कक्षा में 6 किताबों के अनुसार सभी विद्यार्थी के लिए लगभग 17 लाख से ज्यादा किताबों की आवश्यकता है. जुलाई में आई पहली खेप में अब तक महज आधे विद्यार्थियों को कुछ की विषयों की किताबें मिली है. बच्चों का कहना है कि, किताबें (varanasi children not get books) ना मिलने से उन्हें गृह कार्य करने में दिक्कत हो रही है. पुरानी किताबों के जरिए वह पढ़ाई तो कर रहे हैं, लेकिन वह किताबें भी सही हालात में नही है. क्योंकि पुरानी हो जाने के कारण किताबें फट रही हैं.पढें- सूखे की चपेट में आई धान की फसल, किसानों को मिलेगा मुआवजा


सरकारी स्कूल में बच्चों को नहीं मिली किताबें: विद्यालयों में किताबों की कमी (varanasi children not get books) के कारण शिक्षकों के ऊपर ही बच्चों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी है. प्राथमिक विद्यालय (negligence in government schools of varanasi) की प्रधानाचार्या ने बताया कि किताबों की कमी निश्चित तौर पर बच्चों के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अक्टूबर से अर्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं. ऐसे में अब तक किताबें उपलब्ध हो जानी चाहिए थी, हम लोगों ने कुछ पुराने बच्चों के जरिए कुछ अपने पास से बच्चों के लिए किताबें तो उपलब्ध कराए हैं, लेकिन वह पूर्ण नहीं हैं. उन्होंने कहा कि, शिक्षक अपने अनुभव के आधार पर बच्चों को सिलेबस पढ़ा रहे हैं, लेकिन यदि उनके पास किताब होती तो वह और अच्छे से अपनी पढ़ाई को सुचारु रुप से कर पाते. किताबों के अभाव में कहीं ना कहीं बच्चों के पाठ्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं. किताब होने से जो पाठ्यक्रम अब तक पूरे हो जाने चाहिए थे, वह अभी भी अधूरे हैं.


पढें- कानपुर के इस कब्रिस्तान में हैं अंग्रेज अफसरों की कब्रें, देखने विदेश से आते वंशज

वाराणसी: उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को बेहतर और स्मार्ट बनाने में जुटी है. वास्तविकता की धरातल पर स्मार्ट स्कूल (government schools of varanasi) की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है. जिसकी एक झलक धर्म नगरी काशी के प्राथमिक विद्यालयों में देखने को मिली है. विद्यालय आधुनिक रूप से विकसित कर दिए गए हैं, लेकिन इन विद्यालयों में बच्चों के पास पढ़ने को किताबें तक नहीं है. अक्टूबर से इन विद्यालयों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं भी शुरू हो जाएंगी. ऐसे में इन बच्चों का भविष्य विभाग की लापरवाही (negligence in government schools of varanasi) के कारण अंधेर में है.

अप्रैल से हुई नए सत्र की शुरुआत: किसी भी विद्यालय में आधारभूत संरचना के साथ-साथ पठन-पाठन की मूलभूत सुविधाओं का होना भी आवश्यक है, जिनमें से किताबें (varanasi children not get books) भी एक है. अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत हुई थी, लेकिन अभी तक सभी प्राथमिक विद्यालयों में महज तीन अलग-अलग कक्षाओं की दो-तीन किताबें ही विभाग के जरिए उपलब्ध कराई गई हैं. ऐसे में सुचारू रूप से बच्चे अपनी पढ़ाई को संचालित नहीं कर पा रहे हैं.

जानकारी देतीं प्रधानाचार्या मंजू सिंह
वाराणसी में बेसिक शिक्षा विभाग (Basic education department) के कुल 1,1,44 स्कूल हैं. जिनमें से 133 उच्च प्राथमिक विद्यालय और 220 कंपोजिट विद्यालय हैं. इन स्कूलों में लगभग 3 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं. प्रत्येक कक्षा में 6 किताबों के अनुसार सभी विद्यार्थी के लिए लगभग 17 लाख से ज्यादा किताबों की आवश्यकता है. जुलाई में आई पहली खेप में अब तक महज आधे विद्यार्थियों को कुछ की विषयों की किताबें मिली है. बच्चों का कहना है कि, किताबें (varanasi children not get books) ना मिलने से उन्हें गृह कार्य करने में दिक्कत हो रही है. पुरानी किताबों के जरिए वह पढ़ाई तो कर रहे हैं, लेकिन वह किताबें भी सही हालात में नही है. क्योंकि पुरानी हो जाने के कारण किताबें फट रही हैं.पढें- सूखे की चपेट में आई धान की फसल, किसानों को मिलेगा मुआवजा


सरकारी स्कूल में बच्चों को नहीं मिली किताबें: विद्यालयों में किताबों की कमी (varanasi children not get books) के कारण शिक्षकों के ऊपर ही बच्चों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी है. प्राथमिक विद्यालय (negligence in government schools of varanasi) की प्रधानाचार्या ने बताया कि किताबों की कमी निश्चित तौर पर बच्चों के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अक्टूबर से अर्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं. ऐसे में अब तक किताबें उपलब्ध हो जानी चाहिए थी, हम लोगों ने कुछ पुराने बच्चों के जरिए कुछ अपने पास से बच्चों के लिए किताबें तो उपलब्ध कराए हैं, लेकिन वह पूर्ण नहीं हैं. उन्होंने कहा कि, शिक्षक अपने अनुभव के आधार पर बच्चों को सिलेबस पढ़ा रहे हैं, लेकिन यदि उनके पास किताब होती तो वह और अच्छे से अपनी पढ़ाई को सुचारु रुप से कर पाते. किताबों के अभाव में कहीं ना कहीं बच्चों के पाठ्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं. किताब होने से जो पाठ्यक्रम अब तक पूरे हो जाने चाहिए थे, वह अभी भी अधूरे हैं.


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