वाराणसी: उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को बेहतर और स्मार्ट बनाने में जुटी है. वास्तविकता की धरातल पर स्मार्ट स्कूल (government schools of varanasi) की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है. जिसकी एक झलक धर्म नगरी काशी के प्राथमिक विद्यालयों में देखने को मिली है. विद्यालय आधुनिक रूप से विकसित कर दिए गए हैं, लेकिन इन विद्यालयों में बच्चों के पास पढ़ने को किताबें तक नहीं है. अक्टूबर से इन विद्यालयों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं भी शुरू हो जाएंगी. ऐसे में इन बच्चों का भविष्य विभाग की लापरवाही (negligence in government schools of varanasi) के कारण अंधेर में है.
अप्रैल से हुई नए सत्र की शुरुआत: किसी भी विद्यालय में आधारभूत संरचना के साथ-साथ पठन-पाठन की मूलभूत सुविधाओं का होना भी आवश्यक है, जिनमें से किताबें (varanasi children not get books) भी एक है. अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत हुई थी, लेकिन अभी तक सभी प्राथमिक विद्यालयों में महज तीन अलग-अलग कक्षाओं की दो-तीन किताबें ही विभाग के जरिए उपलब्ध कराई गई हैं. ऐसे में सुचारू रूप से बच्चे अपनी पढ़ाई को संचालित नहीं कर पा रहे हैं.
सरकारी स्कूल में बच्चों को नहीं मिली किताबें: विद्यालयों में किताबों की कमी (varanasi children not get books) के कारण शिक्षकों के ऊपर ही बच्चों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी है. प्राथमिक विद्यालय (negligence in government schools of varanasi) की प्रधानाचार्या ने बताया कि किताबों की कमी निश्चित तौर पर बच्चों के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अक्टूबर से अर्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं. ऐसे में अब तक किताबें उपलब्ध हो जानी चाहिए थी, हम लोगों ने कुछ पुराने बच्चों के जरिए कुछ अपने पास से बच्चों के लिए किताबें तो उपलब्ध कराए हैं, लेकिन वह पूर्ण नहीं हैं. उन्होंने कहा कि, शिक्षक अपने अनुभव के आधार पर बच्चों को सिलेबस पढ़ा रहे हैं, लेकिन यदि उनके पास किताब होती तो वह और अच्छे से अपनी पढ़ाई को सुचारु रुप से कर पाते. किताबों के अभाव में कहीं ना कहीं बच्चों के पाठ्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं. किताब होने से जो पाठ्यक्रम अब तक पूरे हो जाने चाहिए थे, वह अभी भी अधूरे हैं.
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