वाराणसी : पर्यटन विभाग ने काशी के सभी मंदिरों को पावन पथ के जरिए आपस में डिजिटल माध्यम से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है. गौरतलब है कि 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद पावन पथ योजना का स्वरूप तैयार हुआ था. अब जबकि दूसरी बार योगी सरकार फिर से प्रदेश की सत्ता में काबिज हुई है तो इस प्रोजेक्ट को और आगे बढ़ाते हुए पावन पथ योजना (holy path plan) के तहत बनारस के 500 मंदिरों को एक दूसरे से जोड़ने की कवायद शुरू हुई है. ये सभी मंदिर पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं. इनमें नौ गौरी एकादश आदित्य अष्ट भैरव और अष्टविनायक समेत द्वादश ज्योतिर्लिंग व कई अन्य देवताओं के मंदिर शामिल हैं.
दरअसल, पर्यटन विभाग ने लगभग 28 करोड़ की लागत से पावन पथ योजना तैयार की थी. यह योजना बनारस में मौजूद पौराणिक और प्राचीन मंदिरों को शृंखलाबद्ध करके यहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं को विकसित करने के उद्देश्य के साथ तैयार की गई थी. इस बारे में क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया कि योजना के लिए 10 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. काम शुरू हो चुका है.
500 मंदिरों की शृंखला में प्राचीन मंदिर शामिल हैं. इनमें नव दुर्गा, नव गौरी, अष्टविनायक, अष्ट भैरव, एकादश आदित्य समेत भगवान शिव के अलग अलग स्वरूप के अलग-अलग मंदिर शामिल हैं. योजना के तहत इन मंदिरों को सूचीबद्ध करते हुए यहां पर पर्यटकों श्रद्धालुओं की सुविधाएं बढ़ाई जाने की तैयारी की गई है. इसके अलावा गलियों को सुंदर बनाने, मंदिरों के कायाकल्प और सुंदरीकरण, बैठने, शुद्ध पानी, लाइटिंग और दीवारों पर म्यूरल आर्ट के जरिए हर मंदिर के इतिहास की पूरी गाथा को प्रस्तुत करने की तैयारी की जा रही है. हर मंदिर के बाहर विशेष साइन बोर्ड लगाने जिसमें डिजिटल क्यूआर कोड मौजूद रहेंगे, का काम किया जाएगा. इस क्यूआर कोड को स्कैनर से स्कैन करने के बाद गूगल के जरिए मंदिर से जुड़ी सारी पौराणिक और ऐतिहासिक कहानी खुलकर डिजिटल तौर पर सामने आ जाएगी.
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इन प्रयासों से एक तरफ तो जहां इन 500 मंदिरों को जोड़कर लोगों को यहां तक पहुंचाने में आसानी होगी तो वहीं आधुनिकता के साथ पौराणिक का गठजोड़ इन मंदिरों को डिजिटल तरीके से डाटा बैंक में भी शामिल किया जाएगा ताकि इनके ऐतिहासिक महत्व को लोगों तक पहुंचाया जा सके. 2023 मार्च तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा.
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