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75 साल के इस किसान की खेती देख बड़े-बड़े हो जाते हैं दंग, माने जाते हैं कृषि पंडित

मुरादाबाद के बिलारी थाना क्षेत्र के समाथल गांव में रहने वाले रघुपत नाम के किसान की उम्र 75 साल है. भूगोल और इतिहास में एमए पास रघुपत को बचपन से ही किसानी का शौक था.

रघुपत
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Published : Feb 19, 2019, 12:58 PM IST

मुरादाबाद: सब्जी की दुकान पर आपने कई बार लौकी खरीदी होगी, लेकिन क्या आपने कभी छह फीट से भी ज्यादा बड़ी लौकी देखी है. अगर नहीं तो आज हम आपको एक ऐसे किसान से मिलाएंगे जो पिछले पचास सालों से हर रोज सब्जियों, फलों और दालों की नई प्रजातियां उगा रहें है. मुरादाबाद जनपद के रहने वाले किसान रघुपत ने छह फीट लम्बी लौकी उगाकर हर किसी को हैरान कर दिया है. रघुपत के खेतों में कई किस्म की सब्जियां, दाल और फल उनकी मेहनत को बयां कर रहें हैं.

किसान रघुपत उगा रहे राजमा की 27 किस्में
मुरादाबाद के बिलारी थाना क्षेत्र के समाथल गांव में रहने वाले रघुपत नाम के किसान की उम्र 75 साल है. भूगोल और इतिहास में एमए पास रघुपत को बचपन से ही किसानी का शौक था. आकाशवाणी में कुछ साल नौकरी करने के बाद रघुपत गांव वापस लौट आये और खेती करने लगे. शुरू से ही सब्जियों, फलों और दालों के बीज जमा करने के शौक के चलते रघुपत खेती में नए-नए प्रयोग करते रहें और धीरे-धीरे उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों से अलग-अलग बीज जमा करके उन्हें उगाना और उनसे नए बीज तैयार करने शुरू कर दिए. आज रघुपत के खेत में अकेले राजमा की 27 किस्में उगाई जा रहीं है.

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जानकारी देते रघुपत, किसान.
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कृषि विशेषज्ञ रघुपत से लेते हैं खेती की जानकारियां
रघुपत के बगीचे में उगाई लौकी छह फीट लम्बी है, जिसको पच्चीस साल पहले रघुपत ने उगाना शुरू किया था. बीज में बदलाव करते हुए आज रघुपत की उगाई यह लौकी किसानों के लिए आकर्षण का विषय बनी हुई है. रघुपत की मेहनत और उनके हौसले को देखते हुए आज देश के कई कृषि विशेषज्ञ और रिसर्च करने वाले छात्र उनसे संपर्क करते हैं और खेती की जानकारियां लेते हैं. देश के कई पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुके रघुपत को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषि पंडित की उपाधि भी दी गयी है. नींबू, सेम, अदरक, करोंजी, और दालों की खेती करने वाले रघुपत हमेशा से जैविक खाद का इस्तेमाल करते आये हैं.

पचास साल से खेती कर रहें रघुपत के परिवार में कुल बारह सदस्य हैं जो हर कदम पर रघुपत का साथ देते है. कृषि सम्मेलनों और सेमिनार के चलते रघुपत अक्सर घर से बाहर रहते हैं और इस दौरान खेती का काम उनके बेटे और पोते सम्भालते हैं. मुरादाबाद और आस-पास के कई जिलों के किसान रघुपत से खेती के आधुनिक तरीकों को लेकर चर्चा करने आते हैं. परिजनों के मुताबिक जब बाहर से आये लोग उनकी मेहनत को सराहते हैं तो उन्हें गर्व होता है.

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मुरादाबाद: सब्जी की दुकान पर आपने कई बार लौकी खरीदी होगी, लेकिन क्या आपने कभी छह फीट से भी ज्यादा बड़ी लौकी देखी है. अगर नहीं तो आज हम आपको एक ऐसे किसान से मिलाएंगे जो पिछले पचास सालों से हर रोज सब्जियों, फलों और दालों की नई प्रजातियां उगा रहें है. मुरादाबाद जनपद के रहने वाले किसान रघुपत ने छह फीट लम्बी लौकी उगाकर हर किसी को हैरान कर दिया है. रघुपत के खेतों में कई किस्म की सब्जियां, दाल और फल उनकी मेहनत को बयां कर रहें हैं.

किसान रघुपत उगा रहे राजमा की 27 किस्में
मुरादाबाद के बिलारी थाना क्षेत्र के समाथल गांव में रहने वाले रघुपत नाम के किसान की उम्र 75 साल है. भूगोल और इतिहास में एमए पास रघुपत को बचपन से ही किसानी का शौक था. आकाशवाणी में कुछ साल नौकरी करने के बाद रघुपत गांव वापस लौट आये और खेती करने लगे. शुरू से ही सब्जियों, फलों और दालों के बीज जमा करने के शौक के चलते रघुपत खेती में नए-नए प्रयोग करते रहें और धीरे-धीरे उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों से अलग-अलग बीज जमा करके उन्हें उगाना और उनसे नए बीज तैयार करने शुरू कर दिए. आज रघुपत के खेत में अकेले राजमा की 27 किस्में उगाई जा रहीं है.

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जानकारी देते रघुपत, किसान.
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कृषि विशेषज्ञ रघुपत से लेते हैं खेती की जानकारियां
रघुपत के बगीचे में उगाई लौकी छह फीट लम्बी है, जिसको पच्चीस साल पहले रघुपत ने उगाना शुरू किया था. बीज में बदलाव करते हुए आज रघुपत की उगाई यह लौकी किसानों के लिए आकर्षण का विषय बनी हुई है. रघुपत की मेहनत और उनके हौसले को देखते हुए आज देश के कई कृषि विशेषज्ञ और रिसर्च करने वाले छात्र उनसे संपर्क करते हैं और खेती की जानकारियां लेते हैं. देश के कई पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुके रघुपत को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषि पंडित की उपाधि भी दी गयी है. नींबू, सेम, अदरक, करोंजी, और दालों की खेती करने वाले रघुपत हमेशा से जैविक खाद का इस्तेमाल करते आये हैं.

पचास साल से खेती कर रहें रघुपत के परिवार में कुल बारह सदस्य हैं जो हर कदम पर रघुपत का साथ देते है. कृषि सम्मेलनों और सेमिनार के चलते रघुपत अक्सर घर से बाहर रहते हैं और इस दौरान खेती का काम उनके बेटे और पोते सम्भालते हैं. मुरादाबाद और आस-पास के कई जिलों के किसान रघुपत से खेती के आधुनिक तरीकों को लेकर चर्चा करने आते हैं. परिजनों के मुताबिक जब बाहर से आये लोग उनकी मेहनत को सराहते हैं तो उन्हें गर्व होता है.

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Intro:एंकर: मुरादाबाद: सब्जी की दुकान पर सब्जियां खरीदते आपने और हमने अक्सर लौकी भी खरीदी होगी लेकिन क्या आपने कभी छह फीट से ज्यादा लम्बी लौकी सब्जी की दुकानों पर देखी. अगर नहीं तो आज हम आपको मिलाएंगे एक ऐसे किसान से जो पिछले पचास सालों से हर रोज सब्जियों,फलों और दालों की नई प्रजातियां उगा रहें है. मुरादाबाद जनपद के रहने वाले किसान रघुपत ने छह फीट लम्बी लौकी उगा कर हर किसी को हैरान कर दिया. रघुपत के खेतों में कई किस्म की सब्जियां,दाल और फल उनकी मेहनत को बयां कर रहें है.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद के बिलारी थाना क्षेत्र के समाथल गांव में रहने वाले रघुपत नाम के किसान की उम्र पिचहत्तर साल है. भूगोल और इतिहास में एमए पास रघुपत को बचपन से ही किसानी का शौक था. आकाशवाणी में कुछ साल नॉकरी करने के बाद रघुपत गांव वापस लौट आये और खेती करने लगे. शुरू से ही सब्जियों,फलों और दालों के बीज जमा करने के शौक के चलते रघुपत खेती में नए प्रयोग करते रहें और धीरे-धीरे उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों से अलग-अलग बीज जमा करके उन्हें उगाना और उनसे नए बीज तैयार करने शुरू कर दिए. आज रघुपत के खेत में अकेले राजमा की सत्ताईस किस्में उगाई जा रहीं है.
बाइट: रघुपत: किसान
वीओ टू: रघुपत के बगीचे में उगाई लौकी छह फीट लम्बी है जिसको पच्चीस साल पहले लखपत ने उगाना शुरू किया था. बीज में बदलाव करते हुए आज लखपत की उगाई यह लौकी किसानों के लिए आकर्षण का विषय बनी हुई है. रघुपत की मेहनत और उनके हौशले को देखते हुए आज देश की कई कृषि विशेषज्ञ और रिसर्च करने वाले छात्र उनसे संपर्क करते है और खेती की जानकारियां लेते है. देश के कई पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुके रघुपत को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषि पंडित की उपाधि भी दी गयी है. नींबू, सेम,आमदरक, करोंजी, और दालों की खेती करने वाले रघुपत हमेशा से जैविक खाद का इस्तेमाल करते आये है.
बाइट: रघुपत: किसान
वीओ तीन: पचास साल से खेती कर रहें रघुपत के परिवार में कुल बारह सदस्य है जो हर कदम पर रघुपत का साथ देते है. कृषि सम्मेलनों और सेमिनार के चलते रघुपत अक्सर घर से बाहर रहते है और इस दौरान खेती का काम उनके बेटे और पोते सम्भालते है. मुरादाबाद और आस-पास के कई जिलों के किसान रघुपत से खेती के आधुनिक तरीकों को लेकर चर्चा करने आते है. परिजनों के मुताबिक जब बाहर से आये लोग उनकी मेहनत को सराहते है तो उन्हें गर्व होता है.
बाइट: प्रेमवती- रघुपत की पत्नी


Conclusion:वीओ चार: भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है लेकिन बदलते दौर में लोग खेती से दूर होते जा रहें है. रघुपत जैसे किसान खेती की आधुनिक विधियों का इस्तेमाल कर खुद को आगे रखें हुए है. इन किसानों की ही मेहनत का नतीजा है कि आज इनके आस-पास रहने वाले नौजवान खेती के जरिये भविष्य संवारने की कवायद में जुट रहें है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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