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दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर संचालित करने के लिए डीबी इंडिया के साथ एग्रीमेंट

भारत की प्रथम रीजनल रेल के पहले कॉरिडोर के ऑपरेशन और मेंटिनेन्स के लिए एनसीआरटीसी ने डीबी इंडिया के साथ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए है. यह साझेदारी 12 साल के लिए है.

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एनसीआरटीसी ने किया डीबी इंडिया के साथ एग्रीमेंट
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Published : Jul 1, 2022, 9:17 PM IST

मेरठ: एनसीआरटीसी ने शुक्रवार को डॉयचे बान इंडिया के साथ 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के व्यापक ऑपरेशन और मेंटिनेन्स के लिए अपनी तरह का पहला एग्रीमेंट किया है. देश की पहली हाईस्पीड ट्रेन के समय से संचालन के लिए 12 साल का एग्रीमेंट किया है. NCRTC की तरफ से विज्ञप्ति के माध्यम से ये जानकारी साझा की गई है. NCRTC ने जिस कम्पनी (डीबी इंडिया) के साथ करार किया है. वह जर्मनी की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी डॉयचे बान एजी की सहायक कंपनी है.

आवासन और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2017 में मेट्रो रेल नीति जारी की थी, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ रीजनल रेल और मेट्रो रेल परियोजनाओं में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया गया था. एनसीआरटीसी के एमडी विनय कुमार सिंह ने कहा कि एनसीआरटीसी की इस अग्रणी पहल से पूरे क्षेत्र में एक आदर्श बदलाव आएगा. यह क्षेत्र कॉस्ट इफैक्टिव और प्रतिस्पर्धी बनेगा, जिससे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के सपने को साकार किया जा सकेगा.

उन्होंने कहा कि आरआरटीएस एक कैपिटल-इंटेन्सिव प्रोजेक्ट है. जहां यात्रियों की सुरक्षा और सहूलियत से समझौता किए बिना लंबे समय के लिए सस्टेनेबिलिटी प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि NCRTC द्वारा अपनाई जा रही इस पहल से हम अनुभव का उपयोग करके यात्रियों को अच्छी सेवाएं प्रदान करेंगे. साथ ही लॉन्ग टर्म कॉस्ट की प्रीडेक्टिबिलिटी, प्रबंधकीय क्षमता और प्राइवेट सेक्टर की उद्यमशीलता की भावना का कुशल प्रयोग करने में सक्षम होंगे.

इस मॉडल के माध्यम से यह उम्मीद की जा रही है कि सेवाओं के कुशल वितरण के अलावा, प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी से ऑपरेशनल एफिशियंसी और परिसंपत्तियों/संसाधनों का अच्छा उपयोग होगा. ऑपटिमम कॉन्ट्रैक्टिंग मॉडल का चुनाव करने के लिए, एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस के ओ एंड एम के लिए सबसे कुशल और प्रभावी तंत्र की पहचान करने के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ व्यापक चर्चा की. ताकि ओ एंड एम पहलुओं के पूरे स्पेक्ट्रम के लिए असेट्स के बेहतर उपयोग के साथ कम से कम इंटरफेसिंग रिस्क और कॉम्प्रिहेंसिव लॉन्ग टर्म व्यू को सुनिश्चित किया जा सके.


इस पहल का उद्देश्य पैसेंजर एरिया के साथ निर्बाध एकीकरण करके यात्रियों को एक बेहतर अनुभव प्रदान करना है. इसके लिए एक ऑपटिमम रिस्क मैट्रिक्स अप्रोच अपनाया गया है और रिस्क को संभालने की ज़िम्मेदारी सबसे उपयुक्त पार्टी को दी गई है.एनसीआरटीसी ने लाइफसाइकल कॉस्टिंग को नियंत्रित करने के लिए निजी भागीदारी के माध्यम से रोलिंग स्टॉक की इंटीग्रेटेड प्रोक्योरमेंट कम लॉन्ग टर्म (15 वर्ष) कॉम्प्रिहेंसिंव मेंटिनेंस के लिए भी अपनी तरह का पहला मॉडल अपनाया है.

इस प्रोक्योरमेंट मॉडल को एक ओर सबसे उपयुक्त टेक्नोलॉजी और ड्यूरेबल कॉम्पोनंट के उपयोग और दूसरी ओर ऑपटिमम कॉस्ट पर नवीनतम अत्याधुनिक तकनीकों और पद्धतियों के उपयोग के लिए अपनाया गया है. कॉम्प्रिहेंसिव ओ एंड एम कॉन्ट्रैक्ट और उपरोक्त इंटीग्रेटेड प्रोक्योरमेंट कम लॉन्ग टर्म मेंटिनेंस एग्रीमेंट को अब भारतीय रेलवे और अन्य मेट्रो कंपनियों द्वारा भी अपनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें:गांव-गांव चूहे और छछूंदर खोज रहा कृषि विभाग, जानिए क्यों


एक बार संचालन शुरु होने के बाद यातायात को प्राइवेट मोड से तीव्र रेल प्रणाली में स्थानांतरित करने और मल्टीमॉडल एकीकरण और निर्बाध कनेक्टिविटी से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में परिवहन क्षेत्र द्वारा ऊर्जा के उपयोग में कमी आएगी. एनसीआर में ईज़ ऑफ लिविंग के साथ-साथ ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा. इससे इस क्षेत्र में प्रदूषण में भी काफी कमी आएगी.

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मेरठ: एनसीआरटीसी ने शुक्रवार को डॉयचे बान इंडिया के साथ 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के व्यापक ऑपरेशन और मेंटिनेन्स के लिए अपनी तरह का पहला एग्रीमेंट किया है. देश की पहली हाईस्पीड ट्रेन के समय से संचालन के लिए 12 साल का एग्रीमेंट किया है. NCRTC की तरफ से विज्ञप्ति के माध्यम से ये जानकारी साझा की गई है. NCRTC ने जिस कम्पनी (डीबी इंडिया) के साथ करार किया है. वह जर्मनी की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी डॉयचे बान एजी की सहायक कंपनी है.

आवासन और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2017 में मेट्रो रेल नीति जारी की थी, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ रीजनल रेल और मेट्रो रेल परियोजनाओं में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया गया था. एनसीआरटीसी के एमडी विनय कुमार सिंह ने कहा कि एनसीआरटीसी की इस अग्रणी पहल से पूरे क्षेत्र में एक आदर्श बदलाव आएगा. यह क्षेत्र कॉस्ट इफैक्टिव और प्रतिस्पर्धी बनेगा, जिससे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के सपने को साकार किया जा सकेगा.

उन्होंने कहा कि आरआरटीएस एक कैपिटल-इंटेन्सिव प्रोजेक्ट है. जहां यात्रियों की सुरक्षा और सहूलियत से समझौता किए बिना लंबे समय के लिए सस्टेनेबिलिटी प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि NCRTC द्वारा अपनाई जा रही इस पहल से हम अनुभव का उपयोग करके यात्रियों को अच्छी सेवाएं प्रदान करेंगे. साथ ही लॉन्ग टर्म कॉस्ट की प्रीडेक्टिबिलिटी, प्रबंधकीय क्षमता और प्राइवेट सेक्टर की उद्यमशीलता की भावना का कुशल प्रयोग करने में सक्षम होंगे.

इस मॉडल के माध्यम से यह उम्मीद की जा रही है कि सेवाओं के कुशल वितरण के अलावा, प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी से ऑपरेशनल एफिशियंसी और परिसंपत्तियों/संसाधनों का अच्छा उपयोग होगा. ऑपटिमम कॉन्ट्रैक्टिंग मॉडल का चुनाव करने के लिए, एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस के ओ एंड एम के लिए सबसे कुशल और प्रभावी तंत्र की पहचान करने के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ व्यापक चर्चा की. ताकि ओ एंड एम पहलुओं के पूरे स्पेक्ट्रम के लिए असेट्स के बेहतर उपयोग के साथ कम से कम इंटरफेसिंग रिस्क और कॉम्प्रिहेंसिव लॉन्ग टर्म व्यू को सुनिश्चित किया जा सके.


इस पहल का उद्देश्य पैसेंजर एरिया के साथ निर्बाध एकीकरण करके यात्रियों को एक बेहतर अनुभव प्रदान करना है. इसके लिए एक ऑपटिमम रिस्क मैट्रिक्स अप्रोच अपनाया गया है और रिस्क को संभालने की ज़िम्मेदारी सबसे उपयुक्त पार्टी को दी गई है.एनसीआरटीसी ने लाइफसाइकल कॉस्टिंग को नियंत्रित करने के लिए निजी भागीदारी के माध्यम से रोलिंग स्टॉक की इंटीग्रेटेड प्रोक्योरमेंट कम लॉन्ग टर्म (15 वर्ष) कॉम्प्रिहेंसिंव मेंटिनेंस के लिए भी अपनी तरह का पहला मॉडल अपनाया है.

इस प्रोक्योरमेंट मॉडल को एक ओर सबसे उपयुक्त टेक्नोलॉजी और ड्यूरेबल कॉम्पोनंट के उपयोग और दूसरी ओर ऑपटिमम कॉस्ट पर नवीनतम अत्याधुनिक तकनीकों और पद्धतियों के उपयोग के लिए अपनाया गया है. कॉम्प्रिहेंसिव ओ एंड एम कॉन्ट्रैक्ट और उपरोक्त इंटीग्रेटेड प्रोक्योरमेंट कम लॉन्ग टर्म मेंटिनेंस एग्रीमेंट को अब भारतीय रेलवे और अन्य मेट्रो कंपनियों द्वारा भी अपनाया जा रहा है.

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एक बार संचालन शुरु होने के बाद यातायात को प्राइवेट मोड से तीव्र रेल प्रणाली में स्थानांतरित करने और मल्टीमॉडल एकीकरण और निर्बाध कनेक्टिविटी से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में परिवहन क्षेत्र द्वारा ऊर्जा के उपयोग में कमी आएगी. एनसीआर में ईज़ ऑफ लिविंग के साथ-साथ ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा. इससे इस क्षेत्र में प्रदूषण में भी काफी कमी आएगी.

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