मेरठ: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी का नाम निकालने के एवज में एक लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में मेरठ की महिला थाना प्रभारी और एक महिला उपनिरीक्षक को रविवार को निलंबित कर दिया.
वही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मामले कि विभागीय जांच के आदेश दिये हैं. दोनों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज कराया गया है. मेरठ के पुलिस अधीक्षक (नगर) विनीत भटनागर ने बताया कि सरधना के छुर गांव के दुष्कर्म के एक मामले में एक आरोपी फ़ौजी का नाम निकालने के बदले महिला दरोगा रितु काजला और महिला थाना प्रभारी मोनिका जिंदल ने एक लाख रुपये रिश्वत मांगी थी.
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रभाकर चौधरी ने पुलिस अधीक्षक (देहात) केशव कुमार को मामले की जांच सौंप दी थी, जिसमें जिंदल और काजला दोषी पाई गईं. मोनिका जिंदल 2013 बैच की सब-इंस्पेक्टर हैं. उनके पति भी STF मेरठ में सब-इंस्पेक्टर हैं. मोनिका 3 साल पहले सहारनपुर से ट्रांसफर होकर मेरठ आई थीं.
ये भी पढ़ें- ज्ञानवापी मामला: अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की अर्जी पर सुनवाई आज
इससे पहले वह मेरठ में परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी रहीं. 5 महीने पहले ही उन्हें महिला थाने की एसओ बनाया गया था. थाना प्रभारी के पद पर पहला चार्ज था. मगर, पहले ही चार्ज में वह भ्रष्टाचार में घिर गईं और कुर्सी गवां बैठी. अब उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गयी.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप