लखनऊ : हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव (comedian Raju Srivastava) की याद में लोक निर्माण विभाग के विश्वेश्वरैया ऑडिटोरियम हॉल में बुधवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. श्रद्धांजलि सभा में राजू श्रीवास्तव की पत्नी, बेटा व बेटी भी मौजूद रहे. इस दौरान डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और अपर मुख्य सचिव खेल व युवा कल्याण नवनीत सहगल ने श्रद्धांजलि दी. इस शोक सभा में राजू श्रीवास्तव के बहुत सारे फैंस समेत तमाम दोस्त और परिवार के लोग मौजूद रहे.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और 25 करोड़ आबादी की तरफ से मैं राजू श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. उन्होंने कहा कि राजू श्रीवास्तव से हमारा बहुत पुराना पारिवारिक संबंध है. उन्होंने बताया कि 1986-87 की बात है, उस समय में लखनऊ विश्वविद्यालय का अध्यक्ष नहीं था. उस समय उनकी पहली सीरीज गजोधर भईया टी सीरीज पर आई. वह हमारे पास कैसेट लेकर आए और उन्होंने कहा अब हम पुराने राजू श्रीवास्तव नहीं रहे. अब हमारा कैसेट आ गया. हम लोग कैसेट को जब भी फ्री होते थे तो सुनते थे. धीरे-धीरे राजू गजोधर नाम से ही पहचाने जाने लगे. सभी लोग उन्हें गजोधर भैया बोलने लगे. विपरीत परिस्थितियों में भी राजू हमेशा दूसरों को हंसते हुए देखना पसंद करते थे और भले ही उनके दिल में कितने ही दर्द क्यों न हों, लेकिन वह हमेशा लोगों को हंसाते रहते थे.
उन्होंने कहा कि एक बार की घटना है कि जब राजू श्रीवास्तव अपने परिवार के साथ मुंबई में रहा करते थे. उस समय राजू के घर में एक चोर घुस आया. उस समय भाभी और बिटिया घर पर थीं. भाभी ने चोर को किसी तरह से भगाया. इस बात की सूचना राजू ने हम सभी से शेयर की वह भी अपने चुटकुले वाले अंदाज में. इस घटना का उन्होंने अपने तरीके से वर्णन किया कि ऐसा लग रहा था जैसे मां दुर्गा किसी राक्षस के पीछे तलवार लेकर भागी हों, ऐसे भाभी ने घर से चोर को भगाया. हालांकि इस बात को कभी उन्होंने मंच से नहीं साझा किया. जब वह किसी बात का वर्णन करते थे तो ऐसा लगता था जैसे वह घटना हूबहू हमारी आंखों के सामने हो रही हो. जब एक वक्त आया उन्हें उत्तर प्रदेश में काम करने का अवसर मिला. यूपी की कला को किस तरह से एक बेहतर मंच मिल सके इसके लिए फिल्म सिटी का अध्यक्ष उन्हें बनाया गया. इसके बाद वह हमारे पास आए और उनसे घंटों बातें हुईं कि किस तरह से यूपी के कलाकारों को एक बेहतर मंच दिया जाए. आज वर्तमान में प्रदेश के अन्य जिलों से कलाकार अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं. इन सबका श्रेय राजू श्रीवास्तव को जाता है.
इस अवसर पर लखनऊ महापौर संयुक्ता भाटिया ने राजाजीपुरम के ई-ब्लाक चौराहा का नाम राजू श्रीवास्तव चौराहा करने की घोषणा की. सभा में महापौर संयुक्ता भाटिया ने स्वर्गीय राजू श्रीवास्तव के चित्र पर पुष्पार्चन कर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किए. साथ ही सभा में आए राजू श्रीवास्तव की पत्नी शिखा श्रीवास्तव, पुत्री अंतरा श्रीवास्तव और पुत्र आयुष्मान श्रीवास्तव का ढांढस बंधाया. इस मौके पर महापौर ने कहा कि किसी को रुलाना तो आसान होता है परन्तु किसी को हंसाना और किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेरना बहुत ही पुण्य का कार्य है. राजू इस नाते से महान कलाकार थे. महापौर ने कहा कि लखनऊ राजू श्रीवास्तव का दूसरा घर था. राजाजीपुरम में उनका ससुराल है. यहां अक्सर कई मंचों पर उनसे भेंट हो जाया करती थी. हम परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे. संयुक्ता भाटिया ने कहा कि ई ब्लॉक चौराहे का नाम उनके नाम से करने की घोषणा करते हुए उनको श्रद्धांजली अर्पित करती हूं ताकि लखनऊ वासियों के दिलों में राजू श्रीवास्तव हमेशा जिंदा रहें. उनकी याद हम सबके दिलों में सदैव बनी रहेगी. उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि उनके परिवारजनों को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें.
कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने जिंदगी और मौत के बीच एक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया. कॉमेडियन को 10 अगस्त को दिल्ली के एम्स में एडमिट करवाया गया था. राजू श्रीवास्तव जब जिम में वर्कआउट कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में ले जाया गया. राजू की जब एंजियोग्राफी हुई तो पता चला कि उनके हार्ट के एक बड़े हिस्से में 100 फीसदी ब्लॉकेज था. मामला गंभीर था, ऐसे में डॉक्टर्स ने उनके हार्ट में दो स्टंट लगाए, लेकिन हालत में जब कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख दिया गया. उनके ब्रेन ने बिल्कुल ही काम करना बंद कर दिया था. दुनिया को हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव ऐसे सबको रुलाकर चले जाएंगे किसी को अंदाजा भी नहीं था. उनका जन्म कानपुर में हुआ था. 1988 में राजू श्रीवास्तव कॉमेडी में अपना करियर बनाने का सपना लिए मुंबई पहुंच गए. हालांकि, इस बड़े महानगर में अपना सपना सच कर पाना उनके लिए इतना भी आसान नहीं था.
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