मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद प्रकरण की सुनवाई मंगलवार को मथुरा की जिला अदालत में हुई. इस मामले में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने जिला जज की कोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद की ओर से कोर्ट में दस्तावेज दाखिल नहीं किए गए. इस केस सुनवाई में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की. इस केस की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी.
शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जिला जज की कोर्ट में अपनी पैरवी दाखिल नहीं की. जबकि महेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा डाली गई रिवीजन में सभी लोगों को पैरवी करनी चाहिए. न्यायालय के सामने हमने तर्क रखा है, सुन्नी वक्फ बोर्ड को समय दिया जाए. इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी.
वहीं, वादी पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया जिला जज की कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई थी. कोर्ट में महेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की, लेकिन कई बार से सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता इस मामले में हाजिर नहीं हो रहे हैं. दूसरे पक्ष के लोग इस मामले को अनदेखा कर रहे हैं.
गौरतलब है कि जुलाई के माह में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद प्रकरण को लेकर जिला जज की कोर्ट में रिवीजन दाखिल किया गया था. जिसमें मांग की गई थी, कि शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराने और कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की जाए. साथ ही मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट में पेश की जाए. रिविजन के मामले में जिला न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी. इस मामले की सुनवाई के दौरान जिला जज की कोर्ट मे दाखिल किए गए रिवीजन में 2 विपक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए.
अब तक 12 से अधिक याचिकाएं न्यायालय में विचाराधीन
पिछले दो वर्ष पूर्व सिविल जज सीनियर डिविजन और जिला जज की कोर्ट में अखिल भारत हिंदू महासभा, हिंदू आर्मी चीफ मनीष यादव, महेंद्र प्रताप सिंह गोपाल गिरी अनिल त्रिपाठी कृष्ण भक्त रंजना अग्निहोत्री ने याचिका दाखिल की थी. जिसमें कहा गया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिरो को तोड़कर अवैध मस्जिद का निर्माण किया था.
अवैध रूप से बनाई गईं इन मस्जिदों में एक मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद भी एक है. न्यायालय इस मामले का संज्ञान लेकर मस्जिद हटवाए. मांग की गई थी कि मस्जिद के स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर बनाया जाए. अखिल भारत हिंदू महासभा ने प्रार्थना पत्र में कहा था कि शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे भगवान श्रीकृष्ण का मूल विग्रह मंदिर है. न्यायालय वरिष्ठ कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करके वहां की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट न्यायालय मे पेश करवाए.
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मौजूदा स्थिति
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए. 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था, उसे जमीन की बिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है.
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