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पिता ने खून से बनवाई क्रांतिकारियों की तस्वीरें, अब बेटी अपने खून से पेंटिंग्स को संवार रही - गुरुदर्शन सिंह विंकल चित्रकार

मथुरा में महापुरुषों की तस्वीरों को जीवंत रूप देने के लिए इंसानी खून से बनाया गया है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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इंसानी रक्त की पेंटिंग्स
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Published : Sep 10, 2022, 3:19 PM IST

मथुरा: धर्म नगरी वृंदावन में साध्वी दीदी मां ऋतंभरा के वात्सल्य ग्राम स्थित बने शहीद संग्रहालय में आजादी के महानायकों की वीरगाथा के किस्से आज भी देखने और सुनने को मिल जाएंगे. यह देश का पहला ऐसा संग्रहालय है जो क्रांतिकारियों की यादों को संजोए हुए है. संग्रहालय में महापुरुषों की तस्वीरों को जीवंत रूप देने के लिए इंसानी खून से सजाया और संवारा गया है. इस संग्रहालय में केवल क्रांतिकारियों से ही संबंधित पेंटिंग लगाई गई हैं.

दरअसल, दिल्ली के रहने वाले स्वर्गीय रवि चंद गुप्ता, सुभाष चंद्र बोस के अनुयाई थे. आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस से दिया गया नारा ‘तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ से रवि चंद गुप्ता इस कदर प्रभावित हो गए थे कि कहने लगे की महापुरुषों की कुर्बानी के बाद हमें आजादी तो मिल गई, लेकिन हमने शहीदों को क्या दिया. बस इसी सोच को लेकर उन्होंने अपने खून से शहीद संग्रहालय में आजादी के 80 महानायकों की तस्वीरों को गुरुदर्शन सिंह विंकल चित्रकार से बनवा दिया था. यह सभी पेंटिंग्स 1760 से 1947 तक के क्रांतिकारियों की हैं.

सुभाष चंद्र बोस की अनुयाई सारिका ने दी जानकारी

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स्वर्गीय रवि चंद गुप्ता के कदमों पर अब उनकी बेटी सारिका भी चल रही हैं. सारिका के अनुसार जब वह संग्रहालय पहुंची तो उन्होंने देखा कि, पिताजी के द्वारा तैयार कराई गई पेंटिंग का कलर फीका हो रहा है. सारिका का कहना है कि, ऐसे में मैं अपना खून देकर इन पेंटिंग्स को जीवंत कर रही हूं. यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं एक ऐसे पिता की बेटी हूं जिन्होंने देश के महानायकों की पेंटिंग्स अपने खून से बनवाई. सारिका आगे कहती हैं कि मुझे गर्व है कि मेरे पिता का नाम मुझे मिला हुआ है. इन पेंटिंग्स को फिर से जीवंत करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है.


सारिका ने बताया कि जब मैं आखिरी बार यहां आई थी तो मैंने देखा कि पेंटिंग्स में खून का रंग उड़ गया है और फीका पड़ गया है जो देखने में अच्छा नहीं लग रहा था. तभी मैंने विचार बनाया कि, हमें इन पेंटिंग्स को दोबारा से पेंट करना पड़ेगा. यह पेंटिंग्स मेरे पिता के रक्त से बनी हुई है. मेरे अंदर भी मेरे पिता का ही रक्त है इसलिए इन पेंटिंग्स को मैने अपना रक्त दिया. इसके लिए पेंटर ने मुझे पूरी तरह से समर्थन दिया है.

यह भी पढ़े-वाराणसी के इस संग्रहालय में रखा है दुनिया का सबसे बड़ा तानपुरा, देखें वीडियो

मथुरा: धर्म नगरी वृंदावन में साध्वी दीदी मां ऋतंभरा के वात्सल्य ग्राम स्थित बने शहीद संग्रहालय में आजादी के महानायकों की वीरगाथा के किस्से आज भी देखने और सुनने को मिल जाएंगे. यह देश का पहला ऐसा संग्रहालय है जो क्रांतिकारियों की यादों को संजोए हुए है. संग्रहालय में महापुरुषों की तस्वीरों को जीवंत रूप देने के लिए इंसानी खून से सजाया और संवारा गया है. इस संग्रहालय में केवल क्रांतिकारियों से ही संबंधित पेंटिंग लगाई गई हैं.

दरअसल, दिल्ली के रहने वाले स्वर्गीय रवि चंद गुप्ता, सुभाष चंद्र बोस के अनुयाई थे. आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस से दिया गया नारा ‘तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ से रवि चंद गुप्ता इस कदर प्रभावित हो गए थे कि कहने लगे की महापुरुषों की कुर्बानी के बाद हमें आजादी तो मिल गई, लेकिन हमने शहीदों को क्या दिया. बस इसी सोच को लेकर उन्होंने अपने खून से शहीद संग्रहालय में आजादी के 80 महानायकों की तस्वीरों को गुरुदर्शन सिंह विंकल चित्रकार से बनवा दिया था. यह सभी पेंटिंग्स 1760 से 1947 तक के क्रांतिकारियों की हैं.

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स्वर्गीय रवि चंद गुप्ता के कदमों पर अब उनकी बेटी सारिका भी चल रही हैं. सारिका के अनुसार जब वह संग्रहालय पहुंची तो उन्होंने देखा कि, पिताजी के द्वारा तैयार कराई गई पेंटिंग का कलर फीका हो रहा है. सारिका का कहना है कि, ऐसे में मैं अपना खून देकर इन पेंटिंग्स को जीवंत कर रही हूं. यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं एक ऐसे पिता की बेटी हूं जिन्होंने देश के महानायकों की पेंटिंग्स अपने खून से बनवाई. सारिका आगे कहती हैं कि मुझे गर्व है कि मेरे पिता का नाम मुझे मिला हुआ है. इन पेंटिंग्स को फिर से जीवंत करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है.


सारिका ने बताया कि जब मैं आखिरी बार यहां आई थी तो मैंने देखा कि पेंटिंग्स में खून का रंग उड़ गया है और फीका पड़ गया है जो देखने में अच्छा नहीं लग रहा था. तभी मैंने विचार बनाया कि, हमें इन पेंटिंग्स को दोबारा से पेंट करना पड़ेगा. यह पेंटिंग्स मेरे पिता के रक्त से बनी हुई है. मेरे अंदर भी मेरे पिता का ही रक्त है इसलिए इन पेंटिंग्स को मैने अपना रक्त दिया. इसके लिए पेंटर ने मुझे पूरी तरह से समर्थन दिया है.

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